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Sanskarshala Haldwani : खुद की सजगता व सतर्कता से सुरक्षित होगा डिजिटल प्लेटफार्म

Sanskarshala Haldwani रोजमर्रा के जीवन में हम विभिन्न समाचारपत्रों पत्र-पत्रिकाओं रेडियो टेलीविजन आदि माध्यम से देखते-सुनते हैं कि हमारे सभी कार्य कुछ सेकेंड में आसानी से हो जाते हैं। जिसे हम सामान्य भाषा में डिजिटलाइजेशन कह देते हैं। इससे काफी हद तक हमारे समय व श्रम की बचत होती है।

By ganesh pandeyEdited By: Skand ShuklaUpdated: Fri, 04 Nov 2022 10:03 AM (IST)
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Sanskarshala Haldwani : स्कूल स्तर पर वर्कशाप के जरिये जागरूक फैलाने का प्रयास जरूरी
हल्द्वानी : रोजमर्रा के जीवन में हम विभिन्न समाचारपत्रों, पत्र-पत्रिकाओं, रेडियो, टेलीविजन आदि माध्यम से देखते-सुनते हैं कि हमारे सभी कार्य कुछ सेकेंड में आसानी से हो जाते हैं। जिसे हम सामान्य भाषा में डिजिटलाइजेशन कह देते हैं। इससे काफी हद तक हमारे समय व श्रम की बचत होती है। मुख्यत: यह हमारे लिए लाभप्रद ही है, लेकिन जब हमें इनकी पूर्ण जानकारी नहीं होती और हम इनका उपयोग दिन-प्रतिदिन करते जाते तो इसके कई हानिकारक परिणाम भी हमें देखने को मिलते हैं। अत: हमें डिजिटल प्लेटफार्म के सुरक्षा पहलू के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है।

पिछले दो वर्षों में देखें तो अनिच्छा या स्वेच्छा से शिक्षक, संरक्षक व माता-पिता को, चाहे छोटे बच्चे हों या बड़े, उनकी पढ़ाई के लिए डिजिटल प्लेटफार्म पर आने की अनुमति देनी पड़ी। यह अति आवश्यक भी हो गया था। पिछले दो वर्ष का समय चुनौतीपूर्ण भी रहा। अभी भी चुनौतियां कम नहीं हैं। तकनीकी से बच्चे अनोखे व तरह-तरह के उपयोग करते हैं, जिसकी वजह से वह कभी-कभी जालसाजी व धोखाधड़ी का शिकार हो सकते हैं। बच्चों की सुरक्षा सभी का प्रथम ध्येय रहता है। वर्चुअल दुनिया में भी बच्चों की सुरक्षा उतनी ही जरूरी है।

मानसिक विकास में घातक

डार्कनेट यानी अवैध आनलाइन गतिविधियां के कुप्रभाव ने बच्चों को माता-पिता से दूर कर दिया है। अवैध आनलाइन गतिविधियां जो प्रतिबंधित हैं वहां बच्चे आयु सीमा बढ़ाकर शामिल हो रहे हैं। यह मानसिक विकास के लिए भी घातक है। आज इंटरनेट मीडिया के सबसे अच्छे लगने की स्पर्धा के दबाव के कारण हमेशा सुंदर लगना व सुंदरता बढ़ाने वाले एप का इस्तेमाल बढ़ा है। इन एप ने नौजवान युवक-युवतियों को अपने में उलझाए रखा है।

इंटरनेट पर बढ़ती निर्भरता

इंटरनेट का जाल पूरी दुनिया में फैला है। संरचना, संपादन व समन्वयन तक का कार्य इसकी मदद से हो रहा है। डिजिटल सुरक्षा एक ऐसी सुरक्षा है जो इंटरनेट से जुड़े हुए उपकरणों के लिए होती है। इसके तहत हार्डवेयर, साफ्टवेयर व डाटा को साइबर अपराध से सुरक्षित रखने का कार्य किया जाता है। डिजिटल मीडिया के आज के दौर में डिजिटल सुरक्षा जरूरत भी है और इसके प्रति जागरूक होना समय की मांग भी है। आज आनलाइन बैंकिंग हो या फिर रोजमर्रा का काम सब मोबाइल फोन से संचालित हो रहा है। ऐसे में हमें बहुत सतर्क, सजग रहने की आवश्यकता है।

पहचान उजागर नहीं करें

सार्वजनिक नेटवर्क से खरीदारी करते समय अपनी आनलाइन पहचान के बारे में हमें सावधानी बरतनी चाहिए। यदि कोई ईमेल पर जानकारी मांगे तो बिल्कुल नहीं देना चाहिए। इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर अपनी निजी जानकारी साझा न करें। अपरिचित वेबसाइटों पर पंजीकरण करते समय अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए।

छोटे प्रयास लाएंगे बड़ा बदलाव

डिजिटल प्लेटफार्म पर सुरक्षा के लिए सबसे जरूरी कदम है जागरूकता व सावधानी। इससे हम साइबर क्राइम का शिकार होने से बच सकते हैं। थोड़ी सी सतर्कता व समझदारी हमें बड़ी दुर्घटना से बचा सकती है। सेंटर फार सोशल रिसर्च की एक पहल डिजिटल सेफ्टी व मेंटल वेल बीइंग साइबर अपराध के प्रति जागरूक कर रहा है।

देशभर में अब तक 30 हजार से ज्यादा स्कूली बच्चों को वर्कशाप के जरिये प्रशिक्षित किया गया है। जागरूकता फैलाने में यह पहल कारगर साबित रही है। इसी तहत भारत सरकार भी विभिन्न कार्यक्रम चला रही है। विद्यालय स्तर के अलावा स्थानीय पुलिस, साइबर पुलिस के स्तर से भी डिजिटल प्लेटफार्म पर सुरक्षा उपायों को प्रशिक्षित किया जा सकता है। छोटे-छोटे प्रयास बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।

-उषा नागेश चंद, प्रधानाचार्या जस गोविन पब्लिक स्कूल हल्द्वानी

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