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Sanskarshala Haldwani : तकनीक से दक्ष बुजुर्ग नई पीढ़ी की तरक्की में बनेंगे मददगार

आधुनिक तकनीक के कारण ही कृषि शिक्षा खेल स्वास्थ्य आदि सभी क्षेत्रों में अत्यंत विकास हुआ है। समाज में हर व्यक्ति को चाहिए कि वह तकनीकी ज्ञान से अवगत हो। तकनीकी सुविधाओं का लाभ उठाए। समाज से निरंतर जुड़े रहने के लिए आधुनिक तकनीकों का जीवन में समावेश अनिवार्य है।

By ganesh pandeyEdited By: Skand ShuklaUpdated: Fri, 28 Oct 2022 09:35 AM (IST)
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Sanskarshala Haldwani : नवीन तकनीक अपनाने वाले बच्चों का कोरोना काल में प्रदर्शन रहा बेहतर
Sanskarshala Haldwani : Sanskarshala Haldwani : तकनीकी शिक्षा किसी देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। निर्माण के हर क्षेत्र में तकनीशियनों की जरूरत होती है। तकनीकी शिक्षा एक विशिष्ट प्रकार का शिक्षा रूप है जिनका व्यक्ति व समाज के साथ अभिन्न समन्वय है।

विशेष व्यावहारिक ज्ञान व कौशल प्रदान करने वाली शिक्षा ही तकनीकी शिक्षा कहलाती है। आधुनिक तकनीक के कारण बहुत से साधनों का विकास हुआ है। जिसने मनुष्य का जीवन सुलभ व सरल बनाया है। अनेक समस्याओं का समाधान किया है। तकनीकी ने हरेक क्षेत्र में विकास किया है।

आधुनिक तकनीक के कारण ही कृषि, शिक्षा, खेल, स्वास्थ्य आदि सभी क्षेत्रों में अत्यंत विकास हुआ है। समाज में हर व्यक्ति को चाहिए कि वह तकनीकी ज्ञान से अवगत हो। तकनीकी सुविधाओं का लाभ उठाए। समाज से निरंतर जुड़े रहने के लिए आधुनिक तकनीकों का जीवन में समावेश अनिवार्य है। नई पीढ़ी नवीन तकनीक में काफी पारंगत है, लेकिन बुजुर्ग व कई अभिभावक इससे अपरिचित हैं।

पिछले दो वर्षों में शिक्षा का माध्यम आनलाइन कक्षाएं ही थी। इस दौरान कई अभिभावक जो तकनीकी रूप से कमजोर थे, उन्होंने इस माध्यम को अपनाने में संकोच प्रकट किया। जिस वजह से उनके बच्चों की शिक्षा में कई रूकावट आईं। उनका शैक्षिक स्तर दूसरे बच्चों से कमजोर रहा।

दूसरी ओर जिन अभिभावकों ने नई तकनीक को अपनाया उन बच्चों का प्रदर्शन अपेक्षाकृत अच्छा रहा। आज विद्यालयों में बच्चों के लिए स्मार्ट कक्षाएं शुरू हो गई हैं। जिसके माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जाता है। बच्चों को आने वाले कल के लिए तैयार करने को विभिन्न प्रकार की गतिविधियां कराई जाती हैं। जिसमें आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल किया जाता है।

शिक्षा यात्रा में होंगे मददगार

आज हर एक व्यक्ति कंप्यूटर व इंटरनेट की सहायता से किसी भी प्रश्न का जवाब कुछ ही सेकंड में ढूंढ सकता है। आनलाइन प्लेटफार्म व तकनीक का सदुपयोग दो तरफा संचार को सक्षम बनाती है। ई-मेल, परिचर्चा मंच, एप संदेश आदि के माध्यम से अभिभावक तकनीकी ज्ञान से अवगत हो सकते हैं। विद्यालय गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेकर अपने बच्चे की शिक्षा यात्रा में मदद कर सकते हैं।

श्रव्य, दृश्य माध्यम को अपनाएं

सामान्यत: समाज में देखा जाता है कि बुजुर्गों की कई जरूरी व अधूरी जरूरतें होती हैं। तकनीक उनमें से कुछ जरूरतों का जवाब दे सकती है। कुछ अन्य मुद्दे जिनका बुजुर्ग सामना करते हैं वे हैं- साहचर्य, मनोरंजन, स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य। इनमें से कुछ मामलों में आधुनिक तकनीक सबसे अच्छी समस्या समाधानकर्ता हो सकती है। श्रव्य-दृश्य माध्यम से बुजुर्गों को तकनीकी ज्ञान से अवगत कराया जा सकता है। तकनीकी ज्ञान के माध्यम से वह अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं कर सकते हैं और आत्मनिर्भर बन सकते हैं। उन्हें हर छोटी-बड़ी चीज के लिए दूसरे पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं होगी।

बुजुर्गों के पास ज्ञान का भंडार

अभिभावकों व बुजुर्गों के पास अनुभव व ज्ञान का भंडार है। वह हमारे भूत व भविष्य के मध्य नींव की ईंट की भांति हैं, लेकिन उनका उपयोग तभी संभव है जब आज के तकनीकी प्रवाह में डूबी पीढ़ी अपने अभिभावकों व बुजुर्गों को उपलब्ध जरूरी तकनीकी ज्ञान व गेजेट्स के बारे में शिक्षित करे। बच्चे अपने बुज़ुर्गों के साथ मोबाइल, इंटरनेट आदि का ज्ञान साझा करे। अभिभावकों व बुजुर्गों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने के लिए स्कूल स्तर पर तकनीकी वर्कशाप, सेमिनार इत्यादि का आयोजन इस दिशा में मददगार साबित हो सकता है।

- मोहित शर्मा, निदेशक लक्ष इंटरनेशनल स्कूल हल्द्वानी

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