छह माह बाद बदलेगी शनि की दिशा, आपदा से निजात और व्यापार को मिलेगा बल
करीब छह माह बाद शनि मार्गी होने जा रहे हैं। शनि की दिशा बदलने से मौसम में बदलाव दिखने के साथ बाजार पर असर दिखाई पड़ेगा।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 15 Sep 2019 07:05 PM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : करीब छह माह बाद शनि मार्गी होने जा रहे हैं। शनि की दिशा बदलने से मौसम में बदलाव दिखने के साथ बाजार पर असर दिखाई पड़ेगा। आपदा से राहत मिलेगी तो बाजार में ग्राहकी बढऩे से व्यापार को गति मिलने की उम्मीद है। कई राशियों पर भी इसका प्रभाव दिखेगा।
शनि 30 मार्च को धनु राशि में वक्री हुए थे। लगभग 171 दिन बाद 18 सितंबर की रात्रि में शनि मार्गी हो जाएंगे। धनु राशि के स्वामी गुरु हैं। इस समय केतु का गोचर भी इसी राशि में है। ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक शनि के मार्गी होने से राहु-केतु के अलावा अब कोई ग्रह वक्री नहीं है। शनि के मार्गी होने के बाद बारिश से राहत मिलेगी और प्राकृतिक आपदाएं कम होंगी। बाजार में ग्राहकी बढऩे के साथ फसलों को भी फायदा होगा। कीमती धातुओं के दाम नीचे आ सकते हैं। वृषभ, कन्या, वृश्चिक, धनु व मकर राशि वालों को आराम मिलेगा।
ज्योतिषाचार्य डॉ. गोपाल दत्त त्रिपाठी के अनुसार शनिदेव भरणी नक्षत्र, नक्षत्र स्वामी शुक्र, मेष राशि, राशि स्वामी मंगल, दिन बुधवार, चतुर्थी तिथि में मार्गी होंगे। इसके बाद 23 जनवरी 2020 को शनिदेव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। शनि का प्रभाव कम करने के लिए शनि चालीसा का पाठ व दान आदि करना चाहिए।
शनि 30 मार्च को धनु राशि में वक्री हुए थे। लगभग 171 दिन बाद 18 सितंबर की रात्रि में शनि मार्गी हो जाएंगे। धनु राशि के स्वामी गुरु हैं। इस समय केतु का गोचर भी इसी राशि में है। ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक शनि के मार्गी होने से राहु-केतु के अलावा अब कोई ग्रह वक्री नहीं है। शनि के मार्गी होने के बाद बारिश से राहत मिलेगी और प्राकृतिक आपदाएं कम होंगी। बाजार में ग्राहकी बढऩे के साथ फसलों को भी फायदा होगा। कीमती धातुओं के दाम नीचे आ सकते हैं। वृषभ, कन्या, वृश्चिक, धनु व मकर राशि वालों को आराम मिलेगा।
ज्योतिषाचार्य डॉ. गोपाल दत्त त्रिपाठी के अनुसार शनिदेव भरणी नक्षत्र, नक्षत्र स्वामी शुक्र, मेष राशि, राशि स्वामी मंगल, दिन बुधवार, चतुर्थी तिथि में मार्गी होंगे। इसके बाद 23 जनवरी 2020 को शनिदेव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। शनि का प्रभाव कम करने के लिए शनि चालीसा का पाठ व दान आदि करना चाहिए।
राष्ट्र विरोधी तत्व पड़ेंगे कमजोर
शनि को शत्रु नाशक बताया गया है। ज्यातिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी का कहना है कि शनि के मार्गी होने से देश के विरोधी कमजोर पड़ेंगे। सीमा पर तनाव कम होगा और राष्ट्र मजबूती के साथ तरक्की की राह में अग्रसर होगा।राशियों पर यह रहेगा प्रभाव
शनि को शत्रु नाशक बताया गया है। ज्यातिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी का कहना है कि शनि के मार्गी होने से देश के विरोधी कमजोर पड़ेंगे। सीमा पर तनाव कम होगा और राष्ट्र मजबूती के साथ तरक्की की राह में अग्रसर होगा।राशियों पर यह रहेगा प्रभाव
मेष : भाग्य में वृद्धि कॅरियर भी बनेगा। वृषभ : अच्छी मेहनत करेंगे, कामयाबी मिलेगी।
मिथुन : बिजनेस और स्वास्थ्य का ध्यान दें।
कर्क : परीक्षा व मुकदमे आदि में सफलता।
सिंह : विदेश जाने का योग, शत्रुओं से सावधानी।
कन्या : भूमि, भवन, गाड़ी के योग, शुभ कार्य होंगे।
तुला : कार्य में सफलता, रुके कार्य शुरू होंगे।
वृश्चिक : पराक्रम से सफलता, परिवार का ध्यान रखें।
धनु : धन प्राप्ति और पारिवारिक सहयोग रहेगा।
मकर : धन प्राप्ति के योग, धार्मिक कार्य अवश्य करें।
कुंभ : अनेक स्रोतों से लाभ, सही जगह पर खर्च करें।
मीन : रुके कार्य होंगे, नया कार्य शुरू कर सकते हैं। यह है ग्रहों का मार्गी व वक्री होना
ग्रह जब पृथ्वी के सापेक्ष सीधी दिशा में गति करते हैं तो उन्हें मार्गी और जब पृथ्वी के सापेक्ष उल्टी दिशा में गति करते हैं तो उसे वक्री कहा जाता है। सूर्य, चंद्रमा सदैव मार्गी व राहु-केतु सदैव वक्री रहते हैं। शेष पांच ग्रह अपनी दिशा बदलते रहते हैं।
मिथुन : बिजनेस और स्वास्थ्य का ध्यान दें।
कर्क : परीक्षा व मुकदमे आदि में सफलता।
सिंह : विदेश जाने का योग, शत्रुओं से सावधानी।
कन्या : भूमि, भवन, गाड़ी के योग, शुभ कार्य होंगे।
तुला : कार्य में सफलता, रुके कार्य शुरू होंगे।
वृश्चिक : पराक्रम से सफलता, परिवार का ध्यान रखें।
धनु : धन प्राप्ति और पारिवारिक सहयोग रहेगा।
मकर : धन प्राप्ति के योग, धार्मिक कार्य अवश्य करें।
कुंभ : अनेक स्रोतों से लाभ, सही जगह पर खर्च करें।
मीन : रुके कार्य होंगे, नया कार्य शुरू कर सकते हैं। यह है ग्रहों का मार्गी व वक्री होना
ग्रह जब पृथ्वी के सापेक्ष सीधी दिशा में गति करते हैं तो उन्हें मार्गी और जब पृथ्वी के सापेक्ष उल्टी दिशा में गति करते हैं तो उसे वक्री कहा जाता है। सूर्य, चंद्रमा सदैव मार्गी व राहु-केतु सदैव वक्री रहते हैं। शेष पांच ग्रह अपनी दिशा बदलते रहते हैं।
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