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उत्तराखंड में शिक्षा विभाग के 1096 प्रवक्ताओं की वरिष्ठता सूची रद, लोक सेवा अभिकरण का महत्वपूर्ण फैसला

उत्तराखंड लोक सेवा अभिकरण ने माध्यमिक शिक्षा विभाग में 2012 में जारी 1096 प्रवक्ता पदों पर नियुक्त शिक्षकों की वरिष्ठता सूची को नियम विरुद्ध करार देते हुए निरस्त कर दिया है। अभिकरण ने विभाग को उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से जारी कम्बाइंड मैरिट सूची के आधार पर नए सिरे से वरिष्ठता सूची तैयार करने के आदेश पारित किए हैं।

By Nitesh Srivastava Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Mon, 04 Nov 2024 11:36 AM (IST)
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तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। जागरण
किशोर जोशी, नैनीताल। उत्तराखंड लोक सेवा अभिकरण ने माध्यमिक शिक्षा विभाग में 2012 में जारी 1096 प्रवक्ता पदों पर नियुक्त शिक्षकों की वरिष्ठता सूची को नियम विरुद्ध करार देते हुए निरस्त कर दिया है। अभिकरण ने विभाग को उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से जारी कम्बाइंड मैरिट सूची के आधार पर नए सिरे से वरिष्ठता सूची तैयार करने के आदेश पारित किए हैं।

ट्रिब्यूनल ने 2018 में माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से वरिष्ठता निर्धारण को लेकर दिए गए प्रत्यावेदन को खारिज करने का निर्णय भी निरस्त कर दिया है। अभिकरण के आदेश के बाद 500 से अधिक प्रवक्ताओं के वरिष्ठता क्रमांक बदल जायेगा और कम्बाइंड मैरिट सूची में ऊपर के शिक्षकों की पहले पदोन्नति का रास्ता साफ हो गया है।

उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से पांच अक्टूबर 2003 को 18 विषयों के पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया। स्क्रीनिंग के बाद आयोग की ओर से विभिन्न विषयों की चयन सूची जारी की।

इसमें सबसे पहले अंग्रेजी, भौतिकी व सबसे अंत में जीव विज्ञान विषय के चयनित प्रवक्ताओं की अंतिम चयन सूची जारी की। विभाग की ओर से नवंबर 2005 में अंग्रेजी जबकि जुलाई 2006 में जीव विज्ञान के प्रवक्ताओं की सूची जारी की। 2009 में आयोग की ओर से चयनित प्रवक्ताओं की कम्बाइंड मैरिट सूची जारी की गई।

रामनगर बोर्ड में तैनात प्रवक्ता नंदन सिंह का 1102 अभ्यर्थियों की कम्बाइंड सूची में तीसरा नंबर था। इस सूची में 1096 ने चार्ज लिया था।

नंदन का जीव विज्ञान विषय में पहला नंबर था लेकिन 29 मार्च 2012 को शिक्षा विभाग की ओर से कम्बाइंड सूची की अनदेखी कर विषयवार वरिष्ठता निर्धारण कर सूची जारी कर दी, जिससे मैरिट सूची के टॉपर विषयों की वजह से निचले क्रम में चले गए। प्रवक्ता नंदन ने विभाग को प्रत्यावेदन दिया लेकिन कोई उत्तर नहीं दिया गया तो हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

कोर्ट के आदेश पर विभाग ने निर्धारित समयावधि छह माह में प्रत्यावेदन पर विचार करने के निर्देश दिए लेकिन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद नंदन ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की तो विभाग ने कोर्ट के नोटिस के बाद प्रत्यावेदन पर विचार तो किया लेकिन उसे खारिज कर दिया। जिसे नंदन ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी। कोर्ट ने मामला लोक सेवा अभिकरण को रेफर कर दिया।

18 अक्टूबर को ट्रिब्यूनल के उपाध्यक्ष न्यायिक एएस रावत व उपाध्यक्ष प्रशासन राजेंद्र सिंह की संयुक्त पीठ ने शिक्षा निदेशक की ओर से जारी वरिष्ठता सूची को निरस्त कर दिया। अभिकरण के आदेश के बाद अब शिक्षा विभाग को 12 साल बाद प्रवक्ता पदों की नई वरिष्ठता सूची बनाने को मशक्कत करनी पड़ेगी।

लोक सेवा अभिकरण से प्रवक्ताओं की वरिष्ठता सूची निरस्त होने संबंधित निर्णय की विभाग को जानकारी प्राप्त हो चुकी है। इसका विधिक परीक्षण कराया जा रहा है। इसके बाद जो बदलाव हो सकते हैं, किए जाएंगे। मुकुल कुमार सती, प्रभारी निदेशक माध्यमिक शिक्षा, उत्तराखंड।

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