Gallantry Award : बटला हाउस एनकाउंटर केस में शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा के गांव में हर कोई गौर्वान्वित
शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद्र दिल्ली में पले बढ़े होने के बावजूद अपने गांव के दुखदर्द में हमेशा शामिल होते आए इसलिए हरेक के जेहन में उनका चेहरा व बातें कौंधने लगी।
शहीद मोहन चंद्र शर्मा मूल रूप से तल्ला गिवाड़ घाटी स्थित तिमिलखाल गांव के थे। हालांकि उनका जन्म व शिक्षा दीक्षा दिल्ली में हुई। मगर गांव आते रहते थे। ग्रामीणों के साथ घंटों बतियाते थे। शुक्रवार को शहीद के 91 वर्षीय ताऊ शिवदत्त मासीवाल, ताई कौशल्या देवी व चचेरे भाई जगदीश मासीवाल को जब 'जागरण' ने गैलेंटरी अवार्ड से सम्मानित किए जाने की खबर दी तो उनका सीना गर्व से चौड़ा हो गया। भावुक भी हो गए।
गांव में 19 सितंबर को मनाते हैं शहीद दिवस
मोहन चंद्र शर्मा 1989 में दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर तैनात हुए थे। 20 वर्ष की सेवा में सात बार राष्टï्रपति वीरता व उत्कृष्ट कार्यों के लिए करीब डेढ़ सौ पुरस्कार प्राप्त किए। दिल्ली पुलिस के विशेष सेल में बतौर इंस्पेक्टर 1995 से 2000 के बीच राजवीर रमला, इंद्रपाल, रणपाल गुल्लर, नरेश भाटी, बंटी, सुभाष, दिनेश भनोट, पुष्पेद जाट जैसे तमाम गैंगस्टरों का खात्मा किया था। 19 सितंबर 2008 को हिजबुल मुजाहिद्दीन के दो आतंकियों को ढेर कर देश के लिए शहीद हो गए। पैतृक गांव तिमिलखाल में तब से 19 सितंबर को शहीद दिवस मनाया जाता है।
बोले चचेरे भाई- आतंकवाद का खात्मा ही सच्ची श्रद्धांजलि
शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा के चचेरे भाई खीमानंद मासीवाल ने कहा कि बलिदान के 12 वर्ष बाद गैलेंटरी अवार्ड मिला है। जो अल्मोड़ा जनपद ही नहीं पूरे उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है। बोले कि आतंकवाद देश के लिए घातक है। आतंकियों का पूरी तरह सफाया ही शहीद मोहन चंद्र को सच्ची श्रद्धांजलि व सम्मान होगा।
बीते वर्ष ही आई थी शहीद की वीरांगना
राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय द्वारका (दिल्ली) में शिक्षिका शहीद की वीरांगना माया शर्मा बीते वर्ष पैतृक गांव के भूमिया देव मंदिर में पूजा के लिए आई थीं। वहां मंदिर कमेटी सभागार का लोकार्पण किया था। गांव में शहीद की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया था। शहीद की 22 वर्षीय बेटी हिमानी बीएड के बाद आगे की पढ़ाई कर रही है। 21 साल का बेटा दीव्यांशु स्नातक के बाद नौकरी की तैयारी में लगा है।