एकता बिष्ट ने खेतों में लड़कों के साथ सीखा क्रिकेट, हैट्रिक लेने वाली है पहली भारतीय महिला गेंदबाज
एकता बिष्ट ने छह वर्ष की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू किया था। आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण अपनी बेटी की लगन को देख पिता कुंदन सिंह बिष्ट ने अल्मोड़ा में चाय की दुकान खोली। 2011 में एकता का चयन क्रिकेट की राष्ट्रीय टीम में हो गया।
By chandrashekhar diwediEdited By: Skand ShuklaUpdated: Mon, 26 Sep 2022 10:13 AM (IST)
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : Shardiya Navratri 2022 : हुक्का क्लब के खेत में अपने साथियाें के साथ क्रिकेट खेलते-खेलते एकता बिष्ट (Ekta Bisht) ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंच गई। उसका जुनून ऐसा था कि लड़कों के बीच अकेली लड़की होती थी जो क्रिकेट खेलती थी। खेल को निखारने के लिए उसने अल्मोड़ा स्टेडियम में प्रैक्टिस करना शुरु किया। उसकी प्रतिभा देख कोच ने उन्हें लेफ्ट आर्म स्पिन की गेंद करने की प्रैक्टिस कराई। 2002 से 2006 तक उसने उत्तराखंड की टीम में खेला।
पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। ऐसा ही कुछ अलग था एकता बिष्ट में। कुछ करने का जुनून। उनका जन्म 8 फरवरी 1986 को हुआ। छह वर्ष की उम्र से हुक्का क्लब के छोटे से मैदान में खेलना शुरू किया था। आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण अपनी बेटी की लगन को देख पिता कुंदन सिंह बिष्ट ने अल्मोड़ा में चाय की दुकान खोली।
2011 में एकता का चयन क्रिकेट की राष्ट्रीय टीम में हो गया। उन्होंने 2 जुलाई 2011 को आस्ट्रेलिया के खिलाफ पहला एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेला। फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2017 क्रिकेट महिला विश्व कप के फाइनल तक पहुंचने में एकता का अहम योगदान रहा। उन्होंने उनकी उपलब्धि पर उत्तराखंड ने राज्य खेल रत्न से नवाजा। वर्तमान में वह उत्तराखंड महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हैं।