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पहली बार भारतीय महिला ने Mount Cho Oyu पर फहराया तिरंगा, अकेले पूरा किया अभियान

Mount Cho Oyu कुमाऊं की बेटी शीतल राज ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। उन्होंने माउंट चो ओयू पर तिरंगा फहराया है। वह माउंट चो ओयू फतह करने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं। शीतल राज इससे पहले माउंट एवरेस्ट माउंट अन्नपूर्णा व माउंट कंचनजंघा समेत हिमालय की कई चोटियों में सफल आरोहण कर चुकी हैं।

By kishore joshi Edited By: Nirmala Bohra Updated: Fri, 11 Oct 2024 05:33 PM (IST)
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Mount Cho Oyu: कुमाऊं की बेटी शीतल राज ने किया कमाल। साभार- स्‍वयं

जागरण संवाददाता, नैनीताल। Mount Cho Oyu: विश्व की सबसे ऊंची माउंट एवरेस्ट चोटी समेत अन्य चोटियों में तिरंगा लहराने वाली कुमाऊं की बेटी शीतल राज ने एक बार फिर कमाल किया है। उन्होंने विश्व की छठी नंबर की चोटी माउंट चो ओयू पर फतह हासिल कर प्रदेश ही नहीं देश का भी नाम रोशन किया है।

आठ अक्टूबर को 8188 मीटर ऊंची चोटी पर तिरंगा लहराकर माउंट चो ओयू फतह करने वाली पहली भारतीय महिला के रूप में अपना नाम दर्ज किया। वह अभियान पूरा कर वापसी कर चुकी है।

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तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहस पुरस्कार प्राप्त

बता दें कि तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहस पुरस्कार प्राप्त शीतल राज इससे पूर्व माउंट एवरेस्ट, माउंट अन्नपूर्णा, माउंट कंचनजंघा समेत हिमालय की कई चोटियों में सफल आरोहण कर चुकी है। उन्होंने बताया कि पांच सितंबर को उन्होंने माउंट चो ओयू पर आरोहण को लेकर अभियान शुरू किया था।

भारत से नेपाल काठमांडू पहुंचते ही उन्होंने चीन वीजा के लिए आवेदन किया। लेकिन भारत चीन के संबंध बेहतर नहीं होने के कारण वीजा मिलने में बेहद मुश्किल हुई। काफी लोगों से मुलाकात और बातचीत के बाद 20 दिनों बाद उन्हें वीजा मिल पाया।

21 सितंबर को उन्होंने सड़क मार्ग से चीन बॉर्डर पर किया। जहां से वह किरोंग, थिंगरी होते हुए एडवांस बेसकैंप पहुंची। बताया कि वीजा मिलने में देरी होने के कारण अन्य साथियों ने अभियान शुरू कर दिया था। मगर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपना अभियान शुरू किया।

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आठ अक्टूबर को चाइनीज समय के अनुसार सुबह आठ बजे उन्होंने माउंट चो ओयू की चोटी पर तिरंगा लहराया। दस अक्टूबर को वह चोटी से नीचे पहुंची। फिलहाल वह तिब्बत में ही है।

हंस फाउंडेशन ने दी हौसलों को उड़ान

पर्वतारोहण में अपना परचम लहराने वाली शीतल वर्तमान में उत्तराखंड पर्यटक विभाग में थल क्रीड़ा विशेषज्ञ के रुप में संविदा पर तैनात है। उन्होंने बताया कि हमेशा की तरह इस बार भी हंस फाउंडेशन ने उनके हौसलों को पंख दिए।

पर्वतारोहण बेहद महंगा क्षेत्र है। जिसमें चोटियों पर चढ़ने के लिए उपयोग में लाये जाने वाले उपकरण व अन्य सुविधाएं बेहद महंगी होती हैं। हंस फाउंडेशन शुरूआत से ही उनके साथ रहा है। जिसके सहयोग से ही वह कीर्तिमान रच पाई हैं।

इन चोटियों पर शीतल कर चुकी है फतह

  • रुद्रगौरा- 2014
  • देव टिब्बा- 2015
  • त्रिशूल- 2015
  • स्टोक कांगड़ी- 2016
  • सतोपंत- 2017
  • स्टोक कांगड़ी- 2018
  • कंचंनजंघा- 2018
  • पंचाचूली- 2018
  • ऐवरेस्ट- 2019
  • सेनोला पास- 2019
  • त्रिशूल- 2019
  • अन्नपूर्णा- 2021
  • एल्ब्रुश पर्वत- 2021
  • पिकॉक पीक- 2021
  • यूटी कांगड़ी- 2024
  • चो ओयू- 2024

शीतल को अब तक मिले पुरस्कार

  • तेंजिंग नार्गे राष्ट्रीय साहस पुरस्कार- 2021
  • खेलो इंडिया विंटर नेशनल गेम्स 2021 में कांस्य पदक
  • तीलू रौतेली पुरस्कार- 2019
  • ब्रांड आइकन ऑफ कुमाऊ- 2019
  • गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड- 2018
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