व्यावसायिक कॉलेजों में प्रवेश के मामले में सरकार को झटका
हाई कोर्ट ने प्रवेश नियामक समिति चेयरमैन व अपीलीय प्राधिकरण के चेयरमैन पद पर नियुक्ति सरकार की सिफारिश पर करने संबंधी एक्ट के संशोधन को असंवैधानिक करार दिया है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sun, 17 Jun 2018 08:53 PM (IST)
नैनीताल, [जेएनएन]: हाई कोर्ट ने प्रदेश में गैर सहायता प्राप्त व्यावसायिक व तकनीकी संस्थानों में भारी भरकम फीस वसूली तथा इन संस्थानों की रेगुलेटरी अथॉरिटी के मामले में राज्य सरकार को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने प्रवेश नियामक समिति चेयरमैन व अपीलीय प्राधिकरण के चेयरमैन पद पर नियुक्ति सरकार की सिफारिश पर करने संबंधी एक्ट के संशोधन को असंवैधानिक करार दिया है। साथ ही इन पदों पर रिटायर जजों की नियुक्ति रद कर दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि तीन सप्ताह में मुख्य न्यायाधीश को इन पदों पर नियुक्ति के लिए नाम भेजे। हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के इस्लामिक एकेडमिक इंस्टीट्यूट के निर्णय का हवाला देते हुए कहा है कि जो कमेटी बनाई जाएगी उसका चेयरमैन हाई कोर्ट का रिटायर जज होगा। जिसको मुख्य न्यायाधीश द्वारा नामित किया जाएगा।
प्रदीप दत्ता ने याचिका दायर कर सरकार द्वारा शुल्क नियामक प्राधिकरण चेयरमैन व अपीलीय प्राधिकरण चेयरमैन पद पर नियुक्ति के प्रावधान में सरकार द्वारा किए गए संशोधन को याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने 2006 में एक्ट बनाया तो उसमें दोनों अथॉरिटी के चेयरमैन की नियुक्ति का अधिकार हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा किए जाने का प्रावधान शामिल किया, जबकि 2010 में एक्ट को संशोधन कर दिया। इसमें व्यवस्था रख दी कि प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति कमेटी चेयरमैन व अपीलीय प्राधिकरण चेयरमैन पद पर मुख्य न्यायाधीश द्वारा राज्य सरकार नामित रिटायर जज की नियुक्ति होगी।
कोर्ट ने इस संशोधन को निरस्त करते हुए नियामक समिति चेयरमैन पद पर नियुक्त न्यायमूर्ति गुरुमीत राम व अपीलीय अथॉरिटी के न्यायमूर्ति बृजेश कुमार श्रीवास्तव की नियुक्ति रद कर दी। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने यह निर्देश दिया कि सरकार तीन सप्ताह में इन पदों पर नियुक्ति के लिए मुख्य न्यायाधीश को प्रस्ताव भेजे। सरकार को गैर सहायता प्राप्त संस्थानों में प्रवेश शुल्क के रूप में भारी भरकम राशि पर अंकुश लगाने के लिए कानून बनाने पर विचार करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि कानून ऐसा बनना चाहिए, जिससे एससी, एसटी, ओबीसी, दिव्यांग, बीपीएल व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित छात्रों को अनावश्यक शुल्क से मुक्ति मिल सके।
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