ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व विज्ञान संबंधित विषयों के कार्टून बच्चों काे दिखाएं
कार्टून देखने के एडिक्ट हो रहे बच्चों को लेकर बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। बच्चों को कार्टून देखना ही है तो इसके लिए समय निर्धारित होना चाहिए।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 20 Dec 2018 06:54 PM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : कार्टून देखने के एडिक्ट हो रहे बच्चों को लेकर बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। बच्चों को कार्टून देखना ही है तो इसके लिए समय निर्धारित होना चाहिए। कार्टून पौराणिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व विज्ञान से संबंधित विषयों पर आधारित हैं, तब किसी तरह की दिक्कत नहीं है। हां, जब बच्चों का अधिकांश समय कार्टून देखने में ही बीतने लगे, इसकी वजह से पढ़ाई, भोजन व खेलकूद का समय भी नहीं मिल रहा हो तो अभिभावकों को समझ लेना चाहिए कि बच्चा कार्टून एडिक्ट हो चुका है। इसे अब इलाज व काउंसलिंग की जरूरत है।
डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय के बाल मनोवैज्ञानिक डॉ. युवराज पंत बताते हैं कि पैरेंट्स ही जब इन स्थितियों की अनदेखी करने लगते हैं तो बच्चों की लत बढ़ जाती है। बाद में इसके तमाम दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं। वर्तमान में यह स्थिति बहुत तेजी से बढऩे लगी है। डॉ. पंत बुधवार को दैनिक जागरण के प्रश्न पहर में उपस्थित थे। उन्होंने कुमाऊं भर से सुधी पाठकों को कार्टून व हॉरर फिल्मों के एडिक्शन से बच्चों को बचाने के तरीके बताए।
निगेटिव व अग्रेसिव कार्टून करते हैं आकर्षित
अधिकांश बच्चे निगेटिव व अग्रेसिव कार्टून अधिक देख रहे हैं। इस तरह के कार्टून में मारपीट के अलावा तमाम तरह के नकारात्मक करेक्टर होते हैं। इनको लेकर बच्चे अधिक आकर्षित होते हैं। कई बार इसी तरह के निगेटिव करेक्टर को ही बच्चे अपना रोल मॉडल मानने लगते हैं। उन्हीं के तरह की अभद्र भाषा का प्रयोग करने से भी नहीं चूकते हैं। डॉ. पंत कहते हैं कि तीन-चार साल में बच्चों में ग्रहण करने की क्षमता अधिक होती है। इसलिए माता-पिता को सावधान रहने की जरूरत है।
पैरेंट्स खुद ही देखने को करते हैं प्रेरित
दरअसल, माता-पिता ही बच्चों को कार्टून देखने के लिए प्रेरित करते हैं। जब बच्चा पांच-छह महीने का होता है तो उसे बहलाने के लिए टीवी में तरह-तरह के कार्टून लगा देते हैं। बच्चे का ध्यान लगने लगता है। जब वह बढ़ा होने लगता है तो कार्टून देखने की उसकी इच्छा तीव्र हो जाती है। तब हम बच्चे के अधिक कार्टून देखने की शिकायत करने लगते हैं।कार्टून व भूतों के नाटक देखने के खतरे
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