छात्रवृत्ति घोटाला मामले की जांच एसआईटी चीफ के मंजूनाथ ही करेंगे
समाज कल्याण विभाग में एससी-एसटी छात्रों की छात्रवृत्ति के लिए आई करीब पांच सौ करोड़ के घोटाले की जांच कर रहे पुलिस अफसर के मंजूनाथ के तबादले को हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 10 Jan 2019 08:16 PM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : समाज कल्याण विभाग में एससी-एसटी छात्रों की छात्रवृत्ति के लिए आई करीब पांच सौ करोड़ के घोटाले की जांच कर रहे पुलिस अफसर के मंजूनाथ के तबादले को हाई कोर्ट ने बेहद गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने एसआइटी प्रमुख के मंजूनाथ के तबादले पर रोक लगाते हुए साफ कर दिया है कि इस मामले की जांच उनके द्वारा ही की जाएगी। सरकार ने उनका तबादला कर आइजी संजय गुंज्याल की अध्यक्षता में छह सदस्यीय एसआइटी को घोटाले की जांच सौंप दी थी। कोर्ट ने फैसले से राज्य सरकार की खासी किरकिरी हुई है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष राज्य आंदोलनकारी रवींद्र जुगरान की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट को पता चला कि इस घोटाले की जांच कर रहे के मंजूनाथ का तबादला कर दिया गया है। कोर्ट ने इसे बेहद गंभीरता से लिया। पिछली सुनवाई में एसआइटी प्रमुख के मंजूनाथ ने हलफनामा देकर कहा था कि समाज कल्याण विभाग एससी-एसटी छात्रवृत्ति घोटाला मामले में सरकारी धन का दुरूपयोग हुआ है। उन्होंने यह भी कहा था कि मांगने के बाद संयुक्त निदेशक व जिला समाज कल्याण अधिकारी द्वारा सूचना नहीं दी गई। एसआइटी द्वारा जितनी भी जांच की गई है, वह दस्तावेज सामान्य व्यक्तियों द्वारा उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर की गई है। जुगरान ने जनहित याचिका में कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा प्रदत्त इस छात्रवृत्ति के लिए बजट दिया गया मगर समाज कल्याण विभाग द्वारा इस धन का दुरुपयोग किया गया। हरिद्वार व देहरादून में हजारों मामले प्रकाश में आए हैं। महालेखाकार भारत सरकार, निदेशक व अपर सचिव समाज कल्याण के नोटिंग के आधार पर घेटाले के तार राज्य के बाहर भी जुड़े बताए जा रहे हैं। 2017 में मुख्यमंत्री द्वारा पूरे प्रकरण की एसआइटी जांच की गई थी मगर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। पिछले माह पहली तारीख को हरिद्वार व देहरादून जिले में हुए घपले के मामले में धारा-420 के तहत मुकदमा दर्ज किया है। पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने मामले की जांच कर रहे समाज कल्याण अधिकारी को हटाने का संज्ञान भी लिया था। सुनवाई के दौरान यह भी सवाल उठा कि सरकार बार-बार घोटाले की जांच कर रहे अफसरों का तबादला क्यों कर रही है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष राज्य आंदोलनकारी रवींद्र जुगरान की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट को पता चला कि इस घोटाले की जांच कर रहे के मंजूनाथ का तबादला कर दिया गया है। कोर्ट ने इसे बेहद गंभीरता से लिया। पिछली सुनवाई में एसआइटी प्रमुख के मंजूनाथ ने हलफनामा देकर कहा था कि समाज कल्याण विभाग एससी-एसटी छात्रवृत्ति घोटाला मामले में सरकारी धन का दुरूपयोग हुआ है। उन्होंने यह भी कहा था कि मांगने के बाद संयुक्त निदेशक व जिला समाज कल्याण अधिकारी द्वारा सूचना नहीं दी गई। एसआइटी द्वारा जितनी भी जांच की गई है, वह दस्तावेज सामान्य व्यक्तियों द्वारा उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर की गई है। जुगरान ने जनहित याचिका में कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा प्रदत्त इस छात्रवृत्ति के लिए बजट दिया गया मगर समाज कल्याण विभाग द्वारा इस धन का दुरुपयोग किया गया। हरिद्वार व देहरादून में हजारों मामले प्रकाश में आए हैं। महालेखाकार भारत सरकार, निदेशक व अपर सचिव समाज कल्याण के नोटिंग के आधार पर घेटाले के तार राज्य के बाहर भी जुड़े बताए जा रहे हैं। 2017 में मुख्यमंत्री द्वारा पूरे प्रकरण की एसआइटी जांच की गई थी मगर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। पिछले माह पहली तारीख को हरिद्वार व देहरादून जिले में हुए घपले के मामले में धारा-420 के तहत मुकदमा दर्ज किया है। पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने मामले की जांच कर रहे समाज कल्याण अधिकारी को हटाने का संज्ञान भी लिया था। सुनवाई के दौरान यह भी सवाल उठा कि सरकार बार-बार घोटाले की जांच कर रहे अफसरों का तबादला क्यों कर रही है।
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