चार साल बाद शुरू हुई सितारगंज चीनी मिल के आठ दिन चलने के बाद भी उत्पादन शून्य, जाने क्या है कारण
सितारगंज चीनी मिल अपने उद्घाटन के आठ दिनों बाद भी पूर्णता एक दिन भी चल नहीं पाई। लंबे समय तक बंद पड़े मिल की मशीनों में आई तकनीकी खामियों की वजह से मिल अब तक छटाक भर भी उत्पादन नहीं कर पाई है।
By Prashant MishraEdited By: Updated: Mon, 06 Dec 2021 06:20 PM (IST)
जागरण संवाददाता, सितारगंज : चार साल बाद लंबी जद्दोजहद से शुरू हुई सितारगंज चीनी मिल अपने उद्घाटन के आठ दिनों बाद भी पूर्णता एक दिन भी चल नहीं पाई। लंबे समय तक बंद पड़े मिल की मशीनों में आई तकनीकी खामियों की वजह से मिल अब तक छटाक भर भी उत्पादन नहीं कर पाई है। इधर उत्पादन ठप होने से मिल में लगा गन्नों का ढेर मात्र एक शोपीस बनकर रह गया है।
29 नवम्बर को सीएम पुष्कर सिंह धामी, गन्ना व चीनी उद्योग स्वामी यतीश्वरानंद, पूर्व सीएम विजय बहुगुणा व क्षेत्रीय विधायक सौरभ बहुगुणा ने संयुक्त रूप से मिल के पेराई सत्र का शुभारम्भ कराया था। इस मौके पर लंबे समय बाद मिल को पुण: संचालन के योग बनाने में जुटे अधिकारियों के तय समय के अनुरूप मिल की खमियों को दुरुस्त किए जाने को लेकर काफी प्रशंसा भी की गई। लेकिन इस प्रशंसा के कुछ घंटों बाद ही मशीनों में उत्पन्न होने वाली खामियों ने सब पर मानों पानी सा फैर दिया। शुभारंभ के आठ दिन बीत जाने के बाद भी मिल की मरम्मत में जुटे आधिकारी खामियों पर काबू न पा सके। जिसकी वजह से मिल में अबतक चीनी का उत्पादन शुरु तक नहीं हो पाया। वहीं मिल का संचालन नहीं हो पाने की वजह से 27 गन्ना क्रय केंद्रों पर खरीद भी प्रभावित हो रही है। किसान दूसरी मिलों का रुख करने को मजबूर हैं। वहीं कार्यदाई संस्था के यूनिट हेड अतुल दुबे ने बताया कि सालों से मशीनों के बंद पड़े होने की वजह से टरबाइन, कंट्रोल पैनल व बॉयलर में तकनीकी खामियों का सामना करना पड़ रहा है। जिसे ठीक किए जाने का प्रयास किया जा रहा है।
मिल चलाने के लिए इंधन की जुगत में जुटा प्रबंधन
चीनी मिल चलाने के लिए मिल प्रबंधन के पास इंधन तक नहीं है। अब प्रबंधन दूसरी मिलों से इंधन लाने की जुगत कर रहा है। आठ दिन पहले चीनी मिल के पेराई सत्र का शुभारंभ होने के बाद पहले तो जहां टरबाइन, बॉयलर व आदि में आई तकनीकी खामियों ने अड़ंगा डाल दिया था। इसके बाद अब मिल काे स्टार्ट करने के लिए इंधन कम पड़ गया। प्रबंधन ने जो मिल के संचालन के लिए बगाज के ट्रक मंगवाए गए थे। वे तकनीकी खराबी को दुरुस्त करने में ही खत्म हो गए।
अब बिना इंधन के बॉयलर का प्रेशर ही नहीं बन रहा है और मिल नहीं चल पाई है। कार्यदाई संस्था के यूनिट हेड अतुल दुबे ने बताया कि बॉयलर के इंधन के लिए पीलीभीत मिल से संपर्क किया गया था। लेकिन किसी अन्य कंपनी के साथ उनका अनुबंध होने की वजह से बात नहीं बन पाई। प्रबंधन अब यूपी के शाहजहांपुर से बगाज की आपूर्ति पूर्ण करने के प्रयास में जुटा है। आपूर्ति पूर्ण होते ही बॉयलर चालू कर संचालन शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि संचालन शुरू व बॉयलर के इंधन के लिए नील को 2000 कुंटल बगाज की आवश्यकता पड़ेगी। ऐसे में यहां पर गन्ना लेकर पहुंचे किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। मिल चलने के कारण ट्रकों में गन्ना भरकर लाए किसान मिल में डटे रहने को मजबूर हैं। क्योंकि मिल प्रबंधन इन किसानों के गन्ने की तुलाई तक नहीं कर पा रहा।
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