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टायर-ट्यूब से होती है भारत-नेपाल के बीच तस्करी, जान की परवाह भी नहीं करते तस्कर

भारत-नेपाल सीमा पर भारत की तरफ एसएसबी तैनात है तो दूसरी तरफ नेपाल में सशस्त्र नेपाल प्रहरी बल तैनात करने की तैयारी चल रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 15 Sep 2019 11:53 AM (IST)
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टायर-ट्यूब से होती है भारत-नेपाल के बीच तस्करी, जान की परवाह भी नहीं करते तस्कर
पिथौरागढ़, जेएनएन : भारत-नेपाल सीमा पर भारत की तरफ एसएसबी तैनात है तो दूसरी तरफ नेपाल में सशस्त्र नेपाल प्रहरी बल तैनात करने की तैयारी चल रही है। कड़ी सुरक्षा के बीच भी दोनों देशों के बीच बहने वाली काली नदी से दोनों देशों के तस्कर टायर-ट्यूबों से तस्करी को अंजाम दे रहे हैं। भारत-नेपाल सीमा पर डौड़ा से लेकर पंचेश्वर तक तस्करी होती है। तस्करी की मुख्य वस्तु नेपाल की खुखुरी सिगरेट व सौंदर्य प्रसाधन तो भारत की बीड़ी रहती है। करोड़ों के इस अवैध कारोबार से दोनों देशों के राजस्व को सीधी चपत लग रही है। 

नेपाल में बीड़ी नहीं बनती है, वहां केवल सिगरेट बनती है। नेपाल की खुखुरी सिगरेट भारतीय बाजार की प्रमुख मांग है। दोनों देशों के कस्टम विभाग नेपाल की सिगरेट और भारत की बीड़ी पर भारी कस्टम शुल्क लगाते हैं। जिसके चलते तस्कर सक्रिय रहते हैं। भारत के सीमावर्ती बाजार ही नहीं बल्कि पूरे कुमाऊं के बाजारों में नेपाल की खुखुरी सिगरेट की विशेष मांग है। धारचूला, बनबसा, खटीमा से लेकर हल्द्वानी तक बाजारों में तस्करी से लाई गई सिगरेट बिकती है। दूसरी तरफ भारत से नेपाल जाने वाली बीड़ी के शौकीन भी नेपाल में काफी अधिक हैं।
अवैध ढंग से दोनों देशों के बीच सबसे अधिक बीड़ी व सिगरेट सहित अन्य वस्तुओं की तस्करी होती है।  इस अवैध व्यापार के लिए तस्कर टायर ट्यूब का सहारा लेते हैं। काली नदी ग्लेशियर से निकलने वाली नदी है। साल भर इसका जलस्तर काफी अधिक रहता है। मई से लेकर अक्टूबर तक यह विकराल रहती है। इसके बाद भी तस्कर हर मौसम में इस नदी से टायर ट्यूब के माध्यम से प्रतिबंधित बीड़ी व सिगरेट का व्यापार करते हैं। 

प्रतिवर्ष नौ करोड़ की सिगरेट और 6 करोड़ की बीड़ी का होता है अवैध व्यापार 
सूत्रों के मुताबिक प्रतिवर्ष नेपाल से नौ करोड़ की सिगरेट तो भारत से छह करोड़ की बीड़ी अवैध रू प से नेपाल जाती है। इस अवैध तस्करी से भारत को राजस्व की हानि हो रही है। ऐसा नहीं है कि सीमाओं पर तैनात सुरक्षा एजेंसियां इससे अनभिज्ञ हैं, लेकिन इस पर रोक नहीं लगा पा रही है। 

भौगोलिक  स्थिति भी मददगार 
काली नदी घाटी का कई स्थानों का भूगोल ऐसा है जो तस्करों के अनुकूल है। काली नदी किनारे अभी तक पूरी सड़क नहीं बन सकी है। पंचेश्वर से लेकर डौड़ा तक केवल तालेश्वर से झूलाघाट से कुछ किमी दूर सड़क है। सड़क की कमी से एसएसबी पोस्टों पर तैनात जवानों को गश्त में परेशानी रहती है। इन स्थानों पर तस्कर अपना काम कर जाते हैं। कभी-कभार ही वह पकड़ में आतेे हैं।

इन स्थानों पर होती है तस्करी
बलतड़ी, सीमू, कानड़ी, झूलाघाट के पास, तालेश्वर,  सिमपानी, खर्कतड़ी , अमतड़ी, डौड़ा। यह पूरा क्षेत्र लगभग बीस किमी का है। पांच से छह तस्करों का ग्रुप बना है। यही ग्रुप टायर ट्यूब के सहारे तस्करी में लिप्त रहता है। तस्करी में सिगरेट, सौंदर्य प्रसाधन व बीड़ी के अलावा गुलदार की खालें आदि भी आती हैं।   

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