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भारी बर्फबारी से रिलकोट चौकी में फंसे आइटीबीपी जवानों का सुरक्षित रेस्क्यू nainital news

आइटीबीपी की अग्रिम चौकी रिलकोट में फंसे आठ जवानों को आखिरकार 17वें दिन रेस्क्यू कर लिया गया।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 30 Dec 2019 07:59 PM (IST)
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भारी बर्फबारी से रिलकोट चौकी में फंसे आइटीबीपी जवानों का सुरक्षित रेस्क्यू nainital news
पिथौरागढ़, जेएनएन। भारत-चीन सीमा पर उच्च हिमालय क्षेत्र में भारी बर्फबारी के कारण आइटीबीपी की अग्रिम चौकी रिलकोट में फंसे आठ जवानों को आखिरकार 17वें दिन रेस्क्यू कर लिया गया। दो जवानों को मुनस्यारी और छह अन्य को हेलीकॉप्टर से पिथौरागढ़ पहुंचाया गया। 

सीमा पर स्थित आइटीबीपी की मिलम चौकी से शिफ्टिंग के दौरान 12 और 13 दिसंबर को भारी बर्फबारी होने के चलते आठ जवान और सात पोर्टर रिलकोट चौकी में फंस गए थे। छह से सात फीट बर्फ जमने तथा अन्य संसाधन न होने के कारण इनका पैदल आगे बढ़ पाना संभव नहीं हो पा रहा था। तीन दिन पूर्व सात पोर्टर जोखिम उठाकर बर्फ के बीच पैदल चलकर मुनस्यारी पहुंच गए थे, जबकि चौकी में तैनात आठ जवान हथियार व अन्य जरूरी वस्तुएं होने के कारण नहीं निकल पा रहे थे।

इसके मद्देनजर जिला प्रशासन ने जवानों को हेली रेस्क्यू करने का फैसला किया। लेकिन, उच्च हिमालयी क्षेत्र में मौसम की खराबी बाधा बनी हुई थी। विगत तीन दिनों के अंतराल में वायु सेना की टीम ने कई मर्तबा रेस्क्यू के लिए उड़ान भरने की कोशिश की, लेकिन मौसम ने साथ नहीं दिया। सोमवार सुबह अनुकूल मौसम होने पर वायु सेना का हेलीकॉप्टर जवानों को लेने के लिए रिलकोट पहुंचा। 

डेढ़ घंटे चला रेस्क्यू

वायुसेना की टीम ने तीन चरणों में रेस्क्यू पूरा किया। पूर्वाह्न 11 बजे रेस्क्यू शुरू किया। चौकी में फंसे सभी आठ जवानों को डेढ़ घंटे के अंतराल में रेस्क्यू कर लिया गया। इनमें से छह जवानों को आइटीबीपी की 14वीं वाहिनी के जाजरदेवल पिथौरागढ़ स्थित मुख्यालय और दो अन्य को मुनस्यारी पहुंचाया गया।

बुगडियार चौकी में भी फंसे थे 19 जवान

12 दिसंबर को ही रिलकोट के साथ ही अग्रिम चौकियों से लौट रहे 19 जवान और चार पोर्टर बुगडियार चौकी में भी फंस गए थे। इन्होंने खुद ही  बर्फ हटाकर रास्ता बनाया और चार दिन बाद मुनस्यारी पहुंच गए थे। 

14वीं वाहिनी आइटीबीपी के सेनानी अशोक कुमार ने बताया सभी जवान सकुशल हैं। सभी अपनी चौकी में थे, वहां उनके लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध थी। इस दौरान जवानों को कोई परेशानी नहीं हुई। अब सभी जवान वाहिनी मुख्यालय पहुंच चुके हैं। 

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