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स्नो लेपर्ड के संरक्षण के लिए उच्च हिमालय में शुरू हुआ सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट

दुर्लभ स्नो लेपर्ड (हिम तेंदुआ) को बचाने के लिए दुनिया भर में चिंता जताई जा रही है। भारत भी इस मामले में गंभीर हो गया है।

By Edited By: Updated: Fri, 15 May 2020 07:48 AM (IST)
स्नो लेपर्ड के संरक्षण के लिए उच्च हिमालय में शुरू हुआ सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट
पिथौरागढ़, रमेश गड़कोटी : दुर्लभ स्नो लेपर्ड (हिम तेंदुआ) को बचाने के लिए दुनिया भर में चिंता जताई जा रही है। भारत भी इस मामले में गंभीर हो गया है। बेहद खूबसूरत जानवर को बचाने के लिए सरकार संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की मदद से उच्च हिमालयी क्षेत्र में सॉलिड वेस्ट मैनजमेंट प्रोग्राम चलाएगी। इसके तहत स्नो लेपर्ड के प्राकृतिक वास को संरक्षित किया जाएगा।

10 से 15 हजार फीट की ऊंचाई पर पाए जाते हैं स्नो लेपर्ड

भारत के हिमालयी राज्यों में 10 से 15 हजार फीट की ऊंचाई वाले बर्फीले क्षेत्र में स्नो लेपर्ड पाए जाते हैं। हाल के वर्षों मेंं उच्च हिमालय में मानवीय आवागमन बढ़ा है। पर्यटक, ट्रैकर इस क्षेत्र में पहुंचने लगे हैं। इससे क्षेत्र में प्लास्टिक व अन्य कचरा फैलाए जाने से इसका प्राकृतिक वास प्रभावित होने लगा है। खासकर उच्च हिमालय में पाए जाने वाले तालाबों के पास गंदगी फैलने से इसके प्रभावित होने की आशंका बनी हुई है। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने यूएनडीपी की मदद से एक वर्ष पहले सिक्योर हिमालय योजना शुरू की। इसका मकसद हिमालय की सेहत बनाए रखने के साथ ही क्षेत्र में रहने वालों के लिए रोजगार सृजन करना है।

हिमालय के जलस्रोत भी संरक्षित होंगे

अब पहली बार इसमें स्नो लेपर्ड के संरक्षण को भी शामिल किया गया है। केंद्र सरकार से मिली गाइड लाइन के तहत वन विभाग उच्च हिमालयी क्षेत्र में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कार्यक्रम शुरू कर रहा है। इसके तहत हिमालय में बिखरे कूड़े-कचरे को एकत्र कर घाटी वाले क्षेत्रों में नष्ट किया जाएगा। यहां के जलस्रोतों को भी संरक्षित किया जाएगा। इससे वे आसानी से अपनी प्यास बुझा सकेंगे।

रेड बुक में शामिल हैं स्नो लेपर्ड

दुनिया भर में इस समय सिर्फ दस हजार स्नो लेपर्ड बचे हुए हैं। भारत, रूस, कजाकिस्तान, पाकिस्तान, चीन में पाए जाने वाले स्नो लेपर्ड को विलुप्त मानते हुए आइयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर एंड नेचुरल सोर्स) ने इसे रेड बुक मेें शामिल कर रखा है। संगठन ने वर्ष 2040 तक इनकी संख्या घटकर दस फीसद होने की आशंका जताई है। इसे देखते हुए दुनिया भर में स्नो लेपर्ड के प्राकृतिक वास को बचाने की कवायद चल रही है।

उत्तराखंड में पहली बार हो रही गणना

भारत में जम्मू कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में अभी हिम तेंदुओं की गणना नहीं हुई है। उत्तराखंड में पहली बार भारतीय वन्य जंतु संस्थान देहरादून को इसकी गणना का दायित्व सौंपा गया है। आइएफएस पिथौरागढ़ विनय भार्गव ने बताया कि यूएनडीपी की मदद से चल रही सिक्योर हिमालय परियोजना में अब स्नो लेपर्ड को भी शामिल किया गया है। इसके तहत स्नो लेपर्ड के प्राकृतिक वास को सुरक्षित रखने के लिए उत्तराखंड की चीन सीमा से लगी दारमा और व्यास वैली के उच्च हिमालय में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

नंदा देवी पार्क में नजर आया है हित तेंदुए का जाेड़ा 

उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क में पिछले माह दुर्लभ हिम तेंदुओं का एक जोड़ा देखा गया है। पार्क में लगाये गए कैमरे में हिम तेंदुओं के जोड़े की तस्वीर कैद हुई थी। नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के प्रशासन यह दावा कर रहा है कि पूरे भारत में हिम तेंदुओं के जोड़े की ऐसी अनोखी और दुर्लभ तस्वीर पहली बार केवल नंदा देवी में देखने को मिली है। हिम तेंदुओं के इस दुर्लभ जोड़े की तस्वीर देख कर वन विभाग प्रशासन के साथ ही पशु प्रेमियों और वैज्ञानिकों के लिए बेहद अच्छी खबर है। इनके संरक्षण के लिए प्रशासन द्वारा काफी ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। देश में हिम तेंदुओं का जोड़ा पहली बार देखने को मिला है। अब तक कुछ जगह यह हिम तेंदुए अकेले ही देखने को मिले हैं। हिम तेंदुओं की आबादी घटने के पीछे इनकी खाल के लिए किए जाने वाला अवैध शिकार मुख्य कारण हैं। 

इन राज्यों में पाया जाता है हिम तेंदुआ 

हिम तेंदुआ उच्च हिमालय और ट्रांस हिमालय क्षेत्र के पांच राज्यों-उत्तराखंड सिक्किम अरुणाचल प्रदेश हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर के भूभाग में ही पाया जाता है। जिन देशों में तेंदुआ पाया जाता है उन्हें उनकी संख्या को आने वाले दशक में बढ़ाकर दोगुना करने का प्रयास किया जा रहा है। हिम तेंदुओं का संरक्षण बहुत ही जरूरी है। नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के कैमरा ट्रैप में कैद हुईं यह सारी तस्वीरें परीक्षण के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान में भेजी जाएंगी और इन पर और ज्यादा अध्ययन किया जाएगा। पार्क में तकरीबन 20 कैमरा ट्रैप लगाए गए थे जिनमें से कुछ की चिप निकालनी बाकी है।

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