कुछ पर्यावरण प्रेमियों ने शुरू किया पौध रोपण का काम और देखते-देखते बना दिए तीन पार्क nainital news
धरती को हरा-भरा करने का जुनून ऐसा कि न दिन देखा न रात। गर्मी जाड़े और बरसात की भी परवाह नहीं की।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 05 Jan 2020 09:50 AM (IST)
रामनगर, विनोद पपनै : धरती को हरा-भरा करने का जुनून ऐसा कि न दिन देखा न रात। गर्मी, जाड़े और बरसात की भी परवाह नहीं की। धुन बस एक ही थी कि ऑक्सीजन देने वाले पौधों को रोपा जाए और पेड़ बनने तक उन्हें सहेजा जाए। चार साल पूर्व चंद लोगों ने कल्पतरु वृक्ष मित्र संगठन के बैनर तले तीन पार्क विकसित कर पर्यवारण संरक्षण का संदेश देने का प्रयास किया। जो आज साकार होने लगा है। यही नहीं तमाम सरकारी, गैर सरकारी स्कूल-कार्यालयोंसमेत सार्वजनिक जगहों पर पौधरोपण का क्रम आज भी जारी है। संस्था से जुड़े 35 लोगों में सेवारत व सेवानिवृत्त सरकारी कार्मिक, व्यापारी और प्रकृति प्रेमी स्थानीय युवक पर्यावरण संरक्षण के लिए मिसाल बने हैं।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में संगठन ने किया बेहतर प्रयास पर्यावरण प्रहरी बनी रामनगर की कल्पतरु वृक्ष मित्र संगठन की स्थापना चार साल पहले हुई थी। तब से लगातार बिना किसी सरकारी सहायता के इस संगठन ने गर्जिया में झूलापुल, कोसी बैराज के समीप फाइकस गार्डन और कोसी बायोडायवर्सिटी पार्क स्थापित कर दिए। यहां रोपे गए विभिन्न प्रकार के पौधे आज वृक्ष का रुप लेने के साथ अब शुद्ध आवोहवा भी दे रहे है। संगठन ने आमडंडा और रामनगर तहसील, कोतवाली, शिक्षा परिषद कार्यालय में भी जो पौध रोपित किए वो आज वृक्ष के रूप में तब्दील हो रहे हैं। अब तक 11 हजार से भी अधिक विभिन्न प्रजातियों के पौधों को रोपित करने से लेकर संरक्षण तक में संगठन का योगदान हर किसी के लिए नजीर बन रहा है। चार साल से पौधों को खाद-पानी देने के साथ ही जंगली व पालतू जानवरों से उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी यह टीम खुद उठाती है।
मुटठी भर लोग थे तब, आज पूरा शहर कल्पतरु संगठन के अध्य्क्ष अतुल मेहरोत्रा व सचिव मितेश्वर आनंद कहते हैं कि हम मु_ी भर लोगों ने भले ही पर्यवारण का संदेश देने की शुरुआत की हो, मगर आज हमारे साथ पूरा रामनगर का जनमानस खड़ा है। कल्पतरु वृक्ष मित्र संगठन का काफि ला अब बढ़ता ही चला जा रहा है।
इन प्रजातियों को रोपित कियातुन, गुलमोहर, कुंभी, सहजन, अर्जुन, अशोक , शतावर, गिलोय, लेमन ग्रास, पथर चट्टा, बरगद, तिमला, पीपल, सेमल, नीम, पिलखन, गूलर, बेडू आदि समेत तमाम प्रजातियां रोपित की गई हैं।
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