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हाई कोर्ट की फटकार के बाद अब द्वाराहाट में तलाशी जा रही हैं एनआइटी की संभावनाएं

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) की स्थापना को लेकर दस वर्षों से ढिलाई कर रहा तंत्र उच्च न्यायालय की फटकार के बाद अब जागा है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 07 May 2019 10:06 AM (IST)
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हाई कोर्ट की फटकार के बाद अब द्वाराहाट में तलाशी जा रही हैं एनआइटी की संभावनाएं
द्वाराहाट (रानीखेत), जेएनएन : राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) की स्थापना को लेकर दस वर्षों से ढिलाई कर रहा तंत्र उच्च न्यायालय की फटकार के बाद अब जागा है। अब द्वाराहाट व पौड़ी स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज में एनआइटी की संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी है। सरकार की ओर से भूमि की नापजोख, ढांचागत विकास व अन्य अभिलेख मंगाए जाने पर बीटीकेआइटी को एनआइटी का दर्जा मिलने की उम्मीद भी बढ़ गई है।

राज्य के एकमात्र केंद्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना श्रीनगर (गढ़वाल) में 2010 में हुई थी। तब से यह पॉलीटेक्निक तथा आइटीआइ में संचालित किया जा रहा था। बाद में यहां के छात्र एनआइटी जयपुर (राजस्थान) शिफ्ट कर दिए गए। परेशान छात्रों ने न्यायालय की शरण ले ली। मगर सरकारें उदासीन बनी रही।  27 मार्च को उच्च न्यायालय ने एनआइटी के लिए राज्य के दो मैदानी व दो पर्वतीय क्षेत्रों को चयनित करने के आदेश दिए, मगर अमल नहीं हुआ तो हाई कोर्ट ने अवमानना करार दिया। तब राज्य सरकार की नींद टूटी। स्थल चयन को चुस्ती दिखाई गई। आनन फानन में बिपिन त्रिपाठी कुमाऊं प्रौद्योगिकी संस्थान (बीटीकेआइटी) की भूमि, ढांचागत स्थित आदि का जायजा लिया गया है। 

ताकि द्वाराहाट में ही खुले अहम संस्थान 

उत्तराखंड का राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान द्वाराहाट में ही खुले, इसके लिए बीटीकेआइटी प्रशासन ने तर्क दिए हैं कि 167 एकड़ भूमि संस्थान के पास तो है ही। इससे लगी करीब 125 एकड़ बेनाप भूमि और है जिसका सदुपयोग हो सकता है। एनआइटी के लिए 200 एकड़ भूमि जरूरी है। इस संस्थान के ढांचागत विकास को भी राज्य के अन्य तकनीकी संस्थाओं से बेहतर बताया गया है।

बीटीकेआइटी से ये सूचनाएं मांगी गई 

भूमि व भवनों की उपलब्धता, छात्रावासों के साथ ही, पांच वर्षों की छात्र संख्या, बाहरी राज्यों के छात्रों की संख्या आदि।

संस्थान में ये चल रहे पाठ्यक्रम

कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, बायोकैमिकल इंजीनियरिंग व कैमिकल इंजीनियरिंग। इसके अलावा तीन पोस्टग्रेजुएट पाठ्यक्रम।

द्वाराहाट में खुलवाने का होगा प्रयास 

मदन बिष्ट, पूर्व विधायक ने कहा था कि सरकार की नाकामी के कारण राज्य का एनआइटी बाहर जाने की स्थिति में आ चुका है। इसे द्वाराहाट में खुलवाने के प्रयास किए जा रहे हैं। यहां जमीन सहित अन्य सभी सुविधाएं मौजूद हैं। मामले में शीघ्र मुख्यमंत्री से भी मिलेंगे।

शासन स्‍तर से मांगी गई है सूंचनाएं 

बीएन मिश्रा, निदेशक बीटीकेआइटी ने बताया कि शासन स्तर से एनआईटी स्थापित करने के संदर्भ में सूचनाएं मांगी गई थी, जिसे हमने भेज दिया है। एनआईटी के लिहाज से जमीन की उपलब्धता, ढांचागत सुविधा, पानी आदि सब कुछ पर्याप्त मात्रा में है। इससे कई प्रकार लाभ संस्थान को मिल सकेंगे। इसलिए हमारी कोशिश तो यही रहेगी कि यह महत्वपूर्ण संस्थान द्वाराहाट में ही स्थापित हो। 

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