बच्चों को नशे से बचाने के लिए अभिभावक रहें जागरूक और दें समय
नशा समाज के लिए अभिशाप बन चुका है। इससे जहां युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा हैं, वहीं परिवारों में बिखराव आम बात हो चुकी है। समस्या के समाधान के लिए पैरेंट्स को जागरूक होने की जरूरत है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 19 Jan 2019 06:03 PM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : नशा समाज के लिए अभिशाप बन चुका है। इससे जहां युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा हैं, वहीं परिवारों में बिखराव आम बात हो चुकी है। इस समस्या के समाधान के लिए पैरेंट्स को जागरूक होने की जरूरत है। इसके लिए बच्चों को अधिक समय देना होगा। यह विमर्श उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यशाला में किया गया।
मुक्त विवि व राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संस्थान नई दिल्ली की ओर से नशा एवं मद्यपान का परिवार, विद्यालय, कॉलेज व समाज पर पडऩे वाले दुष्प्रभाव विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता करते हुए शिक्षा शास्त्र विद्या शाखा के निदेशक प्रो. एचपी शुक्ल ने वर्तमान पीढ़ी के शराब व नशे की लत से खोखला होने पर चिंता जाहिर की और कहा कि युवा पीढ़ी को अपनी ऊर्जा सकारात्मक कार्यों में लगानी होगी। मुख्य अतिथि बेरीनाग महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एलपी वर्मा ने कहा कि युवा पीढ़ी को वर्तमान में राष्ट्र निर्माण के लिए जागरूक करना होगा। इसके लिए जरूरी है कि उन्हें खुद को नशे से दूर रहना होगा। एमबीपीजी कॉलेज के एनएसएस अधिकारी डॉ. एमपी सिंह ने कहा कि युवाओं को नशे की जगह किताबों में समय व्यतीत करना चाहिए।
समाज शास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ. एपी सिंह ने कहा कि माता-पिता को बच्चों के साथ अधिक समय व्यतीत करना होगा। कुलसचिव भरत सिंह ने नशामुक्त भारत बनाने की अपील की और कहा, समाज की सुरक्षा के लिए युवाओं को नशे का त्याग करना होगा। कार्यशाला संयोजक डॉ. सिद्धार्थ पोखरियाल ने कहा कि शराब व नशे से परिवार टूट रहे हैं। यह चिंता का विषय है। शिक्षाशास्त्र विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. कल्पना पाटनी ने अतिथियों का स्वागत किया गया। कार्यशाला में विशेषज्ञ वंदना पाठक ने नशे के प्रभावों व उनसे बचाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी। दिनेश आगरी ने नशामुक्ति केंद्रों की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। अंत में डॉ. दिनेश कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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