सैनिक स्कूल के ही 45 छात्रों को प्रिंसिपल ने बाहर निकाला, तेंदुए के खौफ में गुजरी रात
सैनिक स्कूल घोड़ाखाल की प्रधानाचार्य कर्नल डॉ. स्मिता मिश्रा ने मंगलवार को 12वीं के 45 छात्रों को विद्यालय परिसर में पनाह देने से इनकार कर दिया।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 03 Apr 2019 12:25 PM (IST)
भवाली, जेएनएन : सैनिक स्कूल घोड़ाखाल की प्रधानाचार्य कर्नल डॉ. स्मिता मिश्रा ने मंगलवार को 12वीं के 45 छात्रों को विद्यालय परिसर में पनाह देने से इनकार कर दिया। ये छात्र बुधवार को होने वाली मल्टीमीडिया वेब टेक्नोलॉजी की परीक्षा देने पहुंचे थे। छात्रों ने पूरी रात घोड़ाखाल स्थित गोल्ज्यू मंदिर में गुजारी। विद्यालय की प्रिंसिपल के इस तरह के बर्ताव ने सभी को चौंका दिया। ये सभी छात्र उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड और बिहार के हैं।
मंगलवार की सुबह सैनिक स्कूल घोड़ाखाल में अध्ययनरत 12वीं के 45 छात्र बुधवार को होने वाली मल्टीमीडिया वेब टेक्नोलॉजी की परीक्षा देने विद्यालय पहुंचे तो विद्यालय में अन्य विद्यालयों के बच्चों की परीक्षा होने के कारण उप प्रधानाचार्य ने छात्रों को वेटिंग रूम में रोक दिया और शाम को शाम चार बजे आने को कहा। इस पर सभी छात्र परिसर से चले गए। लेकिन देर शाम जब वे विद्यालय लौटे तो प्रिंसिपल कर्नल डॉ. स्मिता मिश्रा ने उन्हें यह कहकर बाहर कर दिया कि वे ड्रेस में नहीं है। वहीं छात्रों ने बताया कि वे परीक्षा में गैप होने के कारण अपने घर चले गए थे और अपनी ड्रेस जूनियर छात्रों को दे गए थे। लेकिन प्रिंसिपल ने उनकी बात नहीं सुनी। मजबूरन 45 छात्रों ने पूरी रात गोल्ज्यू मंदिर में गुजारी। छात्रों का बुधवार को पेपर होना है, जिस कारण वह विद्यालय में स्थित हॉस्टल में रुकने के उद्देश्य से पहुंचे थे। लेकिन विद्यालय प्रबंधन ने उन्हें प्रवेश नहीं दिया। और 45 छात्रों की सुरक्षा को दांव में रखते हुए विद्यालय से बाहर कर दिया। प्रबंधन के इस तरह के फैसले ने सभी को चौका दिया।
असुरक्षित व असहाय हुए छात्र
सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के परिसर से बाहर करने के बाद सभी छात्र खुद को असुरक्षित व असहाय महसूस करने लगे थे। क्योंकि घोड़ाखाल में जंगली जानवर (तेंदुए) का खतरा बना रहता है, जो कई बार विद्यालय के सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हो चुके हैं। लेकिन विद्यालय प्रबंधन ने छात्रों की परवाह किए बिना उन्हें विद्यालय से बाहर कर दिया। बाहरी राज्यों से होने के कारण उन्हें यहां की भौगोलिक स्थिति की जानकारी भी नहीं है। ऐसे में उनका कहना है वे कि अगर मंदिर में शरण नहीं मिली होती तो कुछ भी अनहोनी हो सकती थी। जंगली जानवरों का भय तो है ही, रात में ठंड की वजह से वे बीमार भी पड़ सकते थे।
सात सालों से विद्यालय में पढ़ रहे हैं छात्र
जिन छात्रों को विद्यालय बाहर किया गया, वे सात सालों से विद्यालय में पढ़ रहे हैं। वही उनकी मौजूदगी में कई सीनियर छात्र विद्यालय से पास आउट होकर निकले हैं। छात्रों का कहना है कि सभी सीनियर 12वी पेपर में इसी तरह विद्यालय आते थे और विद्यालय के हॉस्टल में ही रहते थे।
यह भी पढ़ें : भाजपा महिला मोर्चा की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मंजू तिवारी कांग्रेस में शामिल, भाजपा पर बोला हमलायह भी पढ़ें : एक लाख रुपये रिश्वत लेते वन दारोगा को विजिलेंस टीम ने किया गिरफ्तार, मुकदमा दर्ज
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।