एक साल पहले बच्चे को आंगन से उठा ले गया था तेंदुआ, प्रदर्शन करने वाले ग्रामीणों के नाम आया समन
एक साल पूर्व द्यांगण गांव में गुलदार के मासूम को निवाला बनाने के बाद गुस्साई जनता का वन्य जीव को खतरनाक घोषित करने की मांग पर आंदोलन करना संबंधित लोगों पर भारी पड़ गया।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 08 Dec 2019 06:03 PM (IST)
बागेश्वर, जेएनएन : एक साल पहले बागेश्वर जिले के द्यांगण गांव में तेंदुए ने मासूम को अपना निवाला बना लिया था। घटना के बाद से गुस्साई जनता ने वन्य जीव को खतरनाक घोषित करने की मांग को लेकर आंदोलन किया था। जो अब ग्रामीणों पर भारी पड़ रहा है। तब गरुड़-कौसानी मार्ग पर सांकेतिक चक्काजाम करने के कारण अब 22 आंदोलनकारियों के नाम उनके घर समन पहुंच गए हैं। इससे पूरे गांव में हड़कंप मचा है। साथ ही जिला प्रशासन की कार्रवाई से लोगों में भारी आक्रोश है।
ग्रामीणों को फंसा रहा प्रशासन शहर से करीब दो किमी दूर द्यांगण गांव में रविवार के दिन अफरातफरी मची रही। गांव की चार महिलाओं बसंती देवी, गीता देवी, इंद्रा कठायत समेत युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष दर्शन कठायत, गोविंद कठायत, भूपेश कठायत, आदर्श कठायत, चंदन कठायत, अनिल मेहता, गोविंद रावल, सुरेंद्र नेगी, वन पंचायत सरपंच पूरन रावल, पूरन कठायत समेत 22 लोगों को समन तामील हुए हैं। ग्रामीणों ने कहा कि जिला प्रशासन ने ग्रामीणों को झूठे मुकदमे में फंसाया है और यह आंदोलनकारियों को दबाने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन लोगों के आक्रोश को कुचलने की कोशिश कर रहा है, जिसका जवाब दिया जाएगा।
अब भी गांव में तेंदुए की दहशत आक्रोशित लोगों के मुताबिक गांव में तेंदुए का आतंक वर्तमान में भी बना हुआ है। कई बार तेंदुआ महिलाओं पर झपटने की कोशिश कर चुका है। वन विभाग ने गांव में पिंजड़ा भी लगाया है, लेकिन उसकी देखरेख नहीं होती है। तेंदुए के भय से लोग शाम होते ही घरों में कैद हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह एक मासूम की मदद के लिए आंदोलन कर रहे थे और जिला प्रशासन ने आंखें मूंद कर उन्हें मुकदमों में फंसा दिया है। उन्होंने जिला प्रशासन से दर्ज मुकदमों को तत्काल वापस लेने की मांग की है।
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