धूप और धूल दमा के मरीजों के लिए जानलेवा, इन बातों पर करें गौर, मिलेगी राहत
सूरज की बढ़ती तपिश और धूल का गुबार सेहत के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। धूप और धूल आंखों में चुभन पैदा कर रही हैं तो सांसों के लिए भी आफत बन रही हैं।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 01 Apr 2019 08:17 AM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : सूरज की बढ़ती तपिश और धूल का गुबार सेहत के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। धूप और धूल आंखों में चुभन पैदा कर रही हैं तो सांसों के लिए भी आफत बन रही हैं। सबसे ज्यादा समस्या दमा के मरीजों के लिए है। बेस अस्पताल के चिकित्सक डॉ. सीएस बिष्ट का कहना है कि दमा के मरीज बढ़ रहे हैं। इस मौसम में धूप और धूल से बचने का प्रयास करना चाहिए। क्योंकि धूल फेफड़ों तक पहुंचकर सांस लेने में तकलीफ देने लगती है।
धूल के कण बनते हैं बीमारी का कारण धूल के कण श्वास नली के जरिये शरीर में प्रवेश करते हैं और संक्रमण फैलाते हैं। शुरुआत में खांसी होती है और धीरे-धीरे यही अस्थमा का रूप ले लेती है। ऐसे में जब भी सर्दी और गर्मी के बीच का मौसम शुरू होता है तो यह बीमारी लोगों को सताने लगती है।
क्या हैं दमा के लक्षण
- धूल, गर्म हवा से सांस लेने में घबराहट
- बलगम वाली खांसी या सूखी खांसी
- सीने में जकडऩ महसूस होने लगती है
- रात में और सुबह के वक्त स्थिति गंभीर होती है
- ठंडी हवा में सांस लेने से भी खतरा
- गंभीर स्थिति में उल्टी होने की संभावना
- एलर्जिक अस्थमा
- नॉन एलर्जिक अस्थमा
- एक्सरसाइज इनड्यूस
- कफ वेरिएंट अस्थमा
- ऑक्यूपेशन अस्थमा
- नाइट टाइम अस्थमा
- चाइल्ड ऑनसेट अस्थमा
ऐस करेें बचाव
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- ज्यादा गर्म और अधिक नम वातावरण से बचें
- घर से बाहर निकलते समय मास्क का करें प्रयोग
- सुबह सूर्य नमस्कार, प्राणायाम, भुजंगासन करें
- हमेशा गुनगुने पानी का प्रयोग करें
- धूल से बचने को चश्में का प्रयोग करें
- बेस अस्पताल - 20 से 25 मरीज
- टीबी एवं श्वास रोग विभाग-150-200 मरीज
- सुशीला तिवारी अस्पताल-7-8 मरीज