Move to Jagran APP

Super Blue Moon: क्यों दिखा ब्लू मून? 2037 में दोबारा होगी दुर्लभ खगोलीय घटना; क्या है इसका पृथ्वी से कनेक्शन

इन दिनों दुनिया में चांद चर्चा में है और हमारा चंद्रयान-3 चांद पर विराजमान है। ऐसे में सुपर ब्लू मून जैसी अद्भुत खगोलीय घटना चार चांद के मुहावरे को चरितार्थ करती है। गुरुवार को आसमान में सूपर ब्लू मून दुर्लभ छटा बिखर गई। खास बात यह है कि यह चांद नीला नहीं बल्कि अत्यधिक चमकीला नजर आया। वरिष्ठ खगोलविद डाॅ. शशिभूषण पांडेय ने इसके बारे में अहम जानकारियां दी हैं।

By Jagran NewsEdited By: Shivam YadavUpdated: Wed, 30 Aug 2023 11:02 PM (IST)
Hero Image
खास बात यह है कि यह चांद नीला नहीं, बल्कि अत्यधिक चमकीला नजर आया।
नैनीताल, जागरण टीम: इन दिनों दुनिया में चांद चर्चा में है और हमारा चंद्रयान-3 चांद पर विराजमान है। ऐसे में सुपर ब्लू मून जैसी अद्भुत खगोलीय घटना 'चार चांद' के मुहावरे को चरितार्थ करती है। गुरुवार को आसमान में सूपर ब्लू मून दुर्लभ छटा बिखर गई। खास बात यह है कि यह चांद नीला नहीं, बल्कि अत्यधिक चमकीला नजर आया।

आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ खगोलविद डाॅ. शशिभूषण पांडेय ने बताया था कि यह सुपर मून असाधारण है। इस माह की शुरुआत सूपर मून से हुई थी और अंत भी सूपर मून से होने जा रहा है। असल में पहला सुपर मून एक अगस्त को हुआ था और अगला 31 अगस्त की रात को रोशन करेगा। पूर्णिमा का यह चांद बड़ा और चमकीला होगा।

खास बात यह कि इस सूपर मून को ब्लू मून नाम दिया गया है। इस दौरान चांद की चमक करीब 14 प्रतिशत अधिक बढ़ी रही। आकार में भी यह 14 प्रतिशत अधिक बड़ा नजर आया। आसमान में चांद की ऊंचाई सात प्रतिशत अधिक होगी। जैसे-जैसे रात गुजरेगी, चंद्रमा ऊंचा दिखाई देगा। 

अगली बार 2037 में दिखाई देगा सुपर मून

असल में जिस माह में दो सूपर मून होते हैं तो दूसरा सूपर मून ब्लू मून कहलाता है। डा. पांडेय के अनुसार, जिस वर्ष 12 महीने में 13 पूर्ण चंद्रमा होते हैं, तब सूपर ब्लू मून होता है। पिछली बार ब्लू सूपर मून 2009 में हुआ, जबकि अगली घटना जनवरी 2037 में होगी। 

क्यों दिखाई देता है सुपर मून?

यह खगोलीय घटना चंद्रमा के पृथ्वी के करीब आने पर होती है, जिस कारण चांद अन्य दिनों की अपेक्षा बढ़ा व अधिक चमकदार नजर आता है। ब्लू मून सिर्फ एक नाम दिया गया है। इसका चंद्रमा के रंग से कोई मतलब नहीं है, चांद वैसे ही अधिक चमक के साथ नजर आता है, जैसा पूर्णिमा को नजर आता है। 

दूरी के लिहाज से चांद का विभाजन डाॅ. शशिभूषण पांडेय कहते हैं कि दूरी के लिहाज से चंद्रमा को दो भागों में विभाजित किया गया है। चंद्रमा के दूर होने पर अपोजी कहा जाता है और करीब आने पर पेरिजी। 

पृथ्वी व चंद्रमा के बीच की औसत दूरी 3.84 लाख किमी मानी जाती है। हमारे सर्वाधिक करीब पहुंचने पर यह दूरी लगभग 3.5 लाख किमी रह जाती है और दूर जाने पर 4.08 लाख किमी। इन दोनों की बीच की दूरी में चांद के आकार में लगभग 14 प्रतिशत का अंतर आता है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।