सुप्रीम कोर्ट ने केदारनाथ त्रासदी संबंधी फैसले को किया निरस्त
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 की केदारनाथ त्रासदी को लेकर हाई कोर्ट के नवंबर 2016 में दिए गए आदेश को निरस्त कर दिया है।
नैनीताल, [जेएनएन]: सुप्रीम कोर्ट ने 2013 की केदारनाथ त्रासदी को लेकर हाई कोर्ट के नवंबर 2016 में दिए गए आदेश को निरस्त कर दिया है। इधर याचिकाकर्ता के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से यह बताने को कहा है कि जनहित याचिका में जारी किए गए दिशा-निर्देश में कितनों का क्रियान्वयन राज्यस्तर पर हो सकता है और कितनों का नहीं।
दिल्ली निवासी अजय गौतम की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की एकलपीठ ने 19 नवंबर 2016 को अहम फैसला दिया था। फैसले में ए से क्यू तक दिशा-निर्देश शामिल थे। इसमें केदारनाथ आपदा में जान गंवा चुके लोगों के बच्चों को साढ़े सात हजार उनके बैंक खाते में जमा करने, यह रकम उन्हें बालिग होने तक देने, नर कंकाल का पता लगाने के लिए पांच अधिकारियों का विशेष जांच दल बनाने, नर कंकाल का दाह संस्कार डीएनए मिलान के बाद जाति के रीति रिवाज से कराने का आदेश प्रमुख था।
एकलपीठ ने सरकार पर आपदा प्रभावितों की मदद में हीलाहवाली पर 50 हजार जुर्माना लगाया था। इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का आदेश निरस्त कर दिया तो याचिकाकर्ता द्वारा हाई कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया।
सोमवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने उपमहाधिवक्ता केएल जोशी से यह बताने को कहा है कि वह मुख्य सचिव से जानकारी लेकर बताएं कि सरकार कौन-कौन उपाय कर सकती है। हाई कोर्ट के आदेश के अहम बिन्दु ऋषिकेश, बद्रीनाथ, सोनप्रयाग क्षेत्र का मास्टर प्लान बनाने, क्षेत्र के अवैध निर्माण छह माह में ध्वस्त करने, तीर्थयात्रियों के लिए नियम कायदे बनाने, कैलास मानसरोवर की तरह ग्लेशियर की सुरक्षा करने चार धाम क्षेत्र में तीन माह में एडवांस चेतावनी सिस्टम स्थापित करने आदि प्रमुख थे।
इसके साथ ही हेमकुंड साहिब के दस किमी दायरे में आपातकालीन सुविधाएं उपलब्ध कराने, छह माह में बद्रीनाथ, रुद्रप्रयाग, गोपेश्वर, सोनप्रयाग, देवप्रयाग में कूड़ा निस्तारण प्रबंध तंत्र बनाने, फूलों की घाटी की सैर पर जाने वाले पर्यटकों को न्यूनतम शुल्क पर ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा प्रदान करने, फूलों की घाटी को प्लास्टिक फ्री जोन बनाने, नुकसान पहुंचाने वाले को दस हजार जुर्माना लगाने के आदेश थे।
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