केंद्रीय मंत्रियों के भ्रष्टाचार और कालाधन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पीएमओ से किया जवाब-तलब
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्रियों के भ्रष्टाचार व कालाधन से संबंधित मामले में सुनवाई करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 01 Feb 2020 09:59 AM (IST)
नैनीताल, किशोर जोशी : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्रियों के भ्रष्टाचार व कालाधन से संबंधित मामले में सुनवाई करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव व न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की खंडपीठ ने उत्तराखंड कैडर के चर्चित आइएफएस व मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।
संजीव ने पीएमओ से आरटीआइ के तहत मांगी थी जानकारी यह मामला अगस्त 2017 का है, जब संजीव ने पीएमओ में आरटीआइ लगाकर सूचना मांगी थी कि किन-किन केंद्रीय मंत्रियों के भ्रष्टाचार की शिकायत पीएमओ से की गई है, पीएम नरेंद्र मोदी ने इन शिकायतों की क्या जांच कराई, इन जांच रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई हुई, इससे संबंधित दस्तावेज मांगे गए थे। इसके साथ ही मोदी सरकार द्वारा विदेशों से अब तक कितना काला धन लाया गया तथा कितना आम जनता के बीच बांटा गया, इसका भी ब्यौरा उपलब्ध कराने को कहा था, पीएमओ ने इन सूचनाओं को अस्पष्ट तथा सूचना का अधिकार कानून के दायरे से बाहर का बताकर ब्यौरा देने से इन्कार कर दिया था।
सीआइसी ने पीएमओ को दिए थे सूचना मुहैया कराने के आदेश
इसके बाद मामला केंद्रीय सूचना आयोग पहुंचा। आयोग ने अक्टूबर 2018 में संजीव के पक्ष में आदेश पारित करते हुए सूचना मुहैया कराने के आदेश पीएमओ को दिए थे। इस आदेश के बाद भी पीएमओ ने यह कहते हुए सूचना देने से मना कर दिया था कि मंत्रियों के भ्रष्टाचार की शिकायत के मामले में रिकार्ड इतने अधिक हैं कि उनको सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा-सात (नौ)के अंतर्गत दिया जाना संभव नहीं है।
पीएमओ ने कहा-सूचना देने से प्रभावित होगी जांच पीएमओ ने दोबारा काले धन की सूचना यह कहते हुए देने से मना कर दिया कि इस मामले में सूचना देने से जांच प्रभावित होगी। इसके बाद मामला दोबारा केंद्रीय सूचना आयोग पहुंचा, जहां आयोग ने मंत्रियों के भ्रष्टाचार से संबंधित सूचना उपलब्ध कराने के दोबारा आदेश दिए, लेकिन काले धन के मुद्दे पर केंद्रीय सूचना आयोग ने पीएमओ की दलील स्वीकार कर ली।
संजीव की दलील, जनप्रतिनिधियों के भ्रष्ट आचरण को जानने का है अधिकार इसके बाद संजीव ने दिल्ली हाई कोर्ट में मामला दाखिल किया, जहां पहले एकलपीठ ने याचिका को खारिज कर दी। पिछले साल दिसंबर में संजीव द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट के इन आदेशों के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की। उन्होंने यह कहते हुए हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी कि प्रजातंत्र में चुने हुए प्रतिनिधियों के भ्रष्ट आचरण के बारे में सूचना प्राप्त करना हर नागरिक का अधिकार है। साथ ही यह भी दलील दी कि केंद्रीय सूचना आयोग अपने आदेश को रिव्यू कर बदल नहीं सकता। उन्होंने एसएलपी में यह भी कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग के निर्णय को गलत तरीके से उद्दधृत किया है। केंद्रीय आयोग ने भी मंत्रियों के भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों की जानकारी देने के आदेश पारित किए थे, जिसे दिल्ली हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया था।
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