Surya Grahan 2023: साल का पहला दुर्लभ सूर्यग्रहण आज, भारत में नहीं दिखेगा; जानें कितने प्रकार के होते हैं
Surya Grahan 2023 साल का पहला सूर्यग्रहण गुरुवार यानी आज लगने जा रहा है। यह संकर (हाईब्रिड) सूर्यग्रहण होगा। दुनिया के सीमित हिस्सों में देखे जाने वाला यह ग्रहण भारत में भी नहीं दिखेगा। इससे पहले संकर सूर्यग्रहण 2013 में दिखा और आगे 2031 में लगेगा।
By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Thu, 20 Apr 2023 08:55 AM (IST)
जागरण संवाददाता, नैनीताल: साल का पहला सूर्यग्रहण गुरुवार यानी आज लगने जा रहा है। यह संकर (हाईब्रिड) सूर्यग्रहण होगा। दुनिया के सीमित हिस्सों में देखे जाने वाला यह ग्रहण भारत में भी नहीं दिखेगा। भारतीय समयानुसार यह ग्रहण 20 अप्रैल सुबह 7:04 बजे शुरू होगा और दोपहर 12:29 बजे समाप्त हो जाएगा।
इससे पहले संकर सूर्यग्रहण 2013 में दिखा और आगे 2031 में लगेगा। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) नैनीताल के निदेशक प्रो. दीपांकर बनर्जी ने बताया कि इस वर्ष सिर्फ चार ग्रहण लगेंगे। जिनमें दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्रग्रहण होंगे। 20 अप्रैल को लगने जा रहा ग्रहण हाईब्रिड यानी संकर सूर्यग्रहण होगा। इस ग्रहण का पाथ संकरा होने के कारण इसे संकर ग्रहण कहा जाता है।
कब लगता है ग्रहण का सूतक या सुत्तक?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रहण में 12 घंटे पहले सुत्तक व चंद्र ग्रहण में 9 घंटा पहले सुत्तक लग जाता है। इस समय पूजा पाठ मंदिर का कपाट आदि बंद रहते हैं।इस साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण सिंगापुर, थाईलैंड, ताइवान, मलेशिया, फिजी, जापान, कंबोडिया, चीन, अमेरिका, इंडोनेशिया, सोलोमन, बरूनी, अंटार्कटिका, आस्ट्रेलिया, दक्षिण हिंद महासागर, दक्षिण प्रशांत महासागर न्यूजीलैंड, वियतनाम और फिलीपींस जैसे देशों में दिखाई देगा।
यहां रहने वाले लोगों के लिए सुत्तक पात्तक मान्य होंगे। विशेषकर गर्भवतियों एवं अन्य महिलाओं-पुरुषों का ग्रहण काल की अवधि में भोजन, शयन, सहवास आदि से दूरी बनाना ही श्रेयस्कर रहेगा। उन्होंने कहा कि आस्ट्रेलिया के शहर एक्समाऊथ में सूर्य ग्रहण का असर सबसे ज्यादा रहेगा।
चार प्रकार के होते हैं सूर्यग्रहण
पृथ्वी व सूर्य के बीच चंद्रमा के आ जाने से सूर्यग्रहण की खगोलीय घटना होती है। एरीज के पूर्व सौर विज्ञानी डा. वहाबउद्दीन के अनुसार आंशिक सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा से सूर्य का केवल एक हिस्सा ढका रहता है। पूर्ण सूर्य ग्रहण में चंद्रमा की छाया पूरी तरह से सूर्य को ढक लेती है। विज्ञानियों के अध्ययन के लिहाज से पूर्ण सूर्य ग्रहण अधिक महत्वपूर्ण होता है।
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