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शिक्षिकाएं किताबी ज्ञान के साथ जल संरक्षण का भी पढ़ा रहीं पाठ nainital news

दोनों शिक्षिकाओं ने घर पर छत से गिरने वाले बरसाती पानी को स्टोर करने की व्यवस्था की है। इसी पानी को वह बागवानी समेत अन्य घरेलू कामों के लिए सालों से प्रयोग कर रही हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 04 Jan 2020 06:24 PM (IST)
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शिक्षिकाएं किताबी ज्ञान के साथ जल संरक्षण का भी पढ़ा रहीं पाठ nainital news
हल्द्वानी, जेएनएन : भूजल के घटते जलस्तर पर चिंतित शहर की दो शिक्षिकाएं बरसात के जल का संरक्षण करने के साथ ही छात्र-छात्राओं को भी इसके लिए जागरूक कर रही हैं। दोनों शिक्षिकाओं ने घर पर छत से गिरने वाले बरसाती पानी को स्टोर करने की व्यवस्था की है। इसी पानी को वह बागवानी समेत अन्य घरेलू कामों के लिए सालों से प्रयोग कर रही हैं। यही नहीं, वह घर पर आने वाले व्यक्ति को वर्षा जल संचय की विधि व फायदे बताकर प्रेरित भी कर रही हैं।

पानी की किल्लत देख की जलसंचय की शुरुआत

जज फार्म में रहने वाली डॉ. मंजू पांडे 'उदिताÓ राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय मुखानी में शिक्षिका हैं। वह बताती हैं कि उनके क्षेत्र में अक्सर पेयजल की किल्लत हो जाती है। नलकूप फुंकने से सप्ताह से भी अधिक समय तक नल सूखे रहते हैं। ऐसे में लोगों का निजी टैंकरों से पानी खरीदना मजबूरी बन जाता है, जबकि बरसात में छत से गिरने वाला हजारों लीटर पानी नालियों में बह जाता है। दो साल पहले उनके मन में वर्षा जल संचय का विचार आया। उन्होंने छत से सभी डाउनपाइप को आपस में इंटरकनेक्ट कर एक टैंक से जोड़ दिया। तब से उनके घर पर पानी की कमी कभी नहीं रही। वह इस पानी से बागवानी के साथ ही साग-सब्जियों का भी गमलों में उत्पादन कर रही हैं।

बच्चों को रोजाना पानी बचाने के लिए कर रहीं प्रेरित

जज फार्म में ही रहने वाली शांति जीना लालडांठ स्थित एक स्कूल की संचालिका हैं। बताती हैं कि पांच साल पहले उन्होंने अपने घर पर वर्षा जल संचय के लिए काम शुरू किया। करीब 10 हजार लीटर के टैंक से उन्होंने छत के डाउनपाइपों को जोड़ रखा है। इससे उनके घर पर पानी का संकट नहीं रहता है। वह बताती हैं कि स्कूल में रोजाना सुबह प्रार्थना के समय होने वाले जागरूकता संदेश में वह अक्सर बच्चों को पानी का महत्व बताती हैं।

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