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Tehri Dam: बांध प्रभावितों को नहीं मिल रही मूलभूत सुविधा, HC ने एमडीडीए और राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट

Tehri Dam उत्तराखंड हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार एमडीडीए सहित संबंधित विभागों से 12 जुलाई तक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। सरकार द्वारा 12 जुलाई को पेश की जाने वाली रिपोर्ट पर ही हाई कोर्ट सुनवाई करेगा।

By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Wed, 24 May 2023 03:14 PM (IST)
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हाई कोर्ट ने राज्य सरकार, एमडीडीए व अन्य से मांगी विस्तृत रिपोर्ट
नैनीताल, जागरण संवाददाता। टिहरी बांध परियोजना से प्रभावित विस्थापित परिवारों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलने का मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया है। हाई कोर्ट में हरिद्वार जिले के सुमन नगर में टिहरी बांध विस्थापितों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहने के मामले में बुधवार को सुनवाई हुई।

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार, एमडीडीए, सहित संबंधित विभागों से 12 जुलाई तक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। सरकार द्वारा 12 जुलाई को पेश की जाने वाली रिपोर्ट पर ही हाई कोर्ट सुनवाई करेगा। बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी।

लोगों को विस्थापित तो कर दिया, लेकिन सुविधा नहीं

बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हरिद्वार की जनकल्याण समिति की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें दायर ने कहा है कि राज्य सरकार की ओर से टिहरी बांध विस्थापितों का हरिद्वार के सुमन नगर में पुनर्वास किया गया है। वहां पर अभी तक स्कूल, सीवर लाइन, अस्पताल सहित कई अन्य बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, इन सुविधाओं के लिए विस्थापितों को अन्य जगह जाना पड़ता है।

सरकार से विस्थापित परिवारों ने की थी अपील

याचिका में विस्थापितों को जरूरी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सरकार को निर्देश देने की प्रार्थना की है। याचिकाकर्ता के अनुसार इससे पूर्व विस्थापितों की ओर से राज्य सरकार व प्रशासन को कई बार ज्ञापन दिया जा चुका है, मगर अब तक कोई हल नहीं निकाला गया। याचिका में यह भी कहा गया कि विस्थापितों के आसपास भू माफिया ने मल्टीस्टोरी भवन बना दिए हैं, जिसकी वजह से उन्हें कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है।

नहीं मिल रही मूलभूत सुविधा

टिहरी बांध परियोजना से प्रभावित परिवारों को दूसरे स्थान पर विस्थापित तो कर दिया गया, लेकिन अभी तक उन्हें मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। न ही स्कूल हैं और न ही यहां अस्पताल है। लोग अपना सबकुछ छोड़कर तो आ गए, लेकिन उन्हें अपना गुजर बसर करने के लिए अभी भी सरकार के सहयोग का सहारा है। 

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