दस माह की प्रसूता ने अस्पताल के पर्ची काउंटर पर पांच किलो के बच्चे को दिया जन्म, जानिए
जिला चिकित्सालय में सोमवार को अजीबोगरीब मामला सामने आया। सुबह एक प्रसूता अपने पति के साथ प्रसव कराने के लिए पहुंची। रिपोर्ट देखने पर पता चला गर्भावस्था को दस माह हो चुके हैं।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 15 Apr 2019 05:08 PM (IST)
चम्पावत, जेएनएन : जिला चिकित्सालय में सोमवार को स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली और गरीब की मजबूरी का मामला सामने आया। विशेषज्ञ न होने से जिला चिकित्सालय ने 10 माह की प्रसूता को रेफर कर दिया। वहीं डेढ़ घंटे तक सरकारी एंबुलेंस का इंतजार करते रहा प्रसूता का काश्तकार पति पैदल ही उसे एक किमी दूर बैंक ले गया। जहां से पत्नी के खाते से पैसे निकालने के बाद उसे निजी वाहन से पिथौरागढ़ ले जाना था। बैंक में प्रसूता का दर्द बढऩे लगा तो किसी तरह एक वाहन से लिफ्ट लेकर पति फिर जिला चिकित्सालय लेकर आया। वहां अस्पताल के पीछे बने पर्ची काउंटर पर ही महिला ने बच्चे को जन्म दे दिया। तब अस्पताल प्रशासन के हाथ पैर फूल गए और तुरंत महिला व बच्चे को भर्ती कराया गया।
चम्पावत से करीब 23 किमी दूर ग्राम बुड़ाखेत सिप्टी निवासी भावना देवी (35) को सोमवार सुबह प्रसव पीड़ा हुई। पति दिनेश राम उसे 1200 रुपये में वाहन बुक कराकर जिला चिकित्सालय लेकर पहुंचे। वहां डॉ. वर्षा ने महिला की रिपोर्ट देखी तो पता चला कि 13 अप्रैल को गर्भ काल दस माह हो चुका है। महिला छठीं बार गर्भधारण किए हुए थी। डॉक्टर ने भावना को सुबह साढ़े आठ बजे पिथौरागढ़ जिला चिकित्सालय के लिए रेफर कर दिया। जेब में रकम न होने के चलते खेती व मजदूरी करने वाले पति दिनेश राम ने 108 एंबुलेंस सेवा को फोन किया। करीब डेढ़ बीत गया, लेकिन सरकारी एंबुलेंस नहीं पहुंची। पत्नी की हालत देख दिनेश उसे पिथौरागढ़ निजी वाहन से ही ले जाने लगा। इससे पहले वह भावना को अस्पताल से करीब एक किमी दूर बैंक तक पैदल ले गया। बैंक में पत्नी के नाम से ही खाता था, जिससे उन्हें रकम निकालनी थी। खाते से रकम निकालने के दौरान भावना का दर्द और बढऩे लगा तो दिनेश उसे जिला अस्पताल ही लेकर आने लगा। इस बीच कई वाहनों को रोका भी, लेकिन आखिर में एक परिचित चालक ने दोनों को अस्पताल पहुंचाया। पर्ची काउंटर पर भावना का दर्द असहनीय हो गया और उसने वहीं बच्चे को जन्म दे दिया। करीब 11:40 अस्पताल स्टाफ व डॉक्टरों को इसका पता लगा तो हलचल मच गई। चिकित्सक व अन्य स्टॉफ तुरंत वहां पहुंचे। बच्चे की नाल काटी गई और प्रसव कक्ष में ले जाया गया। इस दौरान दिनेश ने पूरे वाकये की मोबाइल पर वीडियो भी बना ली।
चम्पावत से करीब 23 किमी दूर ग्राम बुड़ाखेत सिप्टी निवासी भावना देवी (35) को सोमवार सुबह प्रसव पीड़ा हुई। पति दिनेश राम उसे 1200 रुपये में वाहन बुक कराकर जिला चिकित्सालय लेकर पहुंचे। वहां डॉ. वर्षा ने महिला की रिपोर्ट देखी तो पता चला कि 13 अप्रैल को गर्भ काल दस माह हो चुका है। महिला छठीं बार गर्भधारण किए हुए थी। डॉक्टर ने भावना को सुबह साढ़े आठ बजे पिथौरागढ़ जिला चिकित्सालय के लिए रेफर कर दिया। जेब में रकम न होने के चलते खेती व मजदूरी करने वाले पति दिनेश राम ने 108 एंबुलेंस सेवा को फोन किया। करीब डेढ़ बीत गया, लेकिन सरकारी एंबुलेंस नहीं पहुंची। पत्नी की हालत देख दिनेश उसे पिथौरागढ़ निजी वाहन से ही ले जाने लगा। इससे पहले वह भावना को अस्पताल से करीब एक किमी दूर बैंक तक पैदल ले गया। बैंक में पत्नी के नाम से ही खाता था, जिससे उन्हें रकम निकालनी थी। खाते से रकम निकालने के दौरान भावना का दर्द और बढऩे लगा तो दिनेश उसे जिला अस्पताल ही लेकर आने लगा। इस बीच कई वाहनों को रोका भी, लेकिन आखिर में एक परिचित चालक ने दोनों को अस्पताल पहुंचाया। पर्ची काउंटर पर भावना का दर्द असहनीय हो गया और उसने वहीं बच्चे को जन्म दे दिया। करीब 11:40 अस्पताल स्टाफ व डॉक्टरों को इसका पता लगा तो हलचल मच गई। चिकित्सक व अन्य स्टॉफ तुरंत वहां पहुंचे। बच्चे की नाल काटी गई और प्रसव कक्ष में ले जाया गया। इस दौरान दिनेश ने पूरे वाकये की मोबाइल पर वीडियो भी बना ली।
पांच किलो नवजात का वजन
दस माह बाद महिला ने पुत्र को जन्म दिया। जिसका वजन पांच किग्रा निकला, जो सामान्य से अधिक है। सामान्यतया नवजात का वजन ढाई से साढ़े तीन किलो रहता है। लंबे समय से की जा रही है गाइनोकोलॉजिस्ट की मांग
क्षेत्र के लोगों द्वारा लंबे समय से जिला चिकित्सालय में गाइनोकोलॉजिस्ट की मांग की जा रही है। लेकिन अभी तक चिकित्सालय में नियुक्ति न होने से प्रसव के कई मामलों को रेफर करना पड़ता है। जिससे गर्भवती महिला व परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
दस माह बाद महिला ने पुत्र को जन्म दिया। जिसका वजन पांच किग्रा निकला, जो सामान्य से अधिक है। सामान्यतया नवजात का वजन ढाई से साढ़े तीन किलो रहता है। लंबे समय से की जा रही है गाइनोकोलॉजिस्ट की मांग
क्षेत्र के लोगों द्वारा लंबे समय से जिला चिकित्सालय में गाइनोकोलॉजिस्ट की मांग की जा रही है। लेकिन अभी तक चिकित्सालय में नियुक्ति न होने से प्रसव के कई मामलों को रेफर करना पड़ता है। जिससे गर्भवती महिला व परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
इस कारण से किया गया रेफर
सीएमएस जिला चिकित्सालय डॉ. आरके जोशी ने बताया कि महिला की गर्भावस्था को दस माह से अधिक हो गया था और चिकित्सालय में गाइनोकोलॉजिस्ट नहीं है। बिना गाइनोकोलॉजिस्ट के प्रसव कराना महिला व बच्चे के लिए घातक हो सकता था। जिस कारण महिला को रेफर किया गया था। अस्पताल की ओर से भी पहले 108 एंबुलेंस का फोन किया गया था। बाद में जब दोबारा प्रसूता को लाया गया तो दोनों का उपचार किया गया। जिला चिकित्सालय में सोमवार को अजीबोगरीब मामला सामने आया। सुबह एक प्रसूता अपने पति के साथ प्रसव कराने के लिए पहुंची। रिपोर्ट देखने पर पता चला गर्भावस्था को दस माह हो चुके हैं। स्थिति गंभीर देखते हुए चिकित्सकों ने उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया और 108 भी मंगवाई, फिर भी पति गर्भवती को हायर सेंटर नहीं ले गया। बाद में महिला ने चिकित्सालय के पीछे पांच किलो के शिशु को जन्म दिया। चिकित्सकों ने बमुश्किल बच्चे व मां को संभाला। इस दौरान पति की हरकतें स्तब्ध करने वाली रहीं।
सीएमएस जिला चिकित्सालय डॉ. आरके जोशी ने बताया कि महिला की गर्भावस्था को दस माह से अधिक हो गया था और चिकित्सालय में गाइनोकोलॉजिस्ट नहीं है। बिना गाइनोकोलॉजिस्ट के प्रसव कराना महिला व बच्चे के लिए घातक हो सकता था। जिस कारण महिला को रेफर किया गया था। अस्पताल की ओर से भी पहले 108 एंबुलेंस का फोन किया गया था। बाद में जब दोबारा प्रसूता को लाया गया तो दोनों का उपचार किया गया। जिला चिकित्सालय में सोमवार को अजीबोगरीब मामला सामने आया। सुबह एक प्रसूता अपने पति के साथ प्रसव कराने के लिए पहुंची। रिपोर्ट देखने पर पता चला गर्भावस्था को दस माह हो चुके हैं। स्थिति गंभीर देखते हुए चिकित्सकों ने उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया और 108 भी मंगवाई, फिर भी पति गर्भवती को हायर सेंटर नहीं ले गया। बाद में महिला ने चिकित्सालय के पीछे पांच किलो के शिशु को जन्म दिया। चिकित्सकों ने बमुश्किल बच्चे व मां को संभाला। इस दौरान पति की हरकतें स्तब्ध करने वाली रहीं।
ग्राम बुड़ाखेत सिप्टी निवासी भावना देवी (35) पत्नी दिनेश राम सोमवार सुबह प्रसव कराने के लिए आए। डॉ. वर्षा ने महिला की एलएमपी रिपोर्ट देखी तो पता चला कि महिला को बीते 13 अप्रैल को दस माह हो चुके हैं, यह महिला का छठा बच्चा है और अभी तक प्रसव नहीं हुआ। जिसे देखते हुए डॉक्टर ने गर्भवती को सुबह साढे आठ बजे पिथौरागढ़ जिला चिकित्सालय के लिए रेफर कर दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए सीएमओ डॉ. आरपी खंडूरी ने 108 भी बुलवा ली। लेकिन महिला का पति उसे लेकर चिकित्सालय के पीछे की ओर चला गया। 11:40 बजे किसी ने डॉक्टरों को सूचना दी कि महिला ने चिकित्सालय के पीछे की ओर एक बच्चे को जन्म दिया है। जिससे अस्पताल में हलचल मच गई। चिकित्सक व अन्य स्टॉफ तुरंत वहां पहुंचे। प्रसव के उपकरण मंगाकर बच्चे की नाल काटी गई और प्रसव कक्ष में ले जाया गया। चिकित्सकों ने बताया इस दौरान महिला का पति पूरी घटना की मोबाइल पर रिकार्डिंग कर रहा था। प्रसव के बाद से महिला का पति चिकित्सालय से गायब हो गया।
बहुत अधिक हो गई थी ब्लीडिंग प्रसव बाहर होने और सूचना के बाद उपचार के इंतजाम करने तक महिला को काफी ब्लीडिंग हो गई थी और शिशु का शरीर भी नीला पड़ गया था। लेबर रूम में भर्ती करने के बाद डॉक्टरों ने बच्चे व मां की स्थिति को मुश्किल से सामान्य किया।
पांच किलो नवजात का वजन दस माह बाद महिला ने लड़के को जन्म दिया। जिसका वजन करने पर पांच किग्रा निकला जो सामान्य से अधिक है। सामन्य बच्चों का वजन ढाई से साढ़े तीन किलो रहता है।
लंबे समय से की जा रही है गाइनोकोलोजिस्ट की मांग क्षेत्र के लोगों द्वारा लंबे समय से जिला चिकित्सालय में गाइनोकोलोजिस्ट की मांग की जा रही है। लेकिन अभी तक चिकित्सालय में गाइनो के न आने से प्रसव के कई गंभीर मामलों को रेफर करना पड़ता है। जिससे गर्भवती महिला व परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
इस कारण से किया गया रेफर सीएमएस जिला चिकित्सालय डॉ. आरके जोशी ने बताया कि महिला की गर्भावस्था को दस माह से अधिक समय हो गया था और चिकित्सालय में गाइनोकोलोजिस्ट नहीं है। बिना गाइनोकोलोजिस्ट के प्रसव कराना महिला व बच्चे के लिए घातक हो सकता था। जिस कारण महिला को रेफर किया गया था।यह भी पढ़ें : दो सप्ताह में 40 फीसद तक बढ़े फलों के दाम, गर्मी को बताया जा रहा कीमत बढऩे की वजह
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