जल निगम व जलसंस्थान के कर्मियों के एकीकरण की उम्मीदें जगीं
जलसंस्थान व जल निगम के एकीकरण के साथ ही राजकीयकरण पर सरकार के सैद्धांतिक सहमति देने से हजारों कर्मचारियों की उम्मीदें जग गई है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 03 Mar 2019 11:58 AM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : जलसंस्थान व जल निगम के एकीकरण के साथ ही राजकीयकरण पर सरकार के सैद्धांतिक सहमति देने से हजारों कर्मचारियों की उम्मीदें जग गई है। अफसर से लेकर कर्मचारी तक जल्द राजकीयकरण होने से सालों पुरानी मांग पूरी होने की संभावना जता रहे हैं। इससे उनकी वेतन से लेकर पेंशन तक की समस्याएं दूर हो जाएंगी। वित्त एवं पेयजल मंत्री की वित्त, कार्मिक व न्यायालय विभाग के अफसरों के साथ बैठक में जल निगम व जल संस्थान का एकीकरण कर राजकीय विभाग बनाने का खाका तैयार किया गया था। इसमें पेयजल सचिव ने अपने महकमे की ओर से पक्ष रखा था। इसमें राजकीयकरण से जुड़े मामलों को सुझाने के बाद प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष रखने का निर्णय हुआ। वहीं पेयजल के दोनों महकमों के राजकीयकरण से साढ़े छह हजार कर्मचारियों की उम्मीदों को बल मिला है।|
यहां बताते चलें कि उत्तराखंड में जल संस्थान के 3051 पद स्वीकृत हैं, जबकि महकमे में 2376 नियमित कर्मचारी ही कार्यरत हैं। इसमें मुख्य महाप्रबंधक से लेकर चतुर्थ श्रेणी तक के नियमित कर्मचारी शामिल हैं। इसके अलावा महकमे में 350 उपनल, एक संविदा व एक दैनिक वेतन भोगी कर्मी है, जबकि जल निगम में भी लगभग इतने ही कर्मचारी कार्यरत हैं। दोनों महकमों के अफसरों के मुताबिक विभागों के राजकीयकरण होने से कर्मचारियों को तमाम सुविधाएं मिलने लगेंगी। जल निगम में बजट के अभाव में महीनों तक वेतन न मिलने की समस्या दूर होने से कर्मचारियों को काफी राहत मिलेगी। साथ ही कर्मचारियों व सेवानिवृत्त कर्मचारियों के देयकों का भी समय से भुगतान होने लगेगा।
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