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ब्‍लड डोनेट करने में डरें नहीं, अब ब्लड का वही तत्‍व निकलेगा जिसकी होगी जरूरत

रक्तदान से कमजोरी महसूस करने वालों को डरने की जरूरत नहीं है। एसटीएच में ऐसी मशीन लगी है जिससे पूरा रक्‍त नहीं देना होगा बल्कि रक्‍त के जरूरी तत्‍वों का दान किया जा सकेगा।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 18 Sep 2019 12:08 PM (IST)
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ब्‍लड डोनेट करने में डरें नहीं, अब ब्लड का वही तत्‍व निकलेगा जिसकी होगी जरूरत
हल्द्वानी, गणेश जोशी : रक्तदान से कमजोरी महसूस करने वालों को डरने की जरूरत नहीं है। अब डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में ऐसी मशीन लग रही है, जिसके चलते रक्तदान करने पर पूरा रक्त नहीं देना होगा। जरूरत के अनुसार ही रक्त के तत्वों को दान कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को अफरेसिस कहा जाता है। इसके लिए विशेष मशीन मंगाने को राजकीय मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है। इसकी कीमत 30 लाख रुपये से अधिक है।

ये है अफरेसिस की पूरी प्रक्रिया 

रक्तदाता से रक्त लेने के दो तरीके हैं। पहला यह कि रक्तदाता के नसों से सीधे रक्त ले लिया जाता है। इसके बाद कंपोनेंट सेपरेटर में इसे लाल रक्त कोशिकाओं व प्लाज्मा में विभाजित किया जाता है। वहीं दूसरे तरीके में डोनर से सीधे रक्त लेकर मशीन में ही इसे अलग-अलग तत्वों में विभाजित कर लिया जाता है। अगर प्लेटलेट्स की जरूरत है तो उसे बाहर निकाल लिया जाता है, बाकी प्लाज्मा व अन्य तत्वों को वापस शरीर में ही डाल दिया जाता है। यह प्रक्रिया अफरेसिस कहलाती है। यह विशेष रूप से तैयार मशीन से ही संभव है।

एक बार में 30 हजार से अधिक बढ़ जाते हैं प्लेटलेट्स

अफरेसिस प्रक्रिया से एक बार में मरीज में 30 से 40 हजार प्लेटलेट्स बढ़ जाते हैं। पहले इतने प्लेटलेट्स के लिए सात-आठ लोगों को रक्तदान करना पड़ता था, लेकिन अब एक व्यक्ति के रक्तदान करने से ही इतने प्लेटलेट्स एक मरीज को मिल जाएंगे। इससे डेंगू मरीजों को बहुत अधिक लाभ मिलेगा।

यह भी है जरूरी 

ब्लड डोनर व मरीज का ब्लड गु्रप एक होना चाहिए। डोनर के प्लेटलेट्स काउंट डेढ़ लाख से अधिक होने चाहिए।वहीं डॉ. सलोनी उपाध्याय, ब्लड बैंक इंचार्ज, एसटीएच ने बताया कि अफरेसिस के लिए मशीन लगाने के लिए दो साल से प्रक्रिया चल रही है। इसके लगने से मरीजों को काफी हद तक लाभ मिलेगा। उम्मीद है जल्द ही मशीन लग जाएगी।

कुमाऊं के लोगों को मिलेगा इसका लाभ

प्रो. सीपी भैंसोड़ा, प्राचार्य, राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी ने बताया कि अस्पताल में फैकल्टी व संसाधन बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। अफरेसिस के लिए भी टेंडर हो चुका है। निश्चित तौर पर इसका लाभ कुमाऊं भर के मरीजों को मिलेगा।

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