चांद पर है कर्इ भ्रांतियों का ग्रहण, अनसुलझे रहस्यों से नहीं उठा पर्दा
चांद पर आज भी कर्इ भ्रांतियों का ग्रहण लगा हुआ है। चांद की उत्पत्ति, प्राकृतिक बनावट जैसे प्रश्न आज भी अनसुलझे हैं। इन रहस्यों के निकट भविष्य में खुलने की उम्मीद है।
धरती के इस एकमात्र उपग्रह की उत्पत्ति को लेकर माना जाता है कि कभी यह पृथ्वी का हिस्सा था, जो किसी पिंड के धरती से टकराने के बाद अलग हो गया और पृथ्वी का उपग्रह बन गया। इसके अलावा किसी अन्य सौरमंडल के होने को लेकर कहा जाता है कि वह छिटक कर धरती के करीब आ गया और पृथ्वी के ग्रेविटी में फंसकर रह गया। इसकी उत्पत्ति पृथ्वी से पहले होने की बात भी कही जाती है। इतना ही नहीं, इसके प्राकृतिक होने पर भी संदेह जताया जाता है।
वह प्राकृतिक उपग्रह न होकर उन्नत परग्रहियों द्वारा निर्मित सेटेलाइट है, जिसे धरती की निगरानी के लिए छोड़ दिया गया हो और निरंतर पृथ्वी की नजर रखता है। चांद का वजन भी इसके प्राकृतिक नहीं होने के ओर इशारा करता है। कुछ वैज्ञानिकों का मत है कि चांद का भार अपने आकार के सापेक्ष बेहद कम है। भीतर से खोखला होने के कारण इसके भार में कमी बताई जाती है। हो सकता है कि इसके भीतर एलियंस द्वारा बनाई प्रयोगशाला है। चांद के धरातल में बने बेहिसाब गड्ढ़े एलियंस के बीच हुए युद्ध के प्रमाण हैं, जबकि वैज्ञानिकों का मत है कि उल्का पिंडों की मार के कारण यह गड्ढे बने हैं। चांद पर एलियंस का ठिकाना होने की चर्चाएं विदेशों में आम हैं। यह तमाम भ्रातिंया हैं, जिन्हें लेकर वैज्ञानिकों के अपने-अपने मत हैं।
चांद न होता तो सिर्फ छह घंटे होता दिन
चांद अपने आप में बेहद रोचक है। यदि चांद धरती का उपग्रह नहीं होता तो धरती का एक दिन मात्र छह घंटे का होता। धरती से चांद का सिर्फ लगभग आधा हिस्सा दिखाई देता है, जो भाग नही दिखाई देता वह ज्यादा खूबसूरत है। यदि हम चांद पर चले जाएं तो हमारा वजन घटकर छह गुना कम हो जाएगा। यह ग्रेविटी में अंतर के कारण होता है। धरती की तुलना में चांद पर इंटरनेट कई गुना अधिक अच्छा चलता है। नासा ने वहां वाई-फाई की सुविधा उपलब्ध करा दी है।
चांद पर स्पेस स्टेशन बनने के बाद आसान होगा शोध
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के पूर्व निदेशक व वरिष्ठ सौर वैज्ञानिक डॉ. वहाबउदद्ीन का कहना है कि चांद की अनेक जानकारियों वैज्ञानिक जुटा चुके हैं। अब वैज्ञानिक तकनीक इतनी उन्नत हो चुकी हैं कि वह अन्य रहस्यों पर से जल्द पर्दा उठेगा। फिलहाल नासा समेत दुनिया की अन्य बड़ी स्पेस एजेंसियां चांद पर स्पेस स्टेशन बनाने जा रहे हैं, जिनसे अंतरिक्ष के शोध में आसानी हो जाएगी।
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