साह-चौधरी समाज को साधने के लिए माेदी सरकार ने दिया अनूप साह को पद्मश्री !
अनूप साह को पद्मश्री देकर कुमाऊं के कला, संस्कृति व प्रकृति प्रेमियों के साथ ही यहां की परंपरा, लोक संस्कृति सहेजने वाले साह-चौधरी समाज को खुश कर दिया है।
By Edited By: Updated: Mon, 28 Jan 2019 08:07 PM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : मोदी सरकार ने चुनावी साल में नैनीताल के अंतरराष्ट्रीय छायाकार अनूप साह को पद्मश्री देकर कुमाऊं के कला, संस्कृति व प्रकृति प्रेमियों के साथ ही यहां की परंपरा, लोक संस्कृति सहेजने वाले साह-चौधरी समाज को खुश कर दिया है। इसके सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। सरकार के इस फैसले का धुर विरोधी संगठनों व शख्सियतों ने भी खुलकर समर्थन किया है, जिससे विपक्षी भी हक्के-बक्के रह गए हैं। अब बीजेपी आम चुनाव में इसे कुमाऊं की अस्मिता के सम्मान के तौर पर पेश कर सकती है।
दरअसल, नैनीताल समेत अल्मोड़ा, द्वाराहाट, बागेश्वर, नाकुरी, रवाड़ी, रानीखेत, पिथौरागढ़, चम्पावत, लोहाघाट में व्यापार के क्षेत्र में 10-15 फीसद योगदान साह-चौधरी समाज का है। कुमाऊं में करीब 50 हजार की आबादी के लिहाज से यहां बड़ी संख्या न हो, मगर चुनाव में यह समाज किंग मेकर की भूमिका में रहा है। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष मनोज साह कहते हैं कि कांग्रेस ने कभी भी कला, संस्कृति संरक्षकों का सम्मान नहीं दिया। पहली बार मिला पद्म पुरस्कार मूल रूप से अल्मोड़ा निवासी साहित्यकार रमेश चंद्र साह को हाल ही में साहित्य अकादमी सम्मान मिला था।
मगर पहली बार समाज के अनूप साह को सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्मश्री सम्मान मिला है। अंतरराष्ट्रीय छायाकार अनूप साह पर्यावरणर्विद, प्रकृति प्रेमी तथा पर्वतारोही भी हैं। साह-चौधरी समाज के अध्यक्ष प्रो. जीएल साह बताते हैं कि समाज को कुमाऊं की लोकसंस्कृति, पंरपरा, कला को सहेजने वाला व संरक्षक माना जाता है। कुमाऊं की शादी परंपरा में आज भी पिछौड़ा, नथ, सोने के अन्य जेवर दिखाई देते हैं तो इसका श्रेय साह-चौधरी समाज को ही जाता है।
दरअसल, नैनीताल समेत अल्मोड़ा, द्वाराहाट, बागेश्वर, नाकुरी, रवाड़ी, रानीखेत, पिथौरागढ़, चम्पावत, लोहाघाट में व्यापार के क्षेत्र में 10-15 फीसद योगदान साह-चौधरी समाज का है। कुमाऊं में करीब 50 हजार की आबादी के लिहाज से यहां बड़ी संख्या न हो, मगर चुनाव में यह समाज किंग मेकर की भूमिका में रहा है। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष मनोज साह कहते हैं कि कांग्रेस ने कभी भी कला, संस्कृति संरक्षकों का सम्मान नहीं दिया। पहली बार मिला पद्म पुरस्कार मूल रूप से अल्मोड़ा निवासी साहित्यकार रमेश चंद्र साह को हाल ही में साहित्य अकादमी सम्मान मिला था।
मगर पहली बार समाज के अनूप साह को सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्मश्री सम्मान मिला है। अंतरराष्ट्रीय छायाकार अनूप साह पर्यावरणर्विद, प्रकृति प्रेमी तथा पर्वतारोही भी हैं। साह-चौधरी समाज के अध्यक्ष प्रो. जीएल साह बताते हैं कि समाज को कुमाऊं की लोकसंस्कृति, पंरपरा, कला को सहेजने वाला व संरक्षक माना जाता है। कुमाऊं की शादी परंपरा में आज भी पिछौड़ा, नथ, सोने के अन्य जेवर दिखाई देते हैं तो इसका श्रेय साह-चौधरी समाज को ही जाता है।
अंतरराष्ट्रीय छायाकार अनूप साह को पद्मश्री सम्मान बहुत पहले ही मिल जाना चाहिए था, मगर पूर्ववर्ती सरकारों ने कुमाऊं की लोक कला, संस्कृति का सम्मान नहीं किया। मोदी सरकार ने राज्य में पर्वतारोही, जागर सम्राट व अंतरराष्ट्रीय छायाकार को सम्मान प्रदान कर पूरे उत्तराखंड का मान बढ़ाया है।
- भगत सिंह कोश्यारी, सांसद व पूर्व सीएममैंने पुरस्कार के लिए कोई आवेदन नहीं किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने प्रतिभा की पहचान कर सम्मान प्रदान किया है। यह सम्मान मेरा नहीं बल्कि प्रकृति प्रेमियों, शिक्षाविदों, छायाकारों व कलाकारों का है।
- पद्मश्री अनूप साह, अंतरराष्ट्रीय छायाकार
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