ठंंड से कांप रहे लोग, रैन बसेरों में बेसहारों के लिए कोई इंतजाम नहीं
पहाड़ पर बर्फबारी के बाद हल्द्वानी में पारा तेजी से नीचे गिर रहा है, इस बीच प्रशासन की तैयारियां कागजों से जमीन पर आती नहीं दिख रही हैं।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 24 Dec 2018 07:14 PM (IST)
हल्द्वानी, अविनाश श्रीवास्तव : पहाड़ पर बर्फबारी के बाद हल्द्वानी में पारा तेजी से नीचे गिर रहा है, इस बीच प्रशासन की तैयारियां कागजों से जमीन पर आती नहीं दिख रही हैं। आलम यह है कि बस स्टैंड व रेलवे स्टेशनों के बाहर खुले आसमान के नीचे लोग रात बिताने को मजबूर हैं। कहने को तो हल्द्वानी में तीन रैन बसेरे हैं, लेकिन जरूरतमंदों को इन ठिकाने का पता नहीं। जागरण टीम ने शनिवार की सुबह ओर देर रात नगर की रैन बसेरों में व्यवस्थाओं की पड़ताल की। एक भी ऐसी रैन बसेरा नहीं दिखा, जिसमें अव्यवस्था न हो, और न ही सार्वजनिक स्थानों पर इन रैन बसेरों की जानकारी के लिए कही सूचना पट दिखा।
यहां बिना बिस्तर के चारपाई टनकपुर रोड स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रैन बसेरा रोडवेज बस स्टैंड के पास स्थित रेलवे क्रासिंग के समीप है। दोपहर डेढ़ बजे जब टीम इस भवन पर पहुंची तब वहां मौजूद महिला कर्मचारी आनंदी देवी से उनकी मुलाकात हुई। टीम ने जब वहा पड़े चारपाईयों पर बिस्तर व कंबल के नहीं होने का कारण पूछा तो, आनंदी ने कहा की भवन में कुल 13 चारपाई हैं, लेकिन इससे बिछाने व लोगों के ओढऩे के लिए सिर्फ सात कंबल एवं सात गद्दे हैं। उन्होंने कहा की बसेरे में बहुत कम ही यात्री आते हैं, जिस वजह से इतनी व्यवस्थाओं में ही काम चल जाता है। रात्रि स्टाफ के बारे में पूछे जाने पर आनंदी ने रात में साहादत नामक व्यक्ति की डयूटी होने की बात कही। लेकिन टीम जब शुक्रवार की रात 12 बजकर 20 मिनट पर बसेरे पर पहुंची तो बसेरे के गेट पर ताला लटका हुआ था और सारी लाइटें बन्द पड़ी हुई थी।
यहां मरीज पड़ा फिर भी बदहाली
राजपुरा स्थित पं. दीनदयाल उपाध्याय रैन बसेरा पर भवन की देखरेख व आने वाले लोगों की सुविधा के लिए तैनात किए गए कर्मचारी का कोई अता-पता ही नहीं था। बहुत देर तक गेट पर दस्तक देने के बाद बसेरा में ठहरे एक व्यक्ति ने गेट खोला। देरी की वजह पूछे जाने पर व्यक्ति ने अपना परिचय देते हुए कहा कि, उसका नाम बहादुर सिंह है और उसकी दोनों किडनी खराब हैं। बेस अस्पताल में उसका डायलिसिस चल रहा है, जिस वजह से वह तीन महीनों से यहां रूका है। सिंह ने बताया की यहां तैनात कर्मचारी दिन में अपने घर चला जाता है और रात में आता है, लेकिन जब हमारी टीम रात में एक बजकर 50 मिनट पर इस बसेरे पर पहुंची तो काफी देर दरवाजा खटखटाने पर भी किसी ने दरवाजा नहीं खोला, जबकि अंदर की लाइट जल रही थी।फटे व गंदे कंबल बयां कर रहे हालात
काठगोदाम स्थित रैन बसेरे पर जब हमारी टीम रात के 12 बजे पहुंची तो यहां तैनात कर्मचारी शाहिद अहमद से हमारी मुलाकात हुई। यहां पड़ी पांच चारपाईयों पर गंदे व कुछ फटे कंबल पड़े हुए थे। टॉयलेट में लाइट की कोई व्यवस्था नहीं थी। खिड़कियों और दरवाजों को कील के सहारे ठोक कर बंद किया था। अहमद ने बताया अधिकारियों को इन सब चीजों की जानकारी कई बार दी है।कम से कम ये सुविधाएं तो हों
स्वच्छ पेयजल, कम्युनिटी किचन।महिला और पुरुष के लिए अलग शौचालय और स्नानगृह।
चारपाई, स्वच्छ रजाई एवं गद्देअग्निशमन उपकरण।
हवादार कमरे और सीसीटीवी कैमरे।मच्छरदानी अथवा मच्छरों को भगाने के उपकरण।
प्राथमिक उपचार बाक्स।ये औपचारिक बयान भी सुन लीजिए
बृजेंद्र चौहान, सहायक नगर आयुक्त, नगर निगम ने बताया कि सभी रैन बसेरों में तीन शिफ्ट में कर्मचारी तैनात हैं। किसी भी तरह की लापरवाही मिलने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही इनमें सुविधाएं बढ़ाए जाने का भी प्रयास किया जाएगा।यह भी पढे : क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में आज से मरीजों को करेंगे डिस्चार्ज
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