उच्च हिमालय की तीन घाटियां सड़क से जुड़ें तो चीन सीमा पर बजेगा भारत का डंका
उत्तराखंड के सीमांत जनपद पिथौरागढ़ से चीन सीमा तक दो सड़कें तैयार हैं। सीमा तक तीसरी सड़क भी 2021 तक बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) तैयार कर लेगा।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 21 Jul 2020 03:56 PM (IST)
पिथौरागढ़, ओपी अवस्थी : उत्तराखंड के सीमांत जनपद पिथौरागढ़ से चीन सीमा तक दो सड़कें तैयार हैं। सीमा तक तीसरी सड़क भी 2021 तक बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) तैयार कर लेगा। ये तीनों ही सीमा तक पहुंच वाली सड़कें होंगी लेकिन, चीन की ही तर्ज पर सीमा के समानांतर सड़क अब हमारी अगली जरूरत है। सामरिक महत्व के लिहाज से गुंजी से आदि कैलास होते हुए मिलम-मलारी तक उच्च हिमालय में सड़क बने तो चीन सीमा पर भारत का सुरक्षा तंत्र मजबूत होगा। इससे तीनों दारमा, व्यास व जोहार घाटियां भी आपस में इंटरकनेक्ट हो जाएंगी। चीन ने भारतीय सीमा लिपुलेख तक सड़क वर्षों पहले तैयार कर ली थी। इसके बाद चीन ने अपनी सीमाओं के समानांतर भी सड़क बनानी शुरू की। जो पिथौरागढ़, चमोली व उत्तरकाशी जिले की सीमाओं तक कवर करती है। करीब तीन वर्ष पूर्व चीन समानांतर सड़क के जरिए पेट्रोलिंग तक करने लगा था। जबकि हमारे पास सीमा के समानांतर केवल 20 किमी सड़क ही है। जो गुंजी से कुटी तक जाती है। यह सड़क छह किमी क्षेत्र में निर्माणाधीन है।
चीन सीमा तक निर्मित सड़क 1. तवाघाट-लिपुलेख मार्ग (व्यास घाटी) {लंबाई-90 किमी}
जुड़ा क्षेत्र- 21 गांव, आईटीबीपी, एसएसबी, सेना2. तवाघाट-सोबला-तिदांग (दारमा घाटी) {लम्बाई-78 किमी}
जुड़ा क्षेत्र- तल्ला-मल्ला दारमा घाटी के 30 से अधिक गांव, आईटीबीपी चीन सीमा तक निर्माणाधीन मार्ग 3. मुनस्यारी-धापा-मिलम (जोहार घाटी) निर्माणाधीन मार्ग {लम्बाई-80 किमी} जुड़ा क्षेत्र : उच्च मध्य हिमालय और उच्च हिमालय के 26 गांव, आईटीबीपी (जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ से मुनस्यारी की दूरी 132 किमी और तवाघाट की दूरी 110 किमी है)दो साल पहले भेजा था तीनों घाटियों को जोडऩे का प्रस्ताव चीन द्वारा अपनी सीमा पर सड़क निर्माण किए जाने के बाद ग्रामीण सड़क विभाग भारत सरकार ने आइटीबीपी से प्रस्ताव मांगे थे। इसमें चीन सीमा से जुड़ी तीनों उच्च हिमालयी घाटियों व्यास, दारमा व जोहार को जोडऩे की बात थी। तब आइटीबीपी की बरेली रेंज के तत्कालीन डीआइजी एपीएस निंबाडिया ने प्रस्ताव भेजा था। इस प्रस्ताव के तहत धारचूला की व्यास व दारमा घाटी और मुनस्यारी की जोहार घाटी को सुरंग बनाकर जोडऩे का प्रस्ताव था। निंबाडिया के मुताबिक व्यास घाटी को दारमा से जोडऩे के लिए ज्योलिंगकोंग से विदांग तक लगभग छह किमी सुरंग बननी थी। जबकि दारमा से जोहार घाटी के मिलम को जोडऩे के लिए करीब आठ किमी लंबी सुरंग बनाकर सड़क निर्माण होना था। दो वर्ष पूर्व व्यास घाटी में गुंजी से ज्योलिंगकोंग तक सड़क का निर्माण चल रहा था। प्रस्ताव डीएम, राज्य सरकार और गृह मंत्रालय भारत सरकार को भेजा गया था। यदि इस प्रस्ताव के तहत सड़क बनती तो तीनों घाटियों में सीमा तक जाने वाली किसी एक सड़क के कभी बंद होने पर भी उस घाटी का सम्पर्क नहीं कटता। गुंजी से आगे बीस किमी सड़क बन चुकी है बीआरओ द्वारा वर्तमान में गर्बाधार-लिपुलेख मुख्य मार्ग पर गुंजी से लिंक करते हुए कुटी गांव से आगे बीस किमी सड़क तैयार कर दी गई है। यह सड़क आदि कैलास तक बननी है। अब दरकार ज्योलिंगकोंग से दारमा घाटी के तिदांग-मिलम-मलारी तक सड़क बनने की है। इससे पिथौरागढ़ जिले में चीन से लगी पूरी सीमा सड़क से जुड़ जाएगी।
पूरी सड़क उच्च हिमालय में ही होगी गुंजी से कुटी और आदि कैलास यानी ज्योलिंगकोंग से मलारी तक बनने वाली पूरी सड़क उच्च हिमालय में दस हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर होगी। चीन और नेपाल सीमा से लगे धारचूला की व्यास घाटी से यह सड़क मुनस्यारी के मिलम घाटी के मलारी क्षेत्र को जोड़ेगी। इस सड़क के बनने से जहां चीन सीमा पर हमारा सुरक्षा तंत्र मजबूत होगा वहीं पर्यटन का भी एक अध्याय प्रारंभ हो जाएगा। घोषणा हुई पर अमल में नहीं आई पूर्व सीएम हरीश रावत ने 2016 में धारचूला में एक जनसभा में ज्योलिंगकोंग से मिलम मलारी तक सड़क निर्माण की घोषणा की थी। इस पर शासन स्तर से कोई अमल नही हुआ और यह सियासी घोषणा बन कर रह गई थी। लोक सभा में उठाऊंगा मामला अल्मोड़ा के सांसद अजय टम्टा ने बताया कि ऑलवेदर सड़क का निर्माण पूरा होने जा रहा है। अस्कोट से लिपुलेख तक का मार्ग भारत माला योजना के तहत स्वीकृत है। अब अगला कार्य गुंजी से आदि कैलास, दारमा, जोहार के मिलम व मलारी तक सड़क निर्माण का है। चीन सीमा के समानांतर इस सड़क की मांग को लोकसभा के आने वाले सत्र में उठा रहा हूं। अब सामरिक महत्व के लिहाज से चीन सीमा पर समानांतर सड़क सरकार की प्राथमिकता में है।
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