हल्द्वानी में बाघ और रामनगर डिवीजन में हाथियों की सेहत बेहतर nainital news
जंगल में बाघ हाथी और गुलदार की मौत वन विभाग से लेकर वन्यजीव प्रेमियों तक को चिंता में डाल देती है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 29 Jan 2020 07:55 PM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : जंगल में बाघ, हाथी और गुलदार की मौत वन विभाग से लेकर वन्यजीव प्रेमियों तक को चिंता में डाल देती है। आंकड़ों पर अगर गौर करें तो बाघ के लिए हल्द्वानी डिवीजन और हाथियों के लिए रामनगर डिवीजन का काम बेहतर है। पिछले तीन साल में हल्द्वानी डिवीजन में बाघ की मौत का एक भी मामला सामने नहीं आया है, जबकि रामनगर डिवीजन में सबसे कम दो हाथियों ने जान गंवाई है।
वेस्टर्न सर्किल में आने वाले वन प्रभाग वेस्टर्न सर्किल के तहत तराई पूर्वी, तराई पश्चिमी, तराई केंद्रीय, रामनगर व हल्द्वानी वन प्रभाग आते हैं। सूचना का अधिकार के तहत इन वन प्रभागों में पिछले तीन साल में बाघ, गुलदार व हाथियों की मौतों की जानकारी मांगी गई थी। इससे मिली सूचना के मुताबिक, इस अवधि में तराई पश्चिमी डिवीजन में सबसे ज्यादा चार बाघों ने अपनी जान गंवाई, जबकि हाथियों के लिहाज से तराई केंद्रीय का जंगल ज्यादा चिंताजनक रहा। यहां दस हाथियों की मौत हुई। वहीं, तराई पूर्वी में सबसे ज्यादा 12 गुलदार जिदंगी की जंग हार गए।
मौत का आंकड़ा
डिवीजन हाथी बाघ तेंदुआहल्द्वानी 3 0 5तराई पूर्वी 3 1 12तराई केंद्रीय 10 3 5रामनगर 2 2 3तराई पश्चिमी 6 4 9
मैदान व पहाड़ में हल्द्वानी डिवीजन इस वन प्रभाग का हिस्सा गौलापार से शुरू होकर चंपावत तक फैला है। वेस्टर्न सर्किल का यह सबसे दुर्गम डिवीजन है। 1872 में अस्तित्व में आने की वजह से सबसे पुराना डिवीजन भी इसे कहा जाता है।तराई केंद्रीय में हाथी के लिए घातक ट्रेनपिछले तीन साल में हाथियों की मौत के सबसे ज्यादा दस मामले तराई केंद्रीय डिवीजन में सामने आए। चार हाथियों की मौत ट्रेन से कटकर हुई थी, जिसके बाद वन और रेलवे महकमे ने हाथियों की सुरक्षा के लिए काफी मंथन भी किया था।
तस्करी नहीं आपसी संघर्ष ज्यादा पिछले तीन साल में वन्यजीवों की मौतों की अधिकांश वजह आपसी संघर्ष के साथ बीमारी भी मानी गई है। बीते सप्ताह नैनीताल व रामनगर डिवीजन के एक-एक गुलदार आपसी संघर्ष में मारे गए थे।यह भी पढ़ें : जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में दो नए पर्यटन जोन खुले, चले आइए जंगल सफारी का लुत्फ उठाने
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