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कॉर्बेट नेशनल पार्क में आपसी संघर्ष में घायल बाघ की मौत, तेंदुआ भी मृत मिला

बाघों के संरक्षण के लिए विश्व विख्यात जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघिन मृत मिली है। उसकी उम्र दस वर्ष बताई जा रही है। इस वर्ष कार्बेट में किसी टाइगर की मौत का यह पहला मामला है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 30 May 2020 09:47 AM (IST)
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कॉर्बेट नेशनल पार्क में आपसी संघर्ष में घायल बाघ की मौत, तेंदुआ भी मृत मिला
रामनगर, जेएनएन : बाघों के संरक्षण के लिए विश्व विख्यात जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघिन मृत मिली है। उसकी उम्र दस वर्ष बताई जा रही है। इस वर्ष कार्बेट में किसी टाइगर की मौत का यह पहला मामला है। बताया जा रहा है कि उसकी मौत आपसी संघर्ष के कारण हुई होगी। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर टाइगर को कब्जे में ले लिया है। बताया जा रहा है कि गुरुवार को गस्त के दौरान वनकर्मियों ने एक घायल बाघ को देखा था। इसकी सूचना वे वनाधिकारियों को देने और रेस्क्यू के लिए दोबारा आने की सोचकर लौट गए। लेकिन जब रेस्क्यू करने के लिए दोबारा लौटे तो बाघ मृत मिला। पोस्टमार्टम के बाद ही मौत का सही कारण पता चल सकेगा। रामनगर में ही एक तेंदुए का भी शव बरामद हुआ है। 

हाथी से गश्त के दौरान देखा घायल बाघ को

रामनगर में शुक्रवार को एक बाघ व तेंदुए की मौत हो गई। दोनों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए लाया गया है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के झिरना क्षेत्र में वन कर्मियों को गुरुवार को हाथी से गश्त के दौरान एक बाघ घायल अवस्था में दिखा। शुक्रवार को रेस्क्यू करने की बात कहकर वनकर्मी वापस आ गए। शुक्रवार को सुबह वन कर्मी रेस्क्यू के लिए आए तो बाघ मृत मिला। बाघ की मौत आपसी संघर्ष में घायल होना बताया जा रहा है। इसके अलावा तराई पश्चिमी वन प्रभाग के उदयपुरी गांव में एक तेंद मृत मिला है। उसे भी पोस्टमार्टम के लिए वन विभाग के कार्यशाला लाया गया। तेंदुए की मौत का कारण पता नहीं चल सका है।

...तो घायल हुआ होगा दूसरा बाघ भी

झिरना रेंज में दो बाघों के बीच संघर्ष हुआ, जिसमें एक बाघ की मौत हो गई तो दूसरा भी इस संघर्ष में घायल हुआ होगा। उपचार न मिलने से उसकी भी मौत हो सकती है। ऐसे में क्षेत्र के कर्मचारी हाथियों से दूसरे घायल बाघ की भी तलाश कर रहे आंकड़े बताते हैं कि कॉर्बेट टाईगर रिजर्व में अब तक मारे गए बाघों में से अधिकांश की मौत आपसी संघर्ष के कारण ही हुई है। 

कार्बेट में करीब 240 से 250 बाघ 

पिछले साल ग्लोबल टाइगर-डे पर दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में हुए टाइगर के आंकड़े जारी किए थे। जिसमें उत्तराखंड में बाघों की संख्या 340 से बढ़कर 442 बताई गई थी। कॉर्बेट टाईगर रिजर्व में बाघों की संख्या को घोषित नहीं की गई थी। लेकिन बाघों की संख्या बढऩे का अनुमान है। 2014 में यहां टाइगर की कुल संख्या 215 थी, जिसके अब 250 का आंकड़ा पार करने की बात कही जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में प्रति 100 वर्ग किलोमीटर में करीब 20 टाइगर मौजूद हैं। 

रामनगर के अंतर्गत मरे बाघ

वर्ष 2016       चार बाघ

वर्ष 2017       नौ बाघ

वर्ष 2018       चार बाघ

वर्ष 2019       तीन बाघ

वर्ष 2020       एक बाघ 

शुभ संकेत के साथ खतरा भी बढ़ा

1288 वर्ग किलोमीटर में फैले इस टाइगर रिजर्व में बाघों का घनत्व बढ़ गया है। इसे वन्यजीव प्रेमी शुभ संकेत बताते हैं। लेकिन बाघों की बढ़ती संख्या चुनौती भी है। । ऐसे में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ सकती हैं। साथ ही इलाके को लेकर बाघों में भी संघर्ष बढ़ेगा। सड़क हादसों में भी बाघाें के मरने की घटनाएं भी बढ़ सकती हैं।

तराई के जंगलों तक हैं बाघ

कॉर्बेट के निदेशक राहुल की मानें तो कॉर्बेट के बाघ तराई के जंगलों की ओर फैलते हैं। कॉर्बेट में बाघों के लिए पर्याप्त आहार और पानी मौजूद है इसलिए यहां बाघों का सबसे ज्यादा घनत्व है। लेकिन वह यह भी मानते हैं कि बाघों के कॉर्बेट छोड़कर जाते समय मानव के साथ बाघ का टकराव होता है। वर्चस्व की लड़ाई में भी बाघ दूसरे बाघ को मार देता है। 

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