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इंसानों को अपना शिकार बनाने वाले बाघों को अब आदमखोर नहीं, खतरनाक कहा जाएगा बाघ

इंसानों को अपना शिकार बनाने वाले बाघ को अब आदमखोर (मैनइटर) नहीं कहा जाएगा। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण दिल्ली (एनटीसीए) ने लंबे समय के बाद अपनी गाइड लाइन में बदलाव कर दिया है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Fri, 22 Nov 2019 12:26 PM (IST)
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इंसानों को अपना शिकार बनाने वाले बाघों को अब आदमखोर नहीं, खतरनाक कहा जाएगा बाघ
रामनगर, त्रिलोक रावत : इंसानों को अपना शिकार बनाने वाले बाघ को अब आदमखोर (मैनइटर) नहीं कहा जाएगा। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण दिल्ली (एनटीसीए) ने लंबे समय के बाद अपनी गाइड लाइन में बदलाव कर दिया है। अंग्रेजों के समय से चले आ रहे आदमखोर की जगह अब उसके लिए खतरनाक शब्द का प्रयोग किया जाएगा। एनटीसीए की ओर से इस संबंध में देश के टाइगर रिजर्व व वन प्रभागों के अधिकारियों को निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं।

एनटीसीए के डीआइजी ने आदमखोर शब्‍द हटाने की पहल की

अक्सर बाघ जंगल से आबादी वाले इलाकों में आकर इंसानों पर हमला कर उन्हें मार डालता है। ऐसा तब होता है जब वह कमजोर, उम्रदराज व दांत, नाखून घिसने की वजह से शिकार करने में असमर्थ हो जाता है। ऐसे में वह आसान शिकार इंसानों को अपना निशाना बनाता है। ऐसे इंसानों के लिए खतरा बन चुके बाघ को अब तक महकमे में आदमखोर के नाम से पुकारा जाता था। एनटीसीए के डीआइजी सुरेंद्र महरा ने आदमखोर शब्द को हटाने के लिए प्रयास किया। डीआइजी के मुताबिक आदमखोर शब्द का प्रयोग वन्य जीव संरक्षण अधिनियम में कहीं भी नहीं है। अधिनियम में ऐसे बाघों के लिए खतरनाक शब्द ही था, लेकिन आदमखोर शब्द एनटीसीए की गाइड लाइन में चला आ रहा था। आदमखोर शब्द को एनटीसीए की गाइड से हटाने के लिए दिल्ली में तकनीकी समिति की बैठक हुई। तकनीकी समिति में एनजीओ, वन्य जीव विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, रिटायर्ड वनाधिकारी, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारी शामिल थे। बैठक में डीआइजी महरा की ओर से गाइड लाइन से यह शब्द हटाने के लिए प्रस्ताव रखा गया। बैठक में आदमखोर की जगह खतरनाक शब्द प्रयोग करने के लिए प्रस्ताव पारित हो गया।

वाइल्ड लाइफ एक्ट में नहीं आदमखोर शब्‍द

सुरेंद्र महरा, डीआइजी, एनटीसीए दिल्ली ने बताया कि आदमखोर शब्द वाइल्ड लाइफ एक्ट में नहीं था। वाइल्ड लाइफ एक्ट के मुताबिक ही अब एनटीसीए की गाइड लाइन में भी खतरनाक शब्द प्रयोग में लाया जाएगा। एनटीसीए की तकनीकी समिति की बैठक में इसे पारित किया गया है। देश के सभी टाइगर रिजर्व व वन प्रभागों को इस संबंध में आदेश भेज दिए गए हैं।

आदमखोर का मतलब

आदमखोर का मतलब उस बाघ से होता था जो केवल इंसानों के मांस पर ही जी रहा हो। यानी अपने शिकार के लिए वह केवल इंसानों को ही मार रहा हो। अन्य कोई जानवर वह नहीं खा रहा है।

डीएफओ भी करा सकेंगे पीएम

अब तक बाघ की मौत होने पर वन संरक्षक स्तर के अधिकारी या टाइगर रिजर्व के निदेशक का मौके पर पोस्टमार्टम के लिए मौजूद होना जरूरी था, लेकिन अब एनटीसीए ने इसमें भी बदलाव किया है। अब बाघ की मौत होने पर डीएफओ स्तर के अधिकारी भी अपने निगरानी में बाघ का पीएम करा सकेंगे।

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