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उत्तराखंड समेत देश के 12 पर्वतीय प्रदेशों में हिमालयी पर्यावरण के अनुरूप बनेगी पर्यटन नीति

हिमालयी प्रदेशों के पर्यावरण संरक्षण को गठित हिमालयी राज्य क्षेत्रीय परिषद अब पर्यटन नीति भी तय करने में अहम भूमिका निभाएगा।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 22 Jan 2020 09:05 AM (IST)
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उत्तराखंड समेत देश के 12 पर्वतीय प्रदेशों में हिमालयी पर्यावरण के अनुरूप बनेगी पर्यटन नीति
अल्मोड़ा, दीप सिंह बोरा : हिमालयी प्रदेशों के पर्यावरण संरक्षण को गठित 'हिमालयी राज्य क्षेत्रीय परिषद' अब पर्यटन नीति भी तय करने में अहम भूमिका निभाएगा। इसके तहत उत्तराखंड समेत देश के 12 हिमालयी प्रदेशों के विकास को ध्‍यान में रखते हुए पांच अहम विषयों पर गहन अध्ययन शुरू किया जा रहा है। इसका मकसद हिमालयी राज्यों की भौगोलिक, सामाजिक व पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुसार पर्यटन नीति तैयार करना है।

वैज्ञानिकों की रिपोर्ट पर बनेंगी कार्ययोजनाएं

विस्तृत अध्ययन कर वैज्ञानिक पर्यावरण हित से जुड़े मुद्दों को केंद्रीय स्तर पर मजबूती से रख सकेंगे और इसी आधार पर राष्ट्रीय कार्ययोजना भी बनेगी। इस पूरी मुहिम में राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण शोध संस्थान कोसी कटारमल (अल्मोड़ा) अहम भूमिका निभाएगा। मित्र राष्ट्र नेपाल के वैज्ञानिक भी अध्ययन का हिस्सा बनेंगे। परिषद ही नोडल एजेंसी रहेगी जो संबंधित राज्यों की समस्याओं को प्रभावी ढंग से केंद्र सरकार के समक्ष रखेगी।

इन राज्यों में होगा अध्ययन

उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू कश्मीर, अरुणाचल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, असम के दो जिले दीमा हसाओ व करबी आंग्लोंग तथा पश्चिम बंगाल के दो जिले दार्जिलिंग व कलिंपोंग।

19 बरस बाद मिला फोरम

दरअसल, हिमालयी राज्यों के सतत विकास को पृथक परिषद की वकालत वर्ष 2000 में उत्तराखंड गठन के बाद से ही तेज होने लगी थी। देश दुनिया को सर्वाधिक पर्यावरणीय सेवा देने वाले उत्तराखंड को ग्रीन बोनस की पुरजोर मांग उठाई जाती रही है। बीते वर्ष नीति आयोग की पहल पर हिमालय क्षेत्रीय परिषद की नींव रखी गई थी जिस पर अब अमल शुरू हो रहा है।

इन पांच विषयों पर अध्ययन

  • हिमालयी राज्यों में जलस्रोत सूचीबद्ध होंगे, मृतप्राय स्रोतों का होगा पुनर्जनन
  • भौगोलिक, सामाजिक व पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुरूप पर्यटन विकास
  • पर्वतीय कृषि तकनीक का सुधारीकरण
  • कौशल विकास व उद्यमिता विकास से पलायन रोकना
  • पर्यावरणहित में विकास को गति द त्वरित कड़े व व्यावहारिक फैसले
ये होंगे बड़े लाभ

हिमालयी राज्यों की भौगोलिक व सामाजिक परिस्थितियों के मद्देनजर ढांचागत विकास होगा। सभी सीएम, प्रशासनिक अधिकारी, वैज्ञानिक व विशेषज्ञ एक डेस्क पर आएंगे। साझा विचार से पर्यावरण हित व विकास की राह तलाशेंगे। जलधारों, झरनों व स्रोतों की जीआइएस मैपिंग होगी।

देशहित में बन सकेगी कार्ययोजना

डॉ. आरएस रावल, निदेशक जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी कटारमल अल्मोड़ा ने बताया कि भारतीय हिमालयी राज्यों के साथ ही इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (इसीमोड) काठमांडू (नेपाल) के वैज्ञानिक भी मिलकर काम करेंगे। हिमालयी राज्य क्षेत्रीय परिषद के काम शुरू करने से हिमालयी पर्यावरण बचाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कार्ययोजना तैयार करने में बड़ी मदद मिलेगी।

जीबी पंत संस्थान के वैज्ञानिक देंगे इनपुट

प्रो. किरीट कुमार, नोडल अधिकारी राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन, जीबी पंत संस्थान ने बताया कि सभी 12 राज्यों में अध्ययन के बाद जीबी पंत संस्थान के वैज्ञानिक इनपुट देंगे। डाटा मैनेजमेंट की जिम्मेदारी हमारी रहेगी। अध्ययन में शामिल पांच प्रमुख बिंदुओं में पर्यावरण को विशेष महत्व दिया गया है। हिमालयी राज्यों के सतत विकास को कौशल विकास पर भी फोकस रहेगा।

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