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प्रकृति के उपहार की होगी कद्र, बर्फ से ढके पहाड़ में गर्म स्रोतों के जल से पर्यटक कर सकेंगे स्नान

इस समय जब पिथाैरागढ़ जिले के कई हिस्‍से बर्फ से ढ़के हैं स्रोतों का पानी जमा हुआ नजर आ रहा है ऐसे में गर्म जलश्रोत का विकल्‍प राहत दे सकता है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 17 Dec 2019 08:24 PM (IST)
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प्रकृति के उपहार की होगी कद्र, बर्फ से ढके पहाड़ में गर्म स्रोतों के जल से पर्यटक कर सकेंगे स्नान
पिथौरागढ़, जेएनएन : इस समय जब पिथाैरागढ़ जिले के कई हिस्‍से बर्फ से ढ़के हैं, स्रोतों का पानी जमा हुआ नजर आ रहा है, ऐसे में गर्म जलश्रोत का विकल्‍प राहत दे सकता है। जी हां प्रकृति ने इस जगत को इतना कुछ बख्‍शा है कि यदि उसका ही सदुपयोग कर लिया जाए तो जीवन के संघर्ष को आसान बनाया जा सकता है। एक तरफ जहां पहाड़ के लोगों को गर्मियों में स्रोतों से शीतल पेयजल मिल जाता है वहीं सर्द के दिनों में गर्म जल श्रोत भी हैं। ठंड को देखते हुए गोरी नदी के गर्म जलस्रोत तक अब लोगों को पहुंचाया जाएगा। देश-विदेश के पर्यटकों को स्रोतों तक पहुंचाने के लिए पर्यटन विभाग ने कवायद शुरू कर दी है। धरा के गर्भ से निकलने वाले गर्म जल की धारा से महिला और पुरुषों को स्नान करने की सुविधा मिलने जा रही है। विभाग की कवायद के रंग लाते ही पर्यटन को पंख लगने के आसार हैं और पर्यटकों की संख्या बढऩे की संभावना है।

प्रकृति के उपहार की होती रही उपेक्षा

पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी के मदकोट, सेरा क्षेत्र को प्रकृति ने गर्म जल स्रोतों का उपहार दिया है। इस उपहार की आज तक उपेक्षा होती रही है। वर्ष 1990 तक गोरी और मंदाकिनी नदियों के इस क्षेत्र में गर्म जलस्रोतों की संख्या स्थानीय लोगों के अनुसार 12 से 15 तक थी। इनका सरंक्षण नहीं हो सका। वर्ष 1992, 95,98  में इस क्षेत्र में आई आपदा से अधिकांश गर्म जल स्रोत आपदा की भेंट चढ़ गए। जिसके चलते विलुप्त हो गए। अविभाजित उत्तर प्रदेश में रहते हुए वर्ष 1995 में इनके संरक्षण की पहल तो हुई परंतु सरकार और विभाग की कमजोर पहल भ्रष्टाचार की भेंट चढ़  गई।

आधा-अधूरा कार्य कराने के बाद भाग गई थी संस्‍था

गर्म जलस्रोतों को पर्यटन से जोड़ते हुए इनके पास स्नानागार बना कर यहां तक पर्यटकों को लाने का प्रयास था। इसका दायित्व एक स्वयं सेवी संस्था को दिया गया। संस्था आधा अधूरा कार्य कर भाग गई। पर्यटन विभाग ने संस्था के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया परंतु कार्यवाही नहीं हुई ।

सेरा और देवीबगड़ में हैं गर्म जलस्रोत

वर्तमान में मात्र तीन जलस्रोत शेष रह चुके हैं। जो लावारिश हालत में हैं। मुनस्यारी आने वाले पर्यटक गर्म जलस्रोतों को देखने आते हैं परंतु वहां पर अव्यवस्था और गंदगी के चलते मायूस होकर लौटते हैं। दूसरी तरफ गर्म जलस्रोतों को पर्यटन की दृष्टि से देखा जाता है। जिसे लेकर अब पर्यटन विभाग सजग हुआ है। गर्म जलस्रोतों के  संरक्षण और पर्यटन की सुविधाओं को जोडऩे जा रहा है। जिसके लिए प्रस्ताव तैयार कर दिया गया है। प्रस्ताव शासन और पर्यटन निदेशालय के पास है। विभाग की माने तो प्रस्ताव की स्वीकृति पर मुहर लगना तय है।

जानिए प्रस्ताव के बारे में

  • सेरा और मदकोट के देवीबगड़ में गोरी नदी किनारे पर स्थित गर्म जलस्रोतों तक सड़क का निर्माण। दोनों स्रोतों की वर्तमान में सड़क से दूरी दो सौ से पांच सौ मीटर है।
  • स्रोतों के पास महिला और पुरु ष स्नानागार का निर्माण । अभी तक यह व्यवस्था नहीं है। खुला होने से यहां पहुंचने वाले पुरु ष पर्यटक स्नान कर लेते हैं परंतु महिलाएं रह जाती हैं।
  • स्टोर कक्ष बनेंगे। यहां पर स्टोर कक्ष बनाए जाएंगे। पर्यटक अपने प्रवास के दौरान सामान को इनमें रख सकेंगे जिससे सुरक्षा रहेगी।
सौ मीटर क्षेत्र को किया जाएगा सुसज्जित

गर्म जलस्रोतों के सौ मीटर क्षेत्र को साफ सुथरा रखने के अलावा सुरक्षित बनाया जाएगा। कूड़े के निस्तारण के लिए कूड़े दान बनेंगे। सफाई और स्वच्छता पर रहेगा फोकस।

गर्म जलस्रोत पर्यटन को बढ़ावा देने में मददगार

अमित लोहनी, जिला पर्यटन अधिकारी, पिथौरागढ़ ने बताया कि गर्म जलस्रोत पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सशक्त माध्यम हैं। जिसे देखते हुए प्रस्ताव शासन के पास गया है। शासन से स्वीकृति मिलते ही कार्य प्रारंभ हो जाएगा। बहुत अधिक निर्माण व अन्य कार्य नहीं होने से यह कार्य जल्दी पूरा हो जाएगा। अभी तक प्रतिवर्ष 15 हजार के आसपास पर्यटक गर्म जलस्रोतों को देखने आते हैं। सुविधाएं जुटते ही यह संख्या दो से तीन गुना हो जाएगी और पर्यटकों को जलस्रोतों के गर्म जल से स्नान की व्यवस्था रहेगी।

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