उत्तराखंड की यह तितली होगी भारत की सबसे बड़ी तितली, ट्रौइडेस मिनौस का रिकॉर्ड टूटा
जैव विविधताओं से भरपूर कुमाऊं के नाम एक और उपलब्धि हाथ लगी है। इस वर्ष जून में डीडीहाट में खोजी गई तितली ट्रौइडैस अयकुस को भारत की सबसे बड़ी तितली होने का गौरव हासिल हुआ है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 13 Nov 2018 08:56 PM (IST)
राकेश सनवाल (भीमताल) : जैव विविधताओं से भरपूर कुमाऊं के नाम एक और उपलब्धि हाथ लगी है। इस वर्ष जून में डीडीहाट में खोजी गई तितली ट्रौइडैस अयकुस को भारत की सबसे बड़ी तितली होने का गौरव हासिल हुआ है। इसने 1932 से अब तक देश की सबसे बड़ी तितली का खिताब अपने पास रखने वाली ट्रौइडेस मिनौस का रिकार्ड तोड़ा है। ट्रौइडैस अयकुस तितली की लंबाई 194 मिमी मापी गई है।
बटर फ्लाई शोध संस्थान के निदेशक पीटर स्मैटाचैक के मुताबिक अब तक देश की सबसे बड़ी तितली का खिताब ट्रौइड्रेस मिनौस को था जो कि गोवा से केरल तक पाई जाती है। उस समय तितली की लंबाई 140 से 190 मिलीमीटर तक मापी गई थी। यह रिकॉर्ड 'आयडेंटिफिकेशन आफ इंडियन बटरफ्लाई' नामक पुस्तक से लिया गया था। पुस्तक के लेखक ब्रिगेडियर डब्लू एच इवांस हैं। हालांकि वर्तमान में तितली के अवशेष के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
पीटर बताते हैं कि इस बार जिस तितली शिनाख्त हुई है वह शोध संस्थान में मौजूद है। यह तितली गोल्डन बर्ड विंग के नाम से भी जानी जाती है और अब तक भारत वर्ष की सबसे बड़ी तितली है। तितली की यह प्रजाति गढ़वाल से उत्तर पूर्व राज्य तथा ताइवान चीन आदि में भी पाई जाती है। गोल्डन विंग यह तितली मई जून से अगस्त तक पाई जाती है।
लिम्का बुक को भेजे गए दस्तावेज
निदेशक बटर फ्लाई शोध संस्थान पीटर स्मैटाचैक ने बताया कि जून में डीडीहाट में पकड़ी गई गोल्डल विंग नामक तितली की लंबाई 194 मिलीमीटर है जो कि अब तक पाई गई तितली से चार मिली मीटर अधिक है जो कि भारत वर्ष की सबसे बड़ी तितली है। इससे पूर्व इसी तितली की लंबाई 170 मिली मीटर तक मापी गई थी। तितली संबधी सभी दस्तावेज लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड को भी भेजे जा रहे हैं।
बटरफ्लाई शोध संस्थान ने खोजा था सबसे बड़ा पतंगा
बटरफ्लाई शोध संस्थान के द्वारा इससे पूर्व देश के सबसे बड़े पतंगा एटलस माउथ को भी खोजा गया था। भीमताल स्थित शोध संग्रहालय में बरसों से कीट पतंगों के शोध में जुटे पीटर स्मैटाचैक ने गुमनाम कीट पतंगों के बारे में काफी शोध किया और नए तथ्य सामने लाए। वे बताते हैं कि यूं तो पूरे देश में दस हजार के करीब कीट-पतंग हैं मगर उत्तरी भारत में पांच से आठ हजार कीट पतंग ऐसे हैं जिनकी तरफ अभी किसी का ध्यान नहीं गया है। पीटर ने अब तक अपने शोध के दौरान उत्तराखंड की दुर्लभ सेलर तितली की दो उप प्रजातियां नेपटिसमिया वार्ष्णेय व नेपटिस स्लीनिया प्रेडिक्टा का भी पता लगाया है। ये कीट दो से तीन इंच तक लंबाई के होते हैं।यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में पहली बार दिखी बंगाल स्विफ्ट प्रजाति की तितली, जानिए इसके बारे में
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