जिस टस्कर हाथी को वन विभाग ने एक दिन पहले किया ट्रेंक्यूलाइज वो काॅर्बेट पार्क में मृत मिला
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की सीमा से लगी मोहान रेंज में टस्कर हाथी की मौत हो जाने से महकमे में हड़कंप मच गया है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 15 Jul 2020 10:07 AM (IST)
रामनगर, जेएनएन : कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की सीमा से लगी मोहान रेंज में टस्कर हाथी की मौत हो जाने से महकमे में हड़कंप मच गया है। बताया जा रहा है कि यह वही टस्कर हाथी है जिसने क्षेत्र में आतंक मचा रखा था। उसकी मूवमेंट को ट्रेस करने के लिए वन विभाग लंबे समय से कवायद कर रहा था। जिससे हाईवे पर उसके हमले से लोगों को बचाया जा सके। काफी लंबे वक्त से उसे ट्रेंक्यूलाइज करने की कोशिश की जा रही थी। बीते सोमवार को सुबह काफी मशक्कत के बाद ट्रेंक्यूलाइज कर रेडियो कॉलर पहनाया गया था। वन विभाग का कहना है कि हाथी की मौत दूसरे हाथी के साथ संघर्ष में हुई है, जबकि लोगों में चर्चा है कि ट्रेंक्यूलाइल करने के दौरान बहुत अधिक डोज देने के कारण हाथी की मौत हुई है। हाथी की उम्र 20 से 30 साल बताई जा रही है।
टस्कर हाथी काफी लंबे समय से मोहान क्षेत्र में हाईवे पर उत्पात मचा रहा है। उसके हमले में लोगों की जान तक चली गई है। कई वाहनों को क्षतिग्रस्त कर लूट चुका है। वन विभाग टस्कर को लंबे समय से ट्रेंक्यूलाइज कर रेडियो कॉलर पहुंचाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन वह काबू में आ नहीं रहा था। सोमवार को काफी मशक्कत के बाद उसे ट्रेंक्यूलाइज कर रेडियो कॉलर पहनाया गया था। उसके बाद से उसकी मूवमेंट पर लगातार नजर रखी जा रही थी।
मंगलवार को हाथी के मृत मिलने के बाद महकमे में हड़कंप मच गया। चर्चा है कि टस्कर हाथी की मौत ट्रेंक्यूलाइज करने के लिए दी गई अधिक डोज के कारण हुई है। जबकि पार्क प्रबंधन का कहना है कि हाथी की मौत दूसरे हाथी के साथ संघर्ष के कारण हुई है। हाथी का दूसरे हाथी से संघर्ष ट्रेंक्यूलाइज करने के पहले ही हुआ होगा। हाथी के घायल होने का पता नहीं चला अन्यथा उसका इलाज किया गया होता। फिलहाल मौत का सही कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।
जख्मी हाथी का इलाज क्यों नहीं किया विभाग ने ट्रेंक्यूलाइज करने के एक दिन बाद ही टस्कर हाथी की मौत से वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़ा हो गया है। पहला बड़ा सवाल है कि यदि टस्कर हाथी दूसरे हाथी से संघर्ष के कारण जख्मी था तो उसे ट्रेंक्यूलाइज क्यों किया गया। दूसरी बात गलती से यदि घायल हाथी काे ट्रेंक्यूलाइज कर भी लिया गया तो बिना उसके स्वास्थ्य का परीक्षण और उपचार किए छोड़ कैसे दिया गया। जबकि नियमत : हाथी को ट्रेंक्यूलाइलज करने के बाद उसके स्वास्थ्य का परीक्षण किया जाना जरूरी है। यह दोनों सवाल कॉर्बेट पार्क प्रबंधन की कार्यशैली और वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर उनके प्रयासों पर गंभीर प्रश्न उठा रहे हैं।
जून और जुलाई में भी मृत मिले हैं हाथी
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- पहली जुलाई को भी उधमसिंह नगर और नैनीताल जिले के बॉर्डर पर गौला रेंज में बने सेंट्रल मेडिकल एंड अर्थमैटिक प्लांट (सीमैप) के परिसर में एक हाथी की मौत हो गई थी। घटना की सूचना पर आनन फानन पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची है। हाथी के मौत के कारणों का पता नहीं चल सका था। मृत हाथी की उम्र आठ वर्ष बताई गई थी। उसके दोनों दांत सुरक्षित थे।
- कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के ढेला रेंज में 14 जून को भी वन कर्मियों ने गश्त के दौरान मृत हथिनी को देखा था। अधिकारियों का कहना था कि उसकी गर्दन में घाव था। जिससे सेप्टीसिनिया नामक रोग की वजह से उसकी मौत हुई थी। जबकि लोगों में चर्चा थी कि हथिनी की मौत बाघ से संघर्ष के कारण हुई थी। चिकित्सकों ने पोस्टमार्टम के बाद जांच के लिए हाथिनी का बिसरा सुरक्षित रख लिया था।