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बहुत कुछ मिला उत्‍तराखंड को 19 साल में, कुमाऊं को आइआइएम तो दो मेडिकल कॉलेज भी

ठीक 19 साल पहले उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड के रूप में अस्तित्व में आए पर्वतीय राज्य ने विभिन्न क्षेत्रों में कई छोटी-बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 10 Nov 2019 12:11 PM (IST)
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बहुत कुछ मिला उत्‍तराखंड को 19 साल में, कुमाऊं को आइआइएम तो दो मेडिकल कॉलेज भी
हल्द्वानी, जेएनएन : ठीक 19 साल पहले उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड के रूप में अस्तित्व में आए पर्वतीय राज्य ने विभिन्न क्षेत्रों में कई छोटी-बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। कुमाऊं को जहां आइआइएम का गौरव प्राप्त हुआ, वहीं, स्वास्थ्य के क्षेत्र में दो मेडिकल कॉलेज की सौगात मिली। तराई में स्थापित सिडकुल में हजारों युवाओं को रोजगार मिल रहा है। सड़क, पर्यटन, रोजगार आदि के क्षेत्र में भी कई उपलब्धियां हैं। राज्य स्थापना दिवस के बहाने कुमाऊं के लिए 19 प्रमुख उपलब्धियां।

नैनी सैनी हवाई पट्टी

पिथौरागढ़ में नैनी सैनी हवाई पट्टी का विस्तार होने के साथ ही हवाई सेवा शुरू होना उपलब्धि भरा है। हवाई सेवा शुरू होने से पहली बार कुमाऊं का पर्वतीय क्षेत्र हवाई सेवा से जुड़ा है। इससे सफर आसान हुआ है। आने वाले समय में हवाई सेवा का विस्तार होने के बाद पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, चम्पावत व बागेश्वर के लोग इसका लाभ उठाएंगे।

टनकपुर-पिथौरागढ़ ऑलवेदर रोड

टनकपुर से पिथौरागढ़ तक ऑलवेदर सड़क दो जिलों के लिए सबसे बड़ी सौगात है। पिथौरागढ़ व चम्पावत जिले इससे सीधे जुड़े हैं। ऑलवेदर सड़क बनने से पिथौरागढ़ से मैदान इलाकों तक जाना आसान हो जाएगा। पिथौरागढ़ से टनकपुर के बीच पांच घंटे का सफर तीन घंटे होने की संभावना है, जिससे पर्यटन को बल मिलने की उम्मीद है।

भारत माला में मिली दो सड़कें

सीमांत पिथौरागढ़ जिले को भारत माला के तहत दो सड़कें  मिली हैं। इन सड़कों के माध्यम से अब तक अनछुए कई पर्यटक स्थलों तक पहुंचना सहज होगा। सुदूरवर्ती क्षेत्रों में रोजगार के दरवाजे खुलने की संभावना है। भारत माला के तहत बागेश्वर, कपकोट, बिर्थी, मुनस्यारी, जौलजीवी, धारचूला, गुंजी समेत सीमांत क्षेत्रों को एक सर्कल से जोड़ा जाना है।

पंडित नैन सिंह पर्वतारोहण संस्थान

साहसिक खेलों, पर्वतारोहण के लिए चर्चित पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी में खुला पं. नैन सिंह रावत पर्वतारोहण संस्थान जिले के लिए एक तोहफा है। सुविधाएं जुटते के बाद संस्थान देशभर के लोगों को आकर्षित करेगा। वर्तमान में ट्रेकिंग प्रशिक्षण के लिए देशभर से लोग आते हैं। भविष्य में रोजगार के बढऩे की संभावना है।

बैजनाथ में बनी कृत्रिम झील

राज्य बनने के बाद बागेश्वर के बैजनाथ में झील का निर्माण हुआ। जिस पर 15.8 करोड़ रुपये व्यय हुए। नौकायन, मत्स्य पालन, पर्यटन और ङ्क्षसचाई का लक्ष्य है। 2015 में झील बनकर तैयार हुई। वर्तमान में अन्य निर्माण कार्य चल रहे हैं। इससे जिले में पर्यटन व स्वरोजगार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

भेड़ प्रजनन केंद्र में लगी मशीनें

बागेश्वर के शामा और कर्मी भेड़ प्रजनन केंद्र में ऊन शेयङ्क्षरग मशीनें लगी हैं। जिसमें करीब 11 लाख रुपये की धनराशि खर्च हुई। पशुपालन विभाग ने तीन नई मशीनें खरीदी। जिसका लाभ भेड़ पालकों को हो रहा है और अब हाथ के बजाए मशीन के जरिए भेड़ों से ऊन निकाला जा रहा है। उच्च हिमालयी क्षेत्रों के लोग भेड़ पालन पर निर्भर हैं।

80 करोड़ बिजली पर खर्च

बागेश्वर जिला मुख्यालय में पिडकुल ने करीब 80 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट तैयार किया है। जिससे शहर में लो-बोल्टेज की समस्या नहीं रहेगी और बिजली बचत होने पर प्रदेश के अन्य स्थानों को भी बिजली की आपूॢत हो सकेगी। इसके अलावा 17 करोड़ रुपये ऊर्जा निगम ने व्यय किए हैं। इससे सब स्टेशन की क्षमता 15एमवीए की है।

लंबी दूरी की ट्रेनों का संचालन

चम्पावत के टनकपुर से दिल्ली और त्रिवेणी एक्सप्रेस ट्रेन शुरू होना कुमाऊं के सीमांत जिले के लिए उपलब्धियों भरी है। इसी वर्ष अप्रैल से शुरू हुई दोनों ट्रेनों से सीमांत के लोगों को बड़ी राहत मिली है। इससे यात्रियों को काफी सहूलियत मिल रही है।

कोलीढ़ेक झील को हरी झंडी

चम्पावत जिले के लोहाघाट की कोलीढ़ेक झील निर्माण को सरकार ने हरी झंडी दे दी है। झील निर्माण के लिए पहली किश्त के रूप में आठ करोड़ रुपये की धनराशि अवमुक्त हो चुकी है। अगले माह से झील निर्माण का काम शुरू हो जाएगा। झील निर्माण के बाद रोजगार के साथ पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

तराई में सिडकुल की स्थापना

ऊधमसिंह नगर जिले के रुद्रपुर व सितारगंज में सिडकुल की स्थापना राज्य की बड़ी उपलब्धि रही। रुद्रपुर में 449 औद्योगिक इकाइयों में उत्पादन हो रहा है। 54 इकाइयां निर्माणाधीन हैं। इन इकाइयों में 50 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है। सितारगंज में 84 कंपनियां युवा हाथों को रोजगार दे रही हैं।

गौलापार अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम

हल्द्वानी के गौलापार में 39 एकड़ भूमि पर करीब 150 करोड़ की लागत में बना अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम कुमाऊं के लिए बड़ी सौगात है। स्टेडियम का निर्माण अंतिम चरण में हैं। कुमाऊं में पहला स्टेडियम बनने से युवाओं का क्रिकेट व दूसरे खेलों में रुझान बढ़ा है। भविष्य में घरेलू मैच होने से रोजगार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज

राज्य गठन के बाद 27 करोड़ की लागत वाला अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज अल्मोड़ा के लिए मुख्य उपलब्धि रहा है। निर्माण कार्य पूरा होने को है। पहले बैच के लिए इस माह मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) की तकनीकी टीम जायजा लेगी। उसकी अनुमति पर ही एमबीबीएस (एनाटॉमी, बायोकैमिस्ट्री व फिजियालॉजी विभाग) में विद्यार्थियों के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू होगी।

अल्मोड़ा आवासीय विश्वविद्यालय

छह सितंबर 2016 को बने आवासीय विवि में रमन तकनीक पर गणित की कक्षाएं चल रही हैं। यहां पर्यटन, बैंकिंग, एयरपोर्ट मैनेजमेंट, कैटरिन तकनीक, साइबर सिक्योरिटी, बायो फ्यूल व मौसम से जुड़े विषयों पर भी शोध किए जा रहे। अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चम्पावत जैसे पर्वतीय जिलों के युवाओं के लिए आवासीय विवि खुलना उपलब्धि भरा है।

द्वाराहाट विभांडेश्वर बैराज

अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट में करीब एक करोड़ की लागत से विभांडेश्वर बैराज बनाया गया है। पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के मकसद से बनाया गया बैराज भावी संभावनाओं को खुद में समेटे हुए है। साथ ही सिंचाई योजनाओं को भी पानी मिल रहा है।

अल्मोड़ा कोसी बैराज

अल्मोड़ा के लिए पेयजल बड़ी समस्या रहा है। बढ़ती आबादी के साथ पेयजल की समस्या से निपटने के लिए पांच करोड़ की लागत ने कोसी बैराज का निर्माण हुआ है। नगर की डेढ़ लाख आबादी व लगभग 25 गांवों के लोगों को पानी की आपूर्ति हो रही है। भविष्य में बैराज से पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

ग्रामीण पंपिंग योजनाएं

ग्रामीणों क्षेत्रों में पेयजल संकट से निपटने के लिए ग्रामीण पंपिंग योजनाओं पर काम हो रहा है। 80 करोड़ की लागत से रानीखेत उपमंडल में चमड़खान ग्रामीण, चिलियानौला, खारोघाटी, चौखुटिया नागर पंपिंग योजनाओं का निर्माण हुआ है। इससे अल्मोड़ा जिले की डेढ़ लाख की आबादी को पानी मिल रहा है।

हल्द्वानी राजकीय मेडिकल कॉलेज

हल्द्वानी में डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय मेडिकल कॉलेज खुलना स्वास्थ्य के लिहाज से बड़ी उपलब्धि रहा। 2004 में बने मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की 100 सीटें हैं। जबकि पीजी में एमडी व एमएस की 70 सीटें हैं। मेडिकल कॉलेज खुलने से कुमाऊं के युवाओं को मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए दूसरे शहरों का रुख नहीं करना पड़ता।

उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय

समय के साथ दूरस्थ शिक्षा का चलन बढ़ा है। 2005 में स्थापित उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय ने दूरस्थ शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुआ है। वर्तमान में प्रदेश के मुख्य शहरों के साथ ही दूरस्थ इलाकों में मुक्त विवि के सेंटर हैं। हर साल लाखों लोग विभिन्न पाठ्यक्रमों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

भारतीय प्रबंधन संस्थान काशीपुर

ऊधमसिंह नगर जिले के काशीपुर में 2011 भारतीय प्रबंधन संस्थान की शुरुआत हुई। संस्थान में प्रबंधन (पीजीपीएम) में पोस्ट ग्रेजुएट कार्यक्रम, दो साल का पूर्णकालिक आवासीय कार्यक्रम प्रदान करता है। इसके अलावा पोस्ट ग्रेजुएट व डॉक्टरेट कार्यक्रम भी संचालित होते हैं।

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