उत्तराखंड सरकार को नहीं अपनी 'गरिमा' का ख्याल, पिता ने फिर मांगी इच्छा मृत्यु
उत्तराखंड सरकार अपनी नेशनल एथलीट बेटी का उपचार कराने में भी असहाय हो गई है। कैंसर के जूझती पत्नी को खो चुके एथलीट के पिता का भी सरकार से भरोसा टूट रहा है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Fri, 13 Dec 2019 11:31 AM (IST)
अल्मोड़ा, जेएनएन : उत्तराखंड सरकार अपनी नेशनल एथलीट बेटी का उपचार कराने में भी असहाय हो गई है। कैंसर के जूझती पत्नी को खो चुके एथलीट के पिता का भी सरकार से भरोसा टूट रहा है। रीढ़ की हड्डी टूटने के बाद करीब डेढ़ साल से अस्पताल में भर्ती बेटी के इलाज के लिए अब पैतृक घर भी नीलाम होने की कगार पर है। अपनी खेल उपलब्धियों से प्रदेश व देश का नाम रोशन कर रही बेटी गरिमा जोशी का आर्थिक तंगी के चलते उपचार कराने में खुद को लाचार महसूस कर रहे पिता ने दूसरी बार पत्र भेज कर राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की गुहार लगाई है।
पैतृक मकान नीलामी के कगार पर अल्मोड़ा कलक्ट्रेट पहुंचे एथलीट गरिमा के पिता पूरन चंद्र जोशी ने बताया कि बेटी के इलाज के लिए उन्होंने बैंक से ऋण भी लिया। उसे न चुका पाने के कारण अब उनका पैतृक मकान नीलाम होने की स्थिति में है। इसके चलते उन्होंने आठ नवंबर को अपनी इच्छा मृत्यु की गुहार राष्ट्रपति से लगाई थी। एक माह बाद भी उनके प्रार्थना पत्र पर की गई कार्रवाई की जानकारी उन्हें नहीं दी गई है। अब दोबारा इच्छा मृत्यु की मांग वाला प्रार्थनापत्र भेजा है।
सरकार पर लगाया वादाखिलाफी का आरोप
गरिमा के पिता पूरन चंद्र जोशी ने राष्ट्रपति को भेजे पत्र में राज्य सरकार पर वादाखिलाफी के गंभीर आरोप लगाए। जोशी ने लिखा कि घायल बेटी और पत्नी का उपचार कराते वह कर्ज में डूब चुके हैं। राज्य सरकार ने बेटी के इलाज का पूरा खर्च उठाने का वादा किया था। मगर, 13.10 लाख रुपये की आर्थिक मदद के बाद सरकार ने भी उपचार के बिलों का भुगतान करने से मना कर दिया। गरिमा को फिलहाल अस्पताल से वह किराए के कमरे में ले आए हैं। वहीं कैंसर से जूझते हुए मार्च 2019 में पत्नी की भी मौत हो चुकी है।
बेंगलुरू में हादसे में टूट गई थी रीढ़ की हड्डी मूल रूप से द्वाराहाट के ग्राम छतगुल्ला निवासी धाविका गरिमा जोशी 31 मई 2018 में बेंगलुरू में 10 किमी दौड़ पतियोगिता में भाग लेने के लिए गईं थी। जहां अभ्यास के बाद स्टेडियम से निकलने के दौरान अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी थी। हादसे में रीढ़ की हड्डी टूटने के कारण गरिमा व्हीलचियर पर आ गईं। स्पाइनल इंजरी सेंटर दिल्ली में के बाद वर्तमान में उसका उपचार बेंगलुरू में चल रहा है।
हरियाणा सरकार ने दिया गरिमा के जज्बे को सम्मान गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद गरिमा का हौसला और खेलों के प्रति जज्बा जरा भी कम नहीं हुआ था। उसने व्हील चेयर पर ही खेलों का अभ्यास जारी रखा। गरिमा के जज्बे व उत्कृष्ट खेल से प्रभावित होकर हरियाणा सरकार ने उसे व्हील चेयर बास्केटबाल टीम का कैप्टन बनाया था। हाल में मोहाली में हुई छठीं राष्ट्रीय व्हीलचेयर बास्केटबाल प्रतियोगिता में टीम कैप्टन गरिमा को बेस्ट न्यूकमर फीमेल प्लेयर के सम्मान से नवाजा गया। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू ने उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया। हालांकि इस प्रतियोगिता में हरियाणा की टीम चैंपियन बनने से चूक गई।
गरिमा की खेलों में महत्वपूर्ण उपलब्धियां 2014 में केंद्रीय विद्यालय संगठन दून की राज्य मैराथन प्रतियोगिता में स्वर्ण व अहमदाबाद में राष्ट्रीय मैराथन में स्वर्ण पदक जीता। 2016 में दून हाफ मैराथन में द्वितीय स्थान प्राप्त करने के बाद 2017 में पंजाब मैराथन में प्रथम स्थान हासिल किया। 2018 में अंतरराष्ट्रीय मैराथन में टॉप छह खिलाडिय़ों में चयनित। इसी साल व्हीलचेयर दौड़ में दूसरा स्थान पाया। 2019 में दिल्ली सफदरजंग अस्पताल की व्हीलचेयर मैराथन में द्वितीय तथा 500 मीटर वर्ग में प्रथम स्थान हासिल किया।
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