Move to Jagran APP

उत्तराखंड सरकार ने यूपी के बाहुबली विधायक राजा भैया को दिया तगड़ा झटका, जब्‍त कर ली पत्नी की जमीन

Raja Bhaiya Wife Bhawni Singh Land उत्तराखंड सरकार ने बाहुबली विधायक राजा भैया की पत्नी भावनी सिंह के नाम से खरीदी गई नैनीताल की जमीन को सरकारी खाते में दर्ज कर लिया है। 2007 में खरीदी गई इस जमीन पर 16 साल से कोई खेती नहीं हो रही थी। भावनी सिंह ने कमिश्नर कोर्ट और राजस्व बोर्ड में अपील की लेकिन हार गईं।

By Jagran News Edited By: Nirmala Bohra Updated: Fri, 11 Oct 2024 08:02 PM (IST)
Hero Image
Raja Bhaiya Wife Bhawani Singh Land: सरकार ने बाहुबली विधायक को तगड़ा झटका दिया

संसू, जागरण गरमपानी। Raja Bhaiya Wife Bhawani Singh Land: उप्र के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पत्नी भावनी सिंह के नाम से नैनीताल के सिल्टोना गांव में खरीदी गई जमीन को राज्य सरकार में निहित कर दिया गया है।

वर्ष 2007 में खेती के लिए खरीदी गई लगभग 27.5 नाली (0.555 हेक्टेयर) भूमि पर 16 साल बाद भी खेती संबंधी कोई कार्य न होने पर राजस्व विभाग ने भूमि सरकार के खाते में दर्ज कर ली है। यद्यपि मामले को लेकर भावनी सिंह की ओर से कमिश्नर कोर्ट व राजस्व बोर्ड में भी अपील की गई थी, लेकिन वहां वह हार गई।

उप्र की राजनीति में चर्चित नाम

प्रतापगढ़ जिले के कुंडा विधानसभा क्षेत्र से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया उप्र की राजनीति में एक चर्चित नाम है। उत्तर प्रदेश के साथ ही कई प्रदेशों में राजा भैया की संपत्ति है।

यह भी पढ़ें- उत्‍तराखंड के चमोली में भड़की धार्मिक भावनाएं, हिन्दू संगठनों ने बंद कराया बाजार; बाहरी लोगों से शहर खाली करने की मांग

सख्त भू-कानून को लेकर उत्तराखंड में हो रही कवायद के बीच सरकार ने बाहुबली विधायक को तगड़ा झटका दिया है। दरअसल वर्ष 2007 में विधायक की पत्नी भावनी सिंह ने बेतालघाट ब्लाक के सिल्टोना गांव में 0.555 हेक्टेयर कृषि कृषि भूमि का सौदा किया। जमीन पर तभी तारबाड़ भी कर दी गई।

बाहुबली विधायक से जुड़ा मामला होने से तब यह खरीदारी चर्चा में रही और आसपास के लोगों में दहशत भी बन गई। लंबे समय से जमीन पर प्रायोजन के अनुसार कोई कार्य न होने पर स्थानीय प्रशासन ने मामले की जांच कर जमीन को राज्य सरकार के खाते में दर्ज करने की प्रक्रिया शुरु कर दी।

जिस पर जमीन स्वामी भावनी सिंह ने राजस्व विभाग की कार्रवाई को कमिश्नर कोर्ट व फिर राजस्व बोर्ड में भी चुनौती दी। दोनों ही जगह से वह से केस हार गई। मामला पक्ष में आने के बाद अब प्रशासन ने जमीन को राज्य सरकार के खाते में दर्ज कर दिया है।

जमीन पर नहीं हो रहा था खेती संबंधी कोई काम

कानूनगो नरेश असवाल के अनुसार नियमानुसार दो वर्ष तक जिस प्रायोजन के लिए जमीन खरीदी जाती है, उसमें उसी उद्देश्य से कार्य होना चाहिए, मगर जांच में विधायक की पत्नी की सिल्टोना स्थित जमीन पर वर्षों बाद भी कार्य न होने की पुष्टि हो गई। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर जमीन सरकार के अधीन करने की प्रक्रिया शुरु की गई।

यह भी पढ़ें- वनवासियों के लिए देवी हैं खीमा, उत्तराखंड की एकमात्र आदिम जनजाति के उत्थान को 23 वर्षों से जुटीं

खरीदी गई जमीन का उद्देश्य बदलने वाले रडार पर

प्रदेश में इस समय सशक्त भू-कानून को लेकर चल रहे आदोलनों के बाद शासन-प्रशासन भी सक्रिय है। मुख्यमंत्री अगली कैबिनेट बैठक में कानून का मसौदा लाने की बात कह चुके हैं। साथ ही सात अक्टूबर को हल्द्वानी व बेतालघाट दौरे में भी इस बात को दोहरा चुके हैं कि जमीन का प्रयोजन बदलने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

देहरादून, नैनीताल, ऊधम सिंह नगर व हरिद्वार जिलों में भूमि खरीद से संबंधित मामलों की जांच भी चल रही है। नैनीताल जिले की विभिन्न तहसीलों में बड़े पैमाने पर खरीदी गई जमीने प्रशासन के रडार पर है।

विस्तृत जांच पड़ताल के बाद विधायक की पत्नी के नाम पर खरीदी गई जमीन पर अब राज्य सरकार का नियंत्रण हो चुका है। नियमानुसार जमीन सरकार के खाते में निहित कर दी गई है। जल्द ही तारवाड़ भी हटा ली जाएगी। - विपिन चंद्र पंतु, एसडीएम, श्री कैंची धाम तहसील

लोकल न्यूज़ का भरोसेमंद साथी!जागरण लोकल ऐपडाउनलोड करें