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चार वर्षों में 68 बार कांप चुकी है उत्तराखंड की धरती, भविष्य में कभी भी आ सकता है बड़ा झटका nainital news

मेन सेंट्रल थ्रस्ट (एमसीटी) पर बागेश्वर जिले के गोगिना के पास आए 4.7 मैग्नीट्यूट तीव्रता के भूकंप से टेक्टानिक प्लेटों की सक्रियता फिर दिखाई देने लगी है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 09 Feb 2020 05:54 PM (IST)
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चार वर्षों में 68 बार कांप चुकी है उत्तराखंड की धरती, भविष्य में कभी भी आ सकता है बड़ा झटका nainital news
चंद्रशेखर द्विवेदी, बागेश्वर। मेन सेंट्रल थ्रस्ट (एमसीटी) पर बागेश्वर जिले के गोगिना के पास आए 4.7 मैग्नीट्यूट तीव्रता के भूकंप से टेक्टानिक प्लेटों की सक्रियता फिर दिखाई देने लगी है। पहली बार बागेश्वर स्थित इस एमसीटी पर इतना बड़ा भूकंप का झटका महसूस किया गया है। भू वैज्ञानिकों के अनुसार पिछले चार साल में एमसीटी पर चार रिक्टर स्केल से बड़े 68 भूकंप आ चुके हैं। सक्रियता अंदाजा इससे लगाया जा सकता है यहां पिछले तीन महीने में ही आठवां भूकंप का झटका है।

प्रदेश के बागेश्वर, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, चमोली, उत्तरकाशी से होकर नेपाल तक नेपाल तक मेन सेंट्रल थ्रस्ट गुजरती है। हिमालयी क्षेत्र में मेन सेंट्रल थ्रस्ट उच्च व मध्य हिमालय के मध्य का क्षेत्र आता है। इस इलाके में सबसे अधिक भूकंपीय हलचलें होती है। यहां भूकंप का केंद्र 15 से 20 किमी गहराई में है। भू वैज्ञानिक रवि नेगी ने बताया कि मेन सेंट्रल थ्रस्ट के रुप में जानी जाने वाली यह दरार 2500 किलोमीटर लंबी है और कई भागों में विभाजित 50 से 60 किमी चौड़ी है। शनिवार को आया भूकंप भी एमसीटी जोन में था। इंडियन और एशियन प्लेट के बीच दबाव, टकराने और घर्षण से भूकंप की घटना होती। प्रदेश में 1991 में उत्तरकाशी और 1999 में चमोली में 6 मैग्नीट्यूट तीव्रता से बड़े भूकंप आ चुके हैं। इसके बाद से कोई बड़ा भूकंप इस क्षेत्र में नही आया है। इस जिलों को भूकंप की ²ष्टि से संवेदनशील मानते हुए इस जोन पांच में रखा गया हैं। यहां छोटे-छोटे भूकंप के झटके आते रहते है। तीन रिक्टर स्केल से ऊपर से झटके ही महसूस किए जाते हैं।

2019 में भूकंप के झटके

समय      तीव्रता     केंद्र

1 अक्टूबर-   3.3  चमोली

17 अक्टूबर     3.3  उत्तरकाशी

12 नवंबर       4.5  पिथौरागढ़

24 नवंबर       3.4  चमोली

8 दिसंबर       3.2  चमोली

13 दिसंबर       4.4  पिथौरागढ़

24 दिसंबर       4.5  चमोली    

8 फरवरी 2020- 4.7 गोगिना, बागेश्वर

भूवैज्ञानिक रवि नेगी ने बताया कि भूकंप के मददेनजर यह पूरा क्षेत्र बेहद संवेदनशील है। छोटे-छोटे भूकंप बड़े भूकंपों की संभावनाओं को रोक देता है। यह दबाव को कम कर देता है। जोन पांच में किसी प्रकार की अनियोजित गतिविधियों को रोका जाना चाहिए।

भूकंप आने पर करें यह उपाय

- मकान, दफ्तर या किसी भी इमारत में अगर आप मौजूद हैं तो वहां से बाहर निकलकर खुले में आ जाएं।

- खुले मैदान की ओर भागें, भूकंप के दौरान खुले मैदान से ज्यादा सेफ जगह कोई नहीं होती।

- किसी बिल्डिंग के आसपास न खड़े हों।

- अगर आप ऐसी बिल्डिंग में हैं, जहां लिफ्ट हो तो लिफ्ट का इस्तेमाल कतई न करें. ऐसी स्थिति में सीढिय़ों का इस्तेमाल ही बेस्ट होता है।

- घर के दरवाजे और खिड़की को खुला रखें।

- घर की सभी बिजली स्विच को ऑफ कर दें।

- बिल्डिंग में मौजूद किसी मेज, ऊंची चौकी या बेड के नीचे छिप जाएं.

- भूकंप के दौरान किसी भी तरह की अफवाह न फैलाएं।

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