Uttarakhand Mining: खनन के 'कलंक' की कहानी अब भी अधूरी, जांच का दौर भी जारी; 7 साल बाद विजिलेंस में मामला दर्ज
Uttarakhand Mining Scam खनन से जुड़ा घोटाला। सात साल बाद विजिलेंस में मामला दर्ज हुआ। अब 13 साल बाद उस दौर का एक बड़ा अधिकारी गिरफ्तार हो गया है। यह कहानी इतनी लंबी है कि इस पर कोई एक फिल्म नहीं बल्कि वेब सीरीज बन सकती है। राज्य बनने के कुछ समय बाद ही भ्रष्टाचार का दाग लग चुका था। पढ़ें पूरी खबर...
By Jagran NewsEdited By: riya.pandeyUpdated: Sat, 30 Sep 2023 12:20 PM (IST)
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। Uttarakhand Mining Scam: खनन से जुड़ा घोटाला। सात साल बाद विजिलेंस में मामला दर्ज हुआ। अब 13 साल बाद उस दौर का एक बड़ा अधिकारी गिरफ्तार हो गया है। यह कहानी इतनी लंबी है कि इस पर कोई एक फिल्म नहीं बल्कि वेब सीरीज बन सकती है। राज्य बनने के कुछ समय बाद ही भ्रष्टाचार का दाग लग चुका था। लेकिन पता लगने में सालों लग गए। मगर खनन के कलंक की कहानी अब भी आधी ही है।
उपखनिज निकासी को लेकर सिस्टम हुआ मजबूत
क्या कभी पता चलेगा कि बुग्गी का पैसा जमा कर ट्रकों से गौला को खाली करने वाले लोग कौन थे। माफिया थे या छुटमुट खनन तस्कर। गेटों पर वन निगम के अलावा वन विभाग के कर्मचारी भी होते हैं। इस घपले को लेकर सभी अंजान कैसे बने रहे। गौला में उपखनिज निकासी को लेकर निगरानी का सिस्टम अब मजबूत हो चुका है लेकिन 2001 से 2003 के बीच ऐसी स्थिति नहीं थी। खनन में वर्चस्व का दौर था।
खनन माफिया के थे कई गुट
खनन माफिया के कई गुट थे। ऐसे में जमकर विवाद होते थे। ज्यादातर काम मैनुअल तरीके से किया जाता था। तौलकांटों को लगे भी कुछ ही समय हुआ था। वहीं, रुड़की स्थित सरकारी प्रिंटिंग केंद्र से निकासी से जुड़े दस्तावेज तैयार होते हैं, जिन्हें हल्द्वानी में भरा जाता है। खेल की शुरुआत यहीं से हुई। नकल कर हुबहू असली दिखने वाले कागज तैयार किए। फिर बुग्गी से निकासी की रायल्टी जमा कर ट्रकों से उपखनिज बाहर निकाला जाने लगा। यही कागज विजिलेंस के हाथ भी लगे। मगर एक सवाल अब भी कायम है कि निगम के अलावा वन विभाग के कर्मचारी भी गेटों पर रहते थे।वनकर्मी ट्रांजिंट शुल्क और रोड टैक्स वसूलता था। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि उसे घोटाले की भनक क्यों नहीं लगी। सूत्रों की मानें तो इस घोटाले से हुए असल राजस्व नुकसान का पता आज तक नहीं लगा। जांच का दायरा वन विभाग की तरफ भी बढ़ा था। लेकिन कुछ खास हासिल नहीं हुआ।
अब तक 35 लोग जा चुके पकड़
वन निगम से जुड़े कुल 35 लोग अब तक इस मामले में गिरफ्तार किए जा चुके हैं। आठ एक बार में पकड़े गए थे। 25 ने सरेंडर किया था। एक अधिकारी को हाल में अल्मोड़ा से पकड़ा गया, जबकि अब लखनऊ से सेवानिवृत्त आइएफएस को गिरफ्तार किया गया है। अप्रैल 2003 में वन निगम के ही एक कर्मचारी ने ही शिकायत की थी। उस दौर से जुड़े कुछ और लोग भी राडार पर है।यह भी पढ़ें - Uttarakhand में फिल्मों की शूटिंग शुरू, राधिका आप्टे व दिव्येंदु दून में कर रहे शूट; नवंबर में आएंगे ये दिग्गज
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