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पहाड़ के फलों का राजा काफल आया बाजार में, जानिए इसके फायदे

काफल का वानस्पतिक नाम मेरिका एस्कुलाटा है। यह मध्य हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाला सदाबहार वृक्ष है। काफल तीन महीने तक स्थानीय बेरोजगारों के लिए स्वरोजगार का भी साधन बनता है। इसके पेड़ ठंडी जलवायु में पाए जाते हैं। इसका लुभावना गुठली युक्त फल गुच्छों में लगता है।

By Prashant MishraEdited By: Updated: Wed, 04 May 2022 02:51 PM (IST)
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काफल से बीस हजार रुपये तक कमाई करते थे। लेकिन जंगलों में आग लगने से काफल खराब हुआ है।
जागरण संवाददाता, बागेश्वर: रसीले, खट्टे और मीठे स्वाद से भरपूर काफल का स्वाद जंगलों की आग ने कम कर दिया है। बैशाख माह में पकने वाला काफल बाजार में विशेष पहुंच रखता है। जिससे स्थानीय ग्रामीणों जंगलों की आग आर्थिकी भी जुड़ी हुई है। 

काफल तीन महीने तक स्थानीय बेरोजगारों के लिए स्वरोजगार का भी साधन बनता है। इसके पेड़ ठंडी जलवायु में पाए जाते हैं। इसका लुभावना गुठली युक्त फल गुच्छों में लगता है। प्रारंभिक अवस्था में इसका रंग हरा होता है और अप्रैल माह के आखिर में यह फल पककर तैयार हो जाता है, तब इसका रंग बेहद लाल हो जाता है। 

तराई क्षेत्र में गर्मी शुरू होते ही पर्यटकों का रुख पहाड़ की ओर है । सैलानी यहां पहाड़ की सुरीली हवा और रसीले काफल का स्वाद ले रहे हैं। चार सौ रुपये प्रति किलो तक काफल बिक रहा है। सीरी नरगोल निवासी चंद्रशेखर, डोबा निवासी कमला देवी ने कहा कि वह काफल बेचकर दस से बीस हजार रुपये तक कमाई करते थे। लेकिन जंगलों में आग लगने से काफल खराब हुआ है। 

वानस्पतिक नाम

वनस्पति विज्ञान के प्रवक्ता राजीव निगम ने बताया कि काफल का वानस्पतिक नाम मेरिका एस्कुलाटा है। यह मध्य हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाला सदाबहार वृक्ष है। गर्मी के मौसम में काफल के पेड़ पर अति स्वादिष्ट फल लगता है, जो देखने में शहतूत की तरह लगता है।

1300 मीटर से 2100 मीटर (4000 फीट से 6000 फीट) तक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पैदा होता है। यह स्वाद में खट्टा-मीठा मिश्रण लिए होता है। काफल के कई फायदे हैं यह कई रोगों में फायदेमंद है।

काफल को लेकर पहाड़ के लोकगीत भी हैं। प्रसिद्ध रंगकर्मी मोहन उप्रेती रचित बेडु पाको बार मासा, नरेन काफल पाको चेत मेरी छैला, आज भी हर पहाड़ के लोग गनगुनाते रहते हैं।

काफल खाने के फायदे

-यह जंगली फल एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों के कारण हमारे शरीर के लिए फायदेमंद है।

-इसका फल अत्यधिक रस-युक्त और पाचक होता है।

-इस फल को खाने से पेट के कई प्रकार के विकार दूर होते हैं।

-मानसिक बीमारियों समेत कई प्रकार के रोगों के लिए काफल काम आता है.

-इसके तने की छाल का सार, अदरक तथा दालचीनी का मिश्रण अस्थमा, डायरिया, बुखार, टाइफाइड, पेचिस तथा फेफड़े ग्रस्त बीमारियों के लिए अत्यधिक उपयोगी है।

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