स्लाटर हाउस मामले में प्रदेश के अफसरों को सुप्रीम कोर्ट से राहत, अवमानना की कार्रवाई पर लगाई रोक nainital news
देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने आदेश का अनुपालन नहीं करने पर नैनीताल हाईकोर्ट के अफसरों पर अवमानना की कार्रवाई करने के आदेश पर रोक लगा दी है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 18 Dec 2019 10:50 AM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : स्लाटर हाउस के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शहरी विकास विभाग व निकायों के अधिकारियों पर अवमानना के आरोप तय करने के हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही राज्य सरकार को दो सप्ताह में स्लाटर हाउस मामले में हुई प्रगति शपथपत्र के साथ पेश करने के निर्देश दिए हैं। यह भी कहा है कि इस मामले की मॉनिटरिंग सुप्रीम कोर्ट खुद करेगा। इसी मामले में हाई कोर्ट में बुधवार को सुनवाई होनी है। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए सचिव शहरी विकास शैलेश बगौली, हरिद्वार के डीएम दीपेंद्र चौधरी समेत अन्य अधिकारी नैनीताल पहुंच गए हैं।
स्लाटर हाउस निर्माण मामले में आदेश का अनुपालन नहीं करने पर हाईकोर्ट ने सचिव शहरी विकास, डीएम हरिद्वार व नैनीताल, नैनीताल व मंगलौर पालिका के ईओ, नगर आयुक्त हल्द्वानी पर अवमानना का आरोप तय करते हुए तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त कर कहा था कि सरकार द्वारा स्लाटर हाउसों का निर्माण नही करना 2011 में दिए गए आदेश की अवमानना है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में टिप्पणी की थी कि सरकार अगर 2011 से अब तक स्लाटर हाउस नही बना पा रही है तो इसे शाकाहारी प्रदेश घोषित कर दे। 2011 में कोर्ट ने प्रदेश में चल रहे अवैध स्लाटर हाउसों को बंद कराने व मानकों के अनुरूप स्लाटर हाउसो का निर्माण करने के आदेश पारित किए थे। इस आदेश के विरुद्ध सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई परंतु राहत नहीं मिली। 2018 में कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने 72 घण्टे में सभी अवैध स्लाटर हाउसों को बंद कर दिया परन्तु अभी तक मानकों के अनुरूप कहीं भी स्लाटर हाउसों का निर्माण नही किया है। कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जब सभी स्लाटर हाउस बन्द हैं तो प्रदेश में मीट कहां से कट कर आ रहा है। सरकार के इस आदेश को मीट कारोबारियों ने याचिका दायर कर चुनौती दी थी। उनका कहना था कि आदेश का अनुपालन नहीं होने से उन्हें करोड़ों का नुकसान हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने मांगी प्रगति रिपोर्ट
हाई कोर्ट के आदेश को सरकार ने विशेष अनुमति याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस नजीर व जस्टिस संजीव खन्ना की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के आदेश पर स्थगनादेश देने के साथ ही स्लाटर हाउस मामले में प्रगति रिपोर्ट पेश करने के आदेश पारित किए हैं। 21 निकायों में स्लाटर हाउस होंगे अपग्रेड
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से निश्चित समयावधि में स्लाटर हाउस बनाने का प्लान पेश करने को कहा है। साथ ही स्लाटर हाउसों के स्टेटस के बारे में भी जानकारी मांगी है। बता दें कि राज्य के निकायों में 21 स्लाटर हाउस संचालित थे, 2011 में हाई कोर्ट के आदेश के बाद यह स्लाटर हाउस बंद हो गए। शहरी विकास सचिव शैलेश बगौली के अनुसार बंद स्लाटर हाउस को अपग्रेड करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। फूड लाइसेंस, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एनओसी समेत अन्य औपचारिकताएं पूरी करने के लिए निकायों की जवाबदेही तय की गई है। शासन इसके लिए बजट के इंतजाम पर भी विचार कर रहा है।
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