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उत्तराखंड में पुलिसकर्मियों का दर्द: महज 4500 रुपये है वर्दी भत्ता, एक जोड़ी जूता तक नहीं खरीद पाते दारोगा-सिपाही

उत्तराखंड में पुलिसकर्मियों की वर्दी भत्ता इतना कम है कि एक जोड़ी जूता तक नहीं खरीद पाते। दारोगा और इंस्पेक्टर को पांच साल में 4500 रुपये और सिपाहियों को एक साल में 3300 रुपये वर्दी भत्ता मिलता है। इस भत्ते से उन्हें वर्दी का कपड़ा सिलाई जूते टोपी मोजे नेप प्लेट बेल्ट सीटी स्टार आदि खरीदने होते हैं। ये पुलिसकर्मी सुविधाओं के नाम पर अपना हक भी नहीं मांग सकते।

By Deep belwal Edited By: Riya Pandey Updated: Sun, 01 Sep 2024 10:11 PM (IST)
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वर्दी भत्ते से एक जोड़ी जूता तक नहीं खरीद पाते दारोगा व सिपाही (प्रतिकात्मक फोटो)

दीप बेलवाल, हल्द्वानी। पुलिस कर्मियों पर समाज के हर एक शख्स की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है। जनता के लिए मित्र पुलिस की भूमिका निभाते हुए उन्हें 24 घंटे सतर्क रहना होता है। अपने अधिकारी के एक निर्देश पर चौकन्ने हो जाते हैं।

इसके बाद भी अगर कहीं कोई अप्रिय घटना हो जाए तो लोगों के सवालों की पहली उंगली इन्हीं की ओर उठती है, मगर शायद ही किसी को पता हो कि हमारी-आपकी सुरक्षा में दिन-रात लगे ये पुलिसकर्मी सुविधाओं के नाम पर अपना हक भी नहीं मांग सकते।

सिपाही को मिलता है महज 3300 वेतन भत्ता

वह वर्दी भत्ते से एक जोड़ी अच्छी कंपनी का जूता तक नहीं खरीद पाते, क्योंकि दारोगा व इंस्पेक्टर को पांच साल में 4500 रुपये व सिपाही को 3300 रुपये ही वर्दी भत्ता मिल रहा है। इसी भत्ते से उन्हें वर्दी का कपड़ा, सिलाई, जूते, टोपी, मोजे, नेप प्लेट, बेल्ट, सीटी, स्टार आदि खरीदने होते हैं।

राज्य में पुलिस ही एकमात्र ऐसा महकमा है, जहां कर्मचारी अपनी पीड़ा खुलकर नहीं कह सकते। सुख-दुख दोनों परिस्थितियों में काम को शिद्दत से निभाना पड़ता है।

स्मार्ट पुलिसिंग की होती है बात

उत्तराखंड में स्मार्ट पुलिसिंग की बात होती है। अधिकारी अपने मातहतों की कार्यशैली को बदलना चाहते हैं, काम के प्रति उन्हें स्मार्ट बनाने की जद्दोजहद में लगे हैं। पुलिस कर्मी भी अधिकारियों के निर्देशों पर खरा उतर रहे हैं, मगर सुविधाओं के नाम पर उन्हें वह सबकुछ नहीं मिल पा रहा, जिसके वह हकदार हैं। दारोगा व इंस्पेक्टर को पांच साल में एक बार 4500 रुपये मिलते हैं।

वहीं सिपाही को साल में एक बार 3500 रुपये दिए जा रहे, जबकि इतने रुपये में एक जोड़ी जूता भी मुश्किल से आ पाता है। बाकी की पूरी वर्दी अपने जेब से खर्च कर खरीदनी पड़ती है। वर्दी भत्ता बढ़ाने पर किसी अधिकारी का ध्यान नहीं गया है। वर्दी भत्ता बढ़ेगा तो पुलिस कर्मियों का मनोबल बढ़ेगा। जेब पर भी बोझ कम होगा।

एक जोड़ी वर्दी का अनुमानित खर्च

  • जूते (रेड टेप) कंपनी - 4500 से 5000 तक
  • नेम प्लेट- 100 रुपये
  • मोजे (एक जोड़ी)-100 रुपये
  • सिटी-100 रुपये
  • वर्दी का कपड़ा (एक जोड़ी) -1200 तक
  • सिलाई-100 रुपये तक
  • बैच- 100 रुपये
  • स्टार-100 रुपये तक

(नोट- यह जानकारी सालों से पुलिस की वर्दी व अन्य सामग्री उपलब्ध करा रहे विजय गुप्ता के अनुसार है)

एक जोड़ी वर्दी सेट तैयार करने में 6300 रुपये तक खर्च

एक पुलिस कर्मी को एक साल में कम से कम चार जोड़ी वर्दी की जरूरत होती है। जिसमें दो जोड़ी सर्दी व दो जोड़ी गर्मी। एक जोड़ी वर्दी का सेट तैयार करने में तकरीबन 6300 रुपये का खर्च आता है। इस औसत से चार जोड़ी वर्दी का हिसाब लगाए तो 25200 रुपये हो जाता है।

हर साल 21 अक्टूबर को पुलिस कर्मियों के भत्ते में बढ़ोतरी की जाती है। इस साल का भत्ता बढ़ाने का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। भत्ते में पहले की तुलना में अच्छी बढ़ोत्तरी होगी।

-डॉ. नीलेश आनंद भरणे, पुलिस प्रवक्ता

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