किसानों की जमीन पर अपना महल खड़ा कर रहा उत्तराखंड टी बोर्ड
जनपद को दार्जलिंग की तर्ज पर विकसित करने के लिए उत्तराखंड टी बोर्ड ने दर्जनों गांवों में सैकड़ों किसानों से करीब 14 वर्ष पूर्व करीब 219 हेक्टेयर भूमि लीज पर ली। पर इसका कोई उन्हें प्रतिफल नहीं मिला।
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- आरडी खर्कवाल, किसान
टी बार्ड ने हमारी जमीनों को लीज पर लेकर हमारे साथ ठगी है। हमारी जमीनों पर टी बोर्ड खुद मालिक बनकर बैठा है। मोटा मुनाफा कमा रहा है। सात साल बाद लीज पर जमीन देने के बाद 20 फीसद मुनाफा देने को कहा था लेकिन आज तक कुछ नहीं मिला।
- प्रदीप खर्कवाल, किसान
जंगली जानवरों से परेशान होकर अपनी जमीन टी बोर्ड को दी। जिससे चार पैसे बच जाएंगे लेकिन मुनाफा तो छोडि़ए आज अपनी ही जमीन पर मजदूरी कर रहे हैं। मजदूरी करेंगे तो पैसे मिलेंगे वरना वो भी नहीं। कई बार टी बोर्ड को जमीन छोडऩे के लिए कहा लेकिन वह जमीन भी नहीं छोड़ रहे हैं।
- कलावती देवी, महिला किसान
उत्तराखंड टी बोर्ड को जमीन देकर कोई फायदा नहीं हुआ। जिनकी जमीन है उन्हें टी बोर्ड द्वारा छह दिन की तथा मनरेगा द्वारा 14 दिन की मजदूरी दी जाती है। बाकी दस दिन खाली है। हम अपनी ही जमीन पर मजदूरी कर रहे हैं। और इसका फायदा टी बोर्ड उठा रहा है। सात साल के सपने दिखाए थे जो सपने ही बनकर रह गए हैं।
- गायत्री देवी, किसान
प्रदेश में चाय की हरी पत्ती के मूल्य निर्धारण के बाद किसानों को 20 प्रतिशत मुनाफा दिया जाएगा। इसके लिए प्रक्रिया शासन में गतिमान है। इसको लेकर कई बार प्रस्ताव शासन में भेजा भी चुका है। शासन द्वारा निर्धारण तय होने के बाद मुनाफा दिया जाएगा।
- डेंसमेंड, मैनेजर, उत्तराखंड टी बोर्ड