Uttarkashi Mosque Dispute: नैनीताल हाई कोर्ट पहुंचा मामला, अदालत ने दिए धार्मिक स्थलों की सुरक्षा कड़ी करने के निर्देश
Uttarkashi Mosque Dispute उत्तराखंड के उत्तरकाशी में मस्जिद को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने 1 दिसंबर को महापंचायत बुलाई है। इसको लेकर हाईकोर्ट ने डीजीपी को स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही जिलाधिकारी और एसपी को धार्मिक स्थलों के आसपास सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा है।
जागरण संवाददाता, नैनीताल। Uttarkashi Mosque Dispute: हाई कोर्ट ने उत्तरकाशी में मस्जिद की सुरक्षा तथा पहली दिसंबर को हिन्दू संगठनों की ओर से बुलाई गई महापंचायत पर रोक लगाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते अंतरिम आदेश पारित कर डीजीपी को स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं।
साथ ही उत्तरकाशी के जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को सभी धार्मिक स्थलों के आसपास सख्त कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
याचिका पर सुनवाई
शुक्रवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में अल्पसंख्यक सेवा समिति के अध्यक्ष मुशर्रफ अली व इस्तियाक अहमद की याचिका पर सुनवाई की। जिसमें दावा किया गया कि जामा मस्जिद भटवाड़ी रोड, उत्तरकाशी का निर्माण वर्ष 1969 में एक निजी भूमि खरीदकर किया गया था।यह भी पढ़ें- Dehradun Crime: जिस कमरे में छात्रा संग हुई थी हैवानियत, वहां रहता मिला ऐसा शख्स जिसे देख पुलिस हैरान
1986 में सहायक वक्फ आयुक्त, उत्तर प्रदेश ने जांच की और पाया कि खसरा संख्या 2223 पर एक मस्जिद मौजूद थी, जिसका निर्माण मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने दान के पैसे से किया था। वक्फ आयुक्त ने एक रिपोर्ट बनाई, जिसमें यह प्रमाणित किया गया कि मस्जिद मौजूद है और सुन्नी समुदाय के सदस्यों की ओर से इसका उपयोग किया जा रहा है।
1987 में जामा मस्जिद भटवाड़ी रोड, उत्तरकाशी को वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत किया गया। सितंबर 2024 से खुद को संयुक्त सनातन धर्म रक्षा संघ और विश्व हिंदू परिषद के सदस्य बता रहे हैं, मस्जिद को ध्वस्त करने की धमकी दे रहे हैं। मस्जिद की वैधता के संबंध में गलत जानकारी फैला रहे हैं।मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध अभद्र भाषा बोल रहे हैं। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने कोर्ट में दलील दी कि निजी प्रतिवादी ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर मुसलमानों और मस्जिद के विरुद्ध नफरत भरा भाषण दिया है, जो अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश का उल्लंघन है।
सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश पारित किया है कि नफरत फैलाने वाले भाषण के किसी भी मामले में, भले ही कोई शिकायतकर्ता न हो, राज्य के अधिकारी नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के विरुद्ध स्वत: संज्ञान लेते हुए आईपीसी की धारा 153ए, 153बी, 295ए और 505 के तहत मामला दर्ज करेंगे।यह भी पढ़ें- उत्तराखंड की वादियों में वक्त बिताना चाहते हैं तो खबर आपके लिए, तीन पहाड़ी इलाकों के लिए शुरू होगी हेली सेवा
खंडपीठ ने राज्य के डीजीपी से स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं । साथ ही जिलाधिकारी व एसपी उत्तरकाशी को याचिका में उल्लिखित धार्मिक स्थल के आसपास सख्त कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी।
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